विज्ञापन
This Article is From Sep 07, 2023

इराक़ में ख़त्म हुआ शियाओं का सबसे बड़ा धार्मिक जमघट , 2.5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु पहुंचे 

इस साल 'अरबईन' यात्रा में भारत से भी एक लाख से ज़्यादा श्रद्धालु इराक़ पहुंचे , नजफ़ से करबला की पैदल धार्मिक यात्रा के दौरान जगह जगह भारत का तिरंगा लिए श्रद्धालु दिखते हैं.

इराक़ में ख़त्म हुआ शियाओं का सबसे बड़ा धार्मिक जमघट , 2.5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु पहुंचे 
इराक में धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचे थे शिया मुसलमान
नई दिल्ली:

इराक़ के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन के शासन के दौरान लगभग 35 साल बंद कर दी गई शियाओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा 'अरबईन'. बुधवार को इराक़ के करबला में समाप्त हुई. इसमें सिर्फ़ तीन दिन में विश्व भर से आए लगभग 2.5 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया , भारत से भी 1 लाख से ज़्यादा श्रद्धालु ज़ियारत के लिए करबला पहुंचे. 'अरबईन' का मतलब होता है चालीसवां , इस्लाम में किसी की मौत के बाद चालीस दिनों तक उसका मातम किया जाता है. इराक़ के करबला में शियाओं के तीसरे इमाम “इमाम हुसैन” की अत्याचारी शासक यज़ीद की फौज ने हत्या कर दी थी जिसके बाद से हर साल सैकड़ों सालों से इमाम हुसैन के लिए मातम करने विश्व भर से श्रद्धालु इराक़ पहुंचते हैं.  

2.5 करोड़ लोग पहुंचे करबला

इराक़ में हज़रत इमाम हुसैन दरगाह के मुताबिक़ इस साल बुधवार को विश्व भर से आए लगभग 2.5 करोड़ लोगों ने करबला पहुंच कर इमाम हुसैन की दरगाह में मातम किया. इस यात्रा में श्रद्धालु पहले इराक़ के नजफ़ पहुंचते हैं और वहां से पैदल लगभग 80 किलोमीटर का फ़ासला तय करके करबला में इमाम हुसैन की दरगाह पहुंचते हैं, ये यात्रा बेहद मुश्किल होती है क्योंकि तापमान इराक़ में 45 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच जाता है. 

bctqbv38

स्थानीय लोग यात्रा के दौरान करते हैं मदद

इस अरबईऩ मार्च के दौरान जो प्रेम, सौहार्द, मोहब्बत, और मेज़बानी दिखाई पड़ती है वह एक मिसाल है. इस मार्च में पैदल यात्रा के दौरान किसी भी श्रद्धालु को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी या कमी का एहसास नहीं होता है. इराक़ के स्थानीय लोग दूर दूर से खाने-पीने से लेकर मरहम-पट्टी और ज़रूरत का हर सामान लेकर इसी मार्च के रास्ते में कैंप लगाकर बैठ जाते हैं और तब तक कैंप को खोले रहते हैं जबतक की उनकी पूरे साल की कमाई से इकट्ठा किया गया सामान वहां बांट नहीं देते. इस 85-110 किलोमीटर के रास्ते में पड़ने वाला हर मकान श्रद्धालुओं के लिए दिन-रात खुला रहता है. वैसे श्रद्धलुओं की मेज़बानी के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान भी अपने ख़ज़ाना खोल देता है. अरबईन यात्रा की सफलता की सबसे बड़ी वजह ईरान और इराक़ सरकार का एक साथ मिलकर इस धार्मिक आयोजन की ज़िम्मेदारी का उठाना है. 

ये यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि इराक़ ने लगभग 20 साल हिंसा और गृहयुद्ध का दौर झेला है और ऐसे में करोड़ों लोग इराक़ पहुंच कर शांतिपूर्ण और सुरक्षित तरीक़े से ज़ियारत कर लें  ये ख़ुद विश्व को इराक़ की तरफ़ से बड़ा संकेत है. 

भारत से भी एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे

इस साल 'अरबईन' यात्रा में भारत से भी एक लाख से ज़्यादा श्रद्धालु इराक़ पहुंचे , नजफ़ से करबला की पैदल धार्मिक यात्रा के दौरान जगह जगह भारत का तिरंगा लिए श्रद्धालु दिख जाते हैं. यात्रियों की सुविधा और खाने पीने के इंतज़ाम के लिए भारतीयों ने भी जगह जगह अपने मौक़िब यानी तंबू लगाए हैं जिसमें भारतीय खाने और ठहरने का ज़बरदस्त इंतज़ाम किया गया. 

h00o815g

ये है पौराणिक कथा

जब श्रद्धालु लगभग 80 किलोमीटर की यात्रा करके करबला में इमाम हुसैन की दरगाह पहुंचते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं, कहा जाता है कि इमाम हुसैन के साथ सिर्फ़ 72 सैनिक थे और उन्होंने बहादुरी के साथ अत्याचारी यज़ीद के एक लाख की फौज से लोहा लिया. इस लड़ाई में हज़रत इमाम हुसैन के साथ उनके भाई हज़रत अब्बास और उनके 6 महीने के बेटे का भी कत्ल कर दिया गया था. यहां तक कहा जाता है कि इमाम हुसैन के परिवार और सैनिकों को पानी तक नहीं दिया गया , इमाम हुसैन की याद में हर साल मुहर्रम में विश्व भर में मातम शुरू होता है और 40 दिन बाद ये मातम 'अरबईन' को ख़त्म होता है. 

इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के रसूल हज़रत मोहम्मद के नवासे यानि नाती भी थे 

इस धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने वालों के अनुसार, यह दुनिया का सबसे अलग धार्मिक आयोजन है जहां केवल मानवता से कैसे प्रेम किया जाए, कैसे लोगों की मदद की जाए, कैसे दूसरों के दर्द को बांटा जाए, कैसे दूसरों के लिए अपना सब कुछ न्योछावर किया जाए और कैसे दुनिया में शांति स्थापित की जाए इसकी शिक्षा मिलती है. इमाम हुसैन की शहादत को लोग भुला न बैठें इसलिए इश्वर ने इस आयोजन की नींव इमाम हुसैन की बहन हज़रत ज़ैनब (स) के हाथों डाली थी. भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी अपने कई वृतांतों में हज़रत इमाम की शहादत का ज़िक्र किया है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
पुतिन के बाद इटली की पीएम मेलोनी ने भी कहा, रूस-यूक्रेन विवाद को सुलझा सकता है भारत
इराक़ में ख़त्म हुआ शियाओं का सबसे बड़ा धार्मिक जमघट , 2.5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु पहुंचे 
क्या रूस में पुतिन ने बना रखी है 'विष पुरुष' टीम?
Next Article
क्या रूस में पुतिन ने बना रखी है 'विष पुरुष' टीम?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com