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This Article is From May 11, 2020

ब्रिटिश सरकार पर अल्पसंख्यकों में कोविड-19 के अधिक खतरे की स्वतंत्र जांच का दबाव बढ़ा

70 प्रमुख हस्तियों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखा, ब्रिटेन में नस्ली और स्वास्थ्य असमानता को रेखांकित किया

ब्रिटिश सरकार पर अल्पसंख्यकों में कोविड-19 के अधिक खतरे की स्वतंत्र जांच का दबाव बढ़ा
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (फाइल फोटो).
लंदन:

ब्रिटेन की सरकार पर भारतीयों सहित विभिन्न जातीय अल्पसंख्यकों में कोविड-19 के अधिक खतरे के पीछे के कारणों की स्वतंत्र जांच कराने को लेकर रविवार को दबाव बढ़ गया. ब्रिटिश अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यक जताीय समुदाय (बीएएमई) की पृष्ठभूमि वाले करीब 70 प्रमुख हस्तियों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को लिखे पत्र में कहा कि कोविड-19 ने ब्रिटेन में नस्ली और स्वास्थ्य असमानता को रेखांकित किया है.

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ‘‘जन स्वास्थ्य इंग्लैड'' के नेतृत्व में सरकार बीएएमई समूह में कोरोना वायरस के असमान्य प्रभाव की समीक्षा की जा रही है जिसमें पारदर्शिता की कमी है. बीएएमई कार्यकर्ताओं, कलाकारों एवं धार्मिक नेताओं ने पत्र में कहा, ‘‘ केवल स्वतंत्र जांच से उत्तर मिल सकता है जिसकी हमें जरूरत है. ऐसी जांच सभी के लिए जरूरी है, खासतौर पर उनके लिए जिन्होंने महामारी के चलते अपनों को खोया है.''

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की जांच से सरकार सभी हितधारकों को पारदर्शी तरीके से सबूत पेश करने का मौका देगी. इससे ब्रिटेन के बीएएमई समुदाय के लोगों में भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी.'' समूह का मानना है कि इस तरह की जांच से बीएएमई समुदायों पर कोविड-19 के प्रभाव की व्याख्या करने में मदद मिल सकती है क्योंकि कुछ समूहों में श्वेतों की तुलना में चार गुना तक अधिक मौतें हुई हैं. पत्र में 10 डाउनिंग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री कार्यालय) से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) और सामाजिक सेवा क्षेत्र में कार्यरत बीएएमई समुदाय के कर्मचारियों की कोविड-19 से संक्रमण से सामना के स्तर की भी जांच कराने की मांग की गई.

प्रधानमंत्री को यह पत्र ऐसे समय लिखा गया है जब ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) द्वारा इस हफ्ते के शुरू में जारी आंकड़ों में खुलासा हुआ कि भारतीय उन जातीय समूहों में शामिल हैं जिनमें श्वेतों के मुकाबले कोविड-19 से मौत की दर अधिक है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि श्वेत पुरुषों के मुकाबले अश्वेत पुरुषों के कोविड-19 से मौत की आशंका 4.2 गुना अधिक है जबकि श्वेत महिलाओं के मुकाबले अश्वेत महिलाओं की मौत की आशंका 4.3 गुना अधिक है.

इंटेंसिव केयर नेशनल ऑडिट ऐंड रिसर्च सेंटर (आईसीएनएआरसी) के मुताबिक गहन चिकित्सा कक्ष में इलाज करा रहे श्वेतों के मुकाबले अश्चेत मरीजों की मौत होने की आशंका 14 प्रतिशत अधिक है जबकि एशियाई मरीजों की मौत की आशंका 17 प्रतिशत से अधिक है.

डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ वायरस से होने वाली प्रत्येक मौत दुखद है और यह अहम है कि हम उन समूहों की पहचान करें जिन्हें सबसे अधिक खतरा है ताकि खतरे को कम किया जा सके. इसलिए हमने जन स्वास्थ्य इंग्लैंड को विभिन्न पहलुओं जैसे जातीय समूह आदि पर वायरस के असर का अध्ययन करने के लिए अधिकृत किया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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