पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉ अब्दुस सलाम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ अब्दुस सलाम को अब जाकर उनके मुल्क ने वह सम्मान देकर अपनी भूल सुधारने की कोशिश की है, जिसके वह जीते जी हक़दार थे. इसके तहत पिछले दिनों प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने इस्लामाबाद की कायदे-आज़म यूनिवर्सिटी के नेशनल सेंटर ऑफ फिजिक्स विभाग का नाम उनके ऊपर रखने का फैसला किया है. यह वही यूनिवर्सिटी है जहां सलाम को अपमान का दंश झेलना पड़ा था. सिर्फ इतना ही नहीं फिजिक्स में उच्च शिक्षा के लिए हर साल सरकार द्वारा पांच छात्रों को दी जाने वाली फेलोशिप कार्यक्रम का नाम भी प्रोफेसर अब्दुस सलाम फेलोशिप रखने का फैसला किया गया है.
विरोध की वजहें
दरअसल अब्दुस सलाम पाकिस्तान के अहमदिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे. इस समुदाय को पाकिस्तान में 'मुस्लिम' का दर्जा नहीं मिला है. 1974 में एक कानून के तहत इस समुदाय को गैर-इस्लामी घोषित कर दिया गया था. नतीजतन उनको भी गैर-मुस्लिम कहा गया और उनको अपेक्षित सम्मान से वंचित कर दिया गया.
ऐसे ही एक वाकये के तहत 1980 में नोबेल पाने के बाद कायदे-आजम यूनिवर्सिटी में एक सम्मान समारोह रखा गया लेकिन कट्टरपंथी ताकतों के विरोध-प्रदर्शनों की वजह से कैंपस में प्रवेश नहीं कर सके. इतना ही नहीं बल्कि इस वजह से उनके कब्र पर लिखी इबारत में से 'मुस्लिम' शब्द को हटा दिया गया था.
कौन थे अब्दुस सलाम
फिजिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1979 में उनको नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया था. वह विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले पाकिस्तान के पहले और किसी इस्लामिक मुल्क के दूसरे वैज्ञानिक थे. 1926 में अविभाजित भारत के झांग क्षेत्र के एक गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ था. अपनी असाधारण प्रतिभा के दम पर वह देश के अग्रणी बौद्धिक जमात में शामिल हुए और पार्टिकल फिजिक्स में इलेक्ट्रोवीक यूनिफिकेशन थ्योरी को विकसित करने में अहम योगदान देने के लिए नोबेल सम्मान से नवाजे गए. 1996 में उनका इंतक़ाल हो गया.
विरोध की वजहें
दरअसल अब्दुस सलाम पाकिस्तान के अहमदिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे. इस समुदाय को पाकिस्तान में 'मुस्लिम' का दर्जा नहीं मिला है. 1974 में एक कानून के तहत इस समुदाय को गैर-इस्लामी घोषित कर दिया गया था. नतीजतन उनको भी गैर-मुस्लिम कहा गया और उनको अपेक्षित सम्मान से वंचित कर दिया गया.
ऐसे ही एक वाकये के तहत 1980 में नोबेल पाने के बाद कायदे-आजम यूनिवर्सिटी में एक सम्मान समारोह रखा गया लेकिन कट्टरपंथी ताकतों के विरोध-प्रदर्शनों की वजह से कैंपस में प्रवेश नहीं कर सके. इतना ही नहीं बल्कि इस वजह से उनके कब्र पर लिखी इबारत में से 'मुस्लिम' शब्द को हटा दिया गया था.
कौन थे अब्दुस सलाम
फिजिक्स के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1979 में उनको नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया था. वह विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले पाकिस्तान के पहले और किसी इस्लामिक मुल्क के दूसरे वैज्ञानिक थे. 1926 में अविभाजित भारत के झांग क्षेत्र के एक गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ था. अपनी असाधारण प्रतिभा के दम पर वह देश के अग्रणी बौद्धिक जमात में शामिल हुए और पार्टिकल फिजिक्स में इलेक्ट्रोवीक यूनिफिकेशन थ्योरी को विकसित करने में अहम योगदान देने के लिए नोबेल सम्मान से नवाजे गए. 1996 में उनका इंतक़ाल हो गया.
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