
- थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुआ सीजफायर 12 घंटे भी नहीं टिका. थाई सेना ने कंबोडिया पर हमले का आरोप लगाया है.
- कंबोडियाई PM ने मंगलवार सुबह फेसबुक पर लिखा, "रात 12 बजे युद्धविराम के बाद से सीमा रेखा पर शांति है."
- 2008-2011 के दौरान इस क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष था.
थाईलैंड और कंबोडिया 5 दिन तक एक दूसरे पर हमला करने के बाद तीसरे देश में शांति वार्ता करते हैं. वहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में बिना शर्त तुरंत जंग रोकने के लिए सीजफायर का ऐलान करते हैं. ट्रंप खुद को “शांति वाला राष्ट्रपति” बताते हुए सीजफायर के लिए खुद को क्रेडिट तक देते हैं. लेकिन बिना शर्त वाला सीजफायर घंटों भी नहीं टिकता है. थाईलैंड की सेना ने मंगलवार को कंबोडिया पर आरोप लगाया और कहा कि जंगल से घिरी उनकी सीमा पर खूनी लड़ाई को खत्म करने के लिए हुए समझौते के बावजूद झड़पें जारी हैं.
बता दें कि सोमवार को मलेशिया में शांति वार्ता के बाद, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि 800 किलोमीटर की सीमा के साथ कई प्राचीन मंदिरों वाले विवादित क्षेत्रों में लड़ाई को समाप्त करने के लिए आधी रात को बिना शर्त युद्धविराम शुरू किया जाएगा. थाई सेना के प्रवक्ता विन्थाई सुवारी ने कहा, "जिस समय समझौता प्रभावी हुआ, थाई पक्ष ने पाया कि कंबोडियाई बलों ने थाई क्षेत्र के भीतर कई क्षेत्रों में सशस्त्र हमले किए थे."
उन्होंने एक बयान में कहा, "यह समझौते का जानबूझकर उल्लंघन है और आपसी विश्वास को कम करने का स्पष्ट प्रयास है… थाईलैंड आत्मरक्षा के अपने वैध अधिकार का प्रयोग करते हुए उचित प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर है."
हालांकि कंबोडिया के समरांग शहर में - सीमा से 20 किलोमीटर दूर - न्यूज एजेंसी एएफपी के पत्रकार ने कहा कि आधी रात तक 30 मिनट में विस्फोटों की आवाज बंद हो गई, और सुबह तक शांति जारी रही. वहीं कंबोडियाई प्रधान मंत्री हुन मानेट ने मंगलवार सुबह फेसबुक पर एक मैसेज में कहा, "रात 12 बजे युद्धविराम के बाद से सीमा रेखा पर शांति है."
जेट, रॉकेट और तोपखानों की मदद से हमले गुरुवार को शुरू हुए. हमलों ने कम से कम 38 लोगों की जान ले ली है और लगभग 300,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं. इसके बाद विकेंड में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हस्तक्षेप करना पड़ा.
2008-2011 के दौरान इस क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष था. इस सीमावर्ती इलाके में कईं प्राचीन मंदिर हैं और इनपर 1907 में कंबोडिया के फ्रांसीसी औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा किए गए अस्पष्ट सीमांकन (बॉर्डर बनाना) के कारण दोनों देश दावा करते हैं.
लड़ाई से दूर एक मंदिर स्थल पर कंबोडियाई निकासी के लिए एक विशाल शिविर में फीन नेथ ने सोमवार शाम को एएफपी को बताया, "जब मैंने (सीजफायर की) खबर सुनी तो मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे अपने घर और अपने पीछे छोड़े गए सामान की याद आती है." 45 वर्षीय ने कहा, "मैं इतना खुश हूं कि मैं इसका वर्णन नहीं कर सकता."
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