
- ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका ने हमला कर दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी और कहा कि अमेरिकी सेना ने ईरान के 3 न्यूक्लियर प्लांट- फोर्डो, नतांज और एस्फहान पर हमला किया है. बता दें कि इजरायल और ईरान के बीच युद्ध चल रहा है और दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. दोनों देश लगातार एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं. वहीं अब इस युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो गई.
- 13 जून को इजरायल के ईरान पर हमलों के बाद से अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ और ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कई बार फोन पर बात की थी. ताकि इस संकट का राजनयिक समाधान निकाला जा सके. लेकिन अब अमेरिका ने ईरान पर सीधे तौर पर हमला कर दिया है.
- मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ दिनों पहले ही ट्रंप ने ईरान पर हमले की योजनाओं को मंजूरी दी थी. हालांकि, ईरान द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ने की स्थिति में उन्होंने अंतिम फैसला टाल दिया था.
- हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता को धमकी देते हुए दावा किया था कि उन्हें पता है कि वह कहां छिपे हैं. ट्रंप ने दावा किया वह ईरान के शीर्ष (धार्मिक) नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को ‘‘आसानी से निशाना'' बना सकते हैं.
- ट्रंप की धमकी पर ईरान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अगर अमेरिका इजरायल के साथ युद्ध में शामिल होता है तो यह ‘सभी के लिए बहुत खतरनाक' होगा.
- ट्रंप ने ईरानी नेता से बिना शर्त आत्मसमर्पण करने की मांग की थी. दो दिन पहले ही व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो सप्ताह में ईरान पर हमला करने का आदेश देंगे या नहीं, इस पर फैसला करेंगे.
- लेविट ने गुरुवार को ट्रंप की ओर से एक बयान पढ़ा था. जिसमें कहा था कि "अगर ईरान के साथ कोई राजनयिक समझौता होता है, तो ईरान को यूरेनियम संवर्धन पर सहमत होना होगा और उसे परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं होगी."
- जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने अपना रुख कड़ा करते हुए ईरान से पूरी तरह अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ने की मांग की है
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