
- इराकी ने 22 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है, जो अरबाईन तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने की योजना बना रहे थे
- इराकी गवर्नर ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने का भरोसा दिया है
- अरबाईन वॉक में हर वर्ष लगभग 22 मिलियन लोग नजफ से करबला तक पैदल यात्रा करते हैं
इराकी सुरक्षा बलों ने अरबाईन तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने की साजिश रचने वाले एक आतंकी सेल का पर्दाफाश किया है. करबला के गवर्नर नासिफ जसीम अल-खत्ताबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि करबला जांच अदालत की निगरानी में एक "अत्यंत सटीक और गुप्त" खुफिया ऑपरेशन के दौरान 22 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया. गवर्नर के अनुसार, गिरफ्तार किए गए संदिग्धों ने "दाएश आतंकी(ISIS)समूह से अपनी संबद्धता स्वीकार की है.
ये आतंकवादी तीर्थयात्रियों के मार्गों पर विस्फोटक उपकरणों को सक्रिय करने, सुरक्षा बलों और हुसैनी शोक सभाओं को निशाना बनाने, साथ ही अरबाईन तीर्थयात्रियों को जहर देने की योजना बना रहे थे. इसके अलावा, संदिग्धों ने करबला और नजफ के बीच सड़क पर स्थित एक हुसैनिया (शिया समुदाय का सभागार) पर हमले की साजिश भी रची थी

भारतीय भी होते हैं अरबईन वॉक में शामिल
बता दें हर साल इस यात्रा में तकरीबन 22 मिलियन लोग अरबईन वॉक में आते हैं, जो नजफ से लेकर करबला तक तकरीबन 80 किमी तक पैदल चलकर इमाम हुसैन के चहलूम यानी अरबईन पर उन्हें पुरसा देने आते हैं. वहीं गौर करने वाली बात ये है कि तकरीबन 1 लाख भारतीय भी इराक में इस मौके पर आते हैं, एनडीटीवी ने जब भारतीय श्रद्धालुओं से बात की तो उनका कहना है कि वो इमाम हुसैन की मोहब्बत में आए हैं, उन्हें किसी का कोई खौफ नहीं, वहीं अशरफ जैदी कहते हैं कि दुश्मन यही चाहता है कि मजलूमों की आवाज न उठे, इसलिए अरबईन को रुकवाने के प्रयास करते हैं. लेकिन न कल वो कामयाब हुए न आज हो पाएंगे.
वहीं नजमी, आसिफ जैदी समेत कई भारतीय जो दिल्ली-यूपी से आए हैं, उनका कहना है कि शिया कौम को हमेशा इसी तरह से इन आतंकियों ने अपना निशाना बनाया है. लेकिन ये शिया कौम कभी डरती नहीं. हम सब शिया अपने मजलूम इमाम का गम मनाने आए हैं और हमेशा मनाते रहेंगे, न कल हमें डर था न आज कोई डर है.

अरबाईन का महत्व
अरबाईन, तीसरे शिया इमाम, इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत के चालीस दिन बाद होता है, जिसे अरबईन के नाम से सब जानते हैं. ये आयोजन दुनिया भर से लाखों लोगों को आकर्षित करता है, जो नजफ से करबला तक 80 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं. इमाम हुसैन (अ.स.) और उनके 72 साथियों को 680 ईस्वी में दक्षिणी इराक में करबला की जंग में शहीद कर दिया गया था, जब उन्होंने तत्कालीन उमय्यद शासक यजीद की विशाल सेना का मुकाबला किया था .इसमें यजीद की फौज ने इमाम हुसैन के 6 महीने के बच्चे को भी तीन मुंह का तीर मारकर शहीद कर दिया था और 72 साथियों की शहादत के बाद घर की बहन बेटियों को करबला से कूफा और शाम तक कैदी बनाकर ले जाया गया.

अरबाईन वॉक दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक शांतिपूर्ण समागम है, जिसमें विभिन्न देशों, विशेष रूप से ईरान से लाखों लोग भाग लेते हैं. पर्यवेक्षकों का कहना है कि अरबाईन, करबला के आंदोलन को जीवित रखने का प्रयास है, जो अत्याचार, आतंकवाद और निरंकुशता के खिलाफ खड़ा है.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
गवर्नर अल-खत्ताबी ने आश्वासन दिया कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं. इराकी सुरक्षा बल इस धार्मिक आयोजन को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं.
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