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LAC पर शांति, आपसी भरोसा और सम्मान हमारे लिए जरूरी : चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बोले PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2019 में आखिरी बार मिले थे. फिर 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए. ऐसे में 5 साल बाद कजान में PM मोदी और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हो रही है.

कजान:

रूस के कजान शहर में 16वें BRICS समिट का बुधवार को दूसरा दिन है. प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने क्लोज प्लेनरी मीटिंग के बाद ब्रीफिंग दी. इसके बाद ब्रिक्स समिट से इतर PM मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय मसलों को लेकर चर्चा हुई. जिनपिंग से मुलाकात के बाद PM मोदी ने फिर से शांति की बात दोहराई. उन्होंने कहा, "LAC पर शांति-स्थिरता हमारी प्राथमिकता है. मुझे विश्वास है कि हम आगे भी खुले मन से चर्चा करेंगे. हमारी चर्चा कंस्ट्रक्टिव होगी."

PM मोदी ने कहा, "हम 5 साल बाद औपचारिक रूप से बैठक कर रहे हैं. पिछले 4 सालों में सीमा पर पैदा हुई. समस्याओं पर जो सहमति बनी है, उसका हम स्वागत करते हैं. सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए."
 

मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए- चीनी राष्ट्रपति
वहीं, जिनपिंग ने कहा, "दोनों देशों को अपने मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए. भारत और चीन को अपने संबंधों को सामान्य बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए. तभी दोनों देश अपने विकास के टार्गेट को पूरा कर पाएंगे."

कम्युनिकेशन और को-ऑपरेशन जरूरी- जिनपिंग
शी जिनपिंग ने कहा, "दोनों पक्षों के लिए ज्यादा कम्युनिकेशन और सहयोग करना, हमारे मतभेदों और असहमतियों को उचित रूप से संभालना और एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने में सुविधा प्रदान करना महत्वपूर्ण है. दोनों पक्षों के लिए हमारी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारी निभाना, विकासशील देशों की ताकत और एकता को बढ़ावा देने के लिए एक उदाहरण स्थापित करना जरूरी है. हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहु-ध्रुवीकरण और लोकतंत्र को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहते हैं."

गलवान झड़प के बाद पहली बार हुई द्विपक्षीय मुलाकात
इससे पहले मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी बार 2019 में द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी. फिर 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए. हालांकि, मोदी और जिनपिंग के बीच आखिरी बार 2022 में इंडोनेशिया के बाली में G20 समिट के दौरान मुलाकात हुई थी. पिछले साल साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुई BRICS समिट में दोनों नेता मिले थे. लेकिन दोनों के बीच द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई थी.

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नई दिल्ली में हुए G-20 समिट में नहीं आए थे जिनपिंग
भारत ने जब 2023 में G-20 की मेजबानी की, तब जिनपिंग इसमें शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने अपने प्रतिनिधि को नई दिल्ली भेजा था.अब 5 साल बाद कजान में PM मोदी और जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई.

मोदी ने शेयर की जिनपिंग के साथ तस्वीरें

PM मोदी ने X प्लेटफॉर्म पर शी जिनपिंग से मुलाकात की तस्वीरें भी शेयर की हैं. मोदी ने लिखा, "कजान में चल रहे ब्रिक्स समिट से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई. हमारे लिए भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध अहम हैं. रीजनल और ग्लोबल लेवल पर शांति-स्थिरता के लिए भी ये महत्व रखता है. आपसी भरोसा, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे द्विपक्षीय संबंधों को रास्ता दिखाते रहेंगे."

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
मोदी-जिनपिंग की बातचीत के बाद भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने मीडिया ब्रीफिंग दी. मिस्री ने बताया कि दोनों नेताओं की 5 साल बाद बातचीत हुई है. दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग समझौते का स्वागत किया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "भारत और चीन के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए स्पेशल रिप्रिजेंटेटिव नियुक्त किए गए है. भारत की तरफ से NSA अजीत डोभाल और चीन की तरफ से विदेश मंत्री वांग यी इन मामलों को सुलझाएंगे. ये दोनों जल्द ही औपचारिक बैठक करेंगे.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है. इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे.

क्या चीन पर भरोसा करना सही?
इस दौरान एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद क्या ये कहा जा सकता है की भारत और चीन के बीच रिश्ते अब सामान्य हो गए हैं. ऐसे में क्या चीन पर भारत अभी भरोसा कर सकता है? इस सवाल के जवाब में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि पिछले दो दिन में जो कदम हमने उठाए गए हैं, वो हमारे सामने हैं. इन पर जो काम हुआ है वो काफी समय से चल रहा है. इनसे हमारी एक तरह से जो प्रक्रिया है सामान्य रिश्ते बनाने के लिए, वो यात्रा एक तरह से चल पड़ी है. जो पीछे अभी समझौता हुआ है उससे सीमा पर शांति का रास्ता खुल गया है...जहां तक चीन पर भरोसे का सवाल है, जो हम दोनों के बीच आगे चल के प्रतिक्रिया होगी, हमे आशा है कि उससे दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा."

भारत-चीन के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर हुआ समझौता
मोदी और जिनपिंग की मुलाकात LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौते पर बनी सहमति के 72 घंटे से भी कम समय के अंदर हुई. भारत और चीन ने सोमवार को LAC पर तनाव को कम करने के लिए एक अहम समझौते पर सहमति जताई है. इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख के 2 पॉइंट डेपसांग और डेमचॉक से पीछे हटेंगे. दोनों पॉइंट पर अप्रैल 2020 जैसी स्थिति बहाल होगी. भारतीय जवान इन दो पॉइंट पर पेट्रोलिंग कर सकेंगे. अभी विवाद के कारण भारतीय सेना यहां पेट्रोलिंग नहीं कर पाती है.

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LAC पर तनाव कम करने के लिए कितने दौर की हुई बातचीत?
LAC पर तनाव कम करने के लिए कोर कमांडर लेवल की 21 दौर की बातचीत हुई. 2020 में 8, 2021 में 5, 2022 में 4, 2023 में 3 और 2024 में फरवरी में वार्ता हुई थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कई स्तर पर बातचीत हुई. फिर जुलाई और अगस्त में इस साल दो बार दोनों नेता मिले. सितंबर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और वांग की भी मुलाकात हुई. अब इन बैठकों का सकारात्मक नतीजा सबके सामने है.

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