
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर समान विचारधारा वाले वैश्विक दक्षिण देशों की उच्च-स्तरीय बैठक में शामिल हुए
- यहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों की अप्रभाविता और संसाधनों की कमी को बहुपक्षवाद के लिए खतरा बताया
- विदेश मंत्री ने वैश्विक दक्षिण देशों से आर्थिक पारदर्शिता और एकजुटता के माध्यम से समाधान खोजने का आह्वान किया
अमेरिका के न्यूयॉर्क में इस समय संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) की बैठकें चल रही हैं और पूरी दुनिया की नजर इस बात पर है कि यहां से तमाम देश क्या मैसेज देते हैं. भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर न्यूयॉर्क पहुंचे हैं और संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में अपने आधिकारिक भाषण से पहले कई बैठकों में शामिल हो रहे हैं. विदेश मंत्री ने मंगलवार, 23 सितंबर (स्थानीय समय) को समान विचारधारा वाले वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) देशों की उच्च-स्तरीय बैठक में बोलते हुए कहा कि हम तेजी से अनिश्चित होते समय में मिल रहे हैं जब दुनिया की स्थिति हम सदस्य देशों के लिए बढ़ती चिंता का कारण है, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो इस दशक के पहले 5 सालों में बढ़ गई हैं.
5 साल में ग्लोबल साउथ के सामने चुनौती बढ़ी- जयशंकर
ANI की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दुनिया के सामने ये चुनौतियां कोविड महामारी के झटकों, गाजा और यूक्रेन संकट और कई अन्य कारकों के रूप में सामने आई हैं.
उन्होंने कहा, "हम तेजी से अनिश्चित समय में मिल रहे हैं जब दुनिया की स्थिति सदस्य देशों के लिए बढ़ती चिंता का कारण है. विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो इस दशक की पहले 5 सालों में बढ़ गई हैं. उनमें कोरोना महामारी के झटके, यूक्रेन और गाजा में दो बड़े संघर्ष, चरम जलवायु घटनाएं, व्यापार में अस्थिरता, निवेश के प्रवाह और ब्याज दरों में अनिश्चितता और SDG एजेंडे की विनाशकारी सुस्ती शामिल है."
बहुपक्षवाद के कॉन्सेप्ट पर हमला हो रहा- जयशंकर
यहां विदेश मंत्री जयशंकर ने बहुपक्षवाद के क्षेत्र में समाधान की कमी पर प्रकाश डाला और कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं और अप्रभावी हो गए हैं.
काम की बात- बहुपक्षवाद का अर्थ है कई देश, संगठन या पक्ष किसी एक लक्ष्य को प्राप्त करने या किसी बड़ी समस्या से निपटने के लिए मिलकर काम करते हैं. संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन के लिए सभी देशों का साथ आना बहुपक्षवाद का ही उदाहरण है.
विदेश मंत्री कहा, "दुर्भाग्य से, वहां भी हमें बहुत निराशाजनक संभावना दिख रही है. बहुपक्षवाद की अवधारणा पर हमला हो रहा है. अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अप्रभावी बनाया जा रहा है या संसाधनों की कमी हो रही है. आज की व्यवस्था की बुनियाद टूटने लगी है और बहुत आवश्यक सुधारों में देरी का नुकसान आज स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है."
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ को अब इन मुद्दों पर एकजुट तरीके से विचार करना चाहिए, जिसमें पारदर्शी आर्थिक प्रथाएं (इकनॉमिक प्रैक्टिस) शामिल हैं उन्होंने कहा, "इसलिए समान विचारधारा वाले ग्लोबल साउथ देशों के रूप में, हम आज विश्व मामलों को एकजुट होकर और सिद्धांतों और अवधारणाओं के व्यापक सेट के माध्यम से देखते हैं. और इनमें निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक प्रथाएं शामिल हैं जो उत्पादन का लोकतंत्रीकरण करती हैं और आर्थिक सुरक्षा बढ़ाती हैं." जयशंकर ने ऐसे उपाय प्रस्तावित किए जो वैश्विक दक्षिण के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ाएंगे.
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