
- PM मोदी 28 अगस्त को दो दिवसीय जापान यात्रा के लिए निकलेंगे. भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे.
- प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा में दोनों देशों के रक्षा, व्यापार, निवेश और अवसंरचना सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
- भारत और जापान 2000 से वैश्विक साझेदारी और 2014 से विशेष रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं.
PM Modi Japan Visit: भारत और जापान, यह रिश्ता कोई एक दशक या एक शताब्दी का नहीं बल्कि 1400 साल पुराना है. वक्त के साथ इन दोनों देशों की दोस्ती में नए आयाम जुड़ते गए और उसमें और मजबूती आती गई. अब उसी दिशा में एक और कदम आगे बढ़ने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय जापान यात्रा पर आज यानी गुरुवार, 28 अगस्त को रवाना होंगे. इस दौरान वे भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे.
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी, जो रक्षा, व्यापार, निवेश और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगी. पीएम मोदी जापान के बाद सीधे चीन की यात्रा पर जाएंगे जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे.
1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध
भारत और जापान के बीच संबंधों की शुरुआत छठी शताब्दी में हुई जब बौद्ध धर्म भारत से जापान पहुंचा. बौद्ध धर्म ने जापानी संस्कृति को बहुत गहराई से प्रभावित किया है, और इसी कारण जापानी लोगों के मन में भारत के प्रति विशेष लगाव और सम्मान की भावना है. जापान के नारा शहर में टोदाईजी मंदिर में भगवान बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा है, जिसका अभिषेक 752 ईस्वी में भारतीय भिक्षु बोधिसेना ने किया था. यह घटना दोनों देशों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है.
2. भारत और जापान की दोस्ती, पीएम मोदी का खास जोर
भारत और जापान 2000 से वैश्विक साझेदारी और 2014 से विशेष रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं. भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति' और जापान की ‘स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत' (एफओआईपी) पहल एक-दूसरे के पूरक हैं. दोनों देश क्वाड, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन जैसे मंचों पर मिलकर काम करते हैं. जापान भारत का सबसे बड़ा आधिकारिक विकास सहायता दाता है और हिंद-प्रशांत महासागर पहल के संपर्क स्तंभ का नेतृत्व करता है.
प्रधानमंत्री मोदी का यह आठवां जापान दौरा होगा और पीएम इशिबा के साथ पहला शिखर सम्मेलन होगा. इस यात्रा के दौरान दोनों प्रधानमंत्री भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी की समीक्षा करेंगे, जिसमें रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, इनोवेशन और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल हैं.
भारत-जापान संबंध 2006 से नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलनों के जरिए गति पकड़ते रहे हैं. 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारतीय संसद में अपने ऐतिहासिक “दो समुद्रों का संगम” भाषण में साझा मूल्यों पर जोर दिया था. 2013 में जापानी सम्राट अकिहितो और महारानी मिचिको की भारत यात्रा ने सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया. 2014 में आबे गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बने. 2019 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक समारोह में भाग लिया.
2022 में जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत का दौरा कर 5 ट्रिलियन येन (लगभग 42 बिलियन डॉलर) के निवेश का वादा किया और स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी शुरू की. 2023 में किशिदा ने फिर भारत का दौरा किया, जिसमें मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए 300 अरब येन (2.2 अरब डॉलर) की ओडीए (आधिकारिक विकास सहायता) पर हस्ताक्षर हुए. उसी साल सितंबर में किशिदा जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए.
3. रक्षा से व्यापार तक, कई मोर्चों पर एक साथ भारत-जापान
रक्षा सहयोग भारत-जापान साझेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा है. 2008 में सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा, 2015 में सूचना संरक्षण समझौता, और 2020 में आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान समझौते ने इसे मजबूत किया. 2024 में यूनिकॉर्न नौसैनिक मस्तूल का सह-विकास एक नया कदम है. मालाबार, जिमेक्स, और धर्म गार्जियन जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास नियमित रूप से आयोजित होते हैं. 2024 में शुरू हुई आर्थिक सुरक्षा वार्ता ने सहयोग को और गहरा किया.
2023-24 में भारत-जापान द्विपक्षीय व्यापार 22.8 अरब डॉलर तक पहुंचा. भारत रसायन, वाहन और समुद्री भोजन निर्यात करता है, जबकि जापान से मशीनरी और इस्पात आयात होता है. जापान 43.2 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ भारत में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक है. लगभग 1,400 जापानी कंपनियां भारत में सक्रिय हैं और 100 से अधिक भारतीय कंपनियां जापान में काम कर रही हैं. डिजिटल सहयोग, स्वच्छ ऊर्जा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है.
जापान 1958 से भारत का सबसे बड़ा ओडीए दाता है, जिसने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल जैसी परियोजनाओं को समर्थन दिया. 2023 में इस परियोजना के लिए 300 अरब येन की सहायता दी गई. पर्यटन और पर्यावरण पहल भी सहयोग का हिस्सा हैं. यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगी, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है.
4. पीएम मोदी के जापान एजेंडा में क्या?
पीएम मोदी और इशिबा एक साथ बुलेट ट्रेन में बैठकर सेंदाई की यात्रा करने की भी उम्मीद है. यह शहर सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है. अपनी पहली मुलाकात में, प्रधान मंत्री मोदी और इशिबा मुंबई-अहमदाबाद मार्ग से परे, भारत में भविष्य की बुलेट ट्रेन परियोजनाओं में जापान की भागीदारी कैसे हो सकती है, इसका पता लगाएंगे.
इसके अलावा, दोनों देश सुरक्षा सहयोग पर 2008 के संयुक्त घोषणापत्र को भी अपग्रेड करेंगे. साथ ही सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिज, आर्टिफिशियर इंटेलिजेंस (AI), दूरसंचार और स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक आर्थिक सुरक्षा पहल शुरू करेंगे.
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