
- यूक्रेन में युद्ध के बीच आर्ट ऑफ लिविंग ने शांति और मानसिक स्वास्थ्य सुधार के लिए राहत सत्र आयोजित किए हैं.
- यूक्रेनी सेना के घायल अधिकारियों ने ब्रीदिंग और ध्यान तकनीकों से तनाव और डर को कम किया है.
- यूक्रेन के सैन्य नेतृत्व ने श्री श्री रविशंकर को उनके कार्यों के लिए सार्वजनिक मान्यता और सम्मान दिया.
पिछले करीब साढ़े तीन सालों से यूक्रेन जंग में रूस का सामना कर रहा है. एक क्रूर युद्ध की छाया में, जहां शहर के शहर खंडहर में बदल गए हैं और नागरिकों कभी न भूल सकने वाली चोटों और अकल्पनीय आघात का सामना कर रहे हैं, वहां दया की एक शांत और किसी को नजर न आने वाली एक क्रांति लोगों का जीवन बदलने में लगी हुई है. आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने यूक्रेन में हथियारों की मार झेलते लोगों को के दुखों को खत्म करने का एक प्रयास किया है.

जब धीरे-धीरे बदलने लगीं चीजें
फाउंडेशन की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि जब यूक्रेनी सेना के अधिकारी पहली बार आर्ट ऑफ लिविंग के राहत सत्रों में आए तो वहां मौजूद लोगों के लिए नजारा काफी डराने और परेशान करने वाला था. आर्ट ऑफ लिविंग के एक शिक्षक ने बताया, 'उन्हें देखकर मेरा दिल टूट गया. उनके हाथ, पैर और पीठ घायल थे. उनकी आंखों का डर और खालीपन मुझ पर भारी पड़ रहा था.' लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदलने लगीं और कुछ असाधारण सा होने लगा.

आर्ट ऑफ लिविंग की ब्रीदिंग और ध्यान तकनीक सीखने के बाद, इन्हीं अधिकारियों ने बताया कि वे 'शांत, स्ट्रेसफ्री, फोकस्ड और सुरक्षित' महसूस करने लगे हैं. युद्ध के दिखाई देने वाले घाव - खालीपन, क्रोध और दुःख - धीरे-धीरे कम होने लगे थे. इसका प्रभाव इतना गहरा रहा है कि यूक्रेन के सैन्य नेतृत्व ने श्री श्री रविशंकर की ओर से हो रहे कामों को सार्वजनिक तौर पर मान्यता दी और उन्हें सम्मानित किया.
कमांडर से मिला सम्मान
बटालियन कमांडर ने गुरुदेव को मानद पुरस्कार प्रदान किया. अपने सैनिकों की ओर से बोलते हुए, उन्होंने कहा, 'गुरुदेव! हमारे जवानों को मिले ज्ञान और कार्यक्रमों के लिए हम आपके आभारी हैं. जब बम गिरे, तो हममें से कई लोग लड़ने के लिए उठ खड़े हुए. लेकिन कोई भी इस सिक्के के दूसरे पहलू के बारे में बात नहीं करता—नुकसान, क्रोध और घृणा का वह विशाल खालीपन जिसमें हम 24 घंटे रहते हैं. आर्ट ऑफ लिविंग के पाठ्यक्रमों के बाद, हमारा जीवन बदलने लगा. यहां तक कि गंभीर रूप से घायल लोग भी अब भविष्य के लिए योजनाएं बनाते हैं. उनकी आंखों में फिर से जान आ जाती है.'
ब्रीदिंग टेक्निक से मिला जीवन
यूक्रेन की सैनिक नतालिया जो साल 2014 से मिलिट्री का हिस्सा हैं और पहली रेजिमेंट में एमपीजेड (नैतिक और मनोवैज्ञानिक सहायता) के कर्तव्यों का पालन करती हैं; ने लगातार ड्रोन फायरिंग के बीच 80 सेंटीमीटर की छोटी खाइयों में छिपे सैनिकों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने एक सैनिक की कहानी सुनाई जो डर के आगे एकदम लाचार हो गया था.

वह युद्ध में बच गया क्योंकि उसे आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों में सिखाई गई एक आसान ब्रीदिंग टेक्निक बेहतरी से याद थी. उन्होंने बताया कि वह अपनी पलकें भी नहीं हिला पा रहे थे और फिर उन्हें ब्रीदिंग टेक्निक की याद आई. अब वह कहते हैं कि वह लगातार इसका प्रयोग कर रहे हैं. उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि इस टेक्निक ने न सिर्फ उनकी जान बचाई, बल्कि वह अपनी यूनिट के 4 और लोगों की भी रक्षा करने में सक्षम रहे.

8 हजार से ज्यादा लोगों का सहारा
साल 2022 से, आर्ट ऑफ लिविंग ने 8,000 से ज्यादा लोगों - सैनिकों, विस्थापित नागरिकों और कब्जे वाले क्षेत्रों के बच्चों - के लिए कार्यक्रम आयोजित किए हैं. आर्ट ऑफ लिविंग के वॉलेंटियर्स अपनी जान जोखिम में डालकर वहां लोगों का इलाज कर रहे हैं. एक ट्रेनर ने बताया कि इस समय जिन लोगों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, उनकी मदद करना एक सम्मान और गहरी प्रेरणा है.'
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