- पाकिस्तान की सरकार ने 27वें संविधान संशोधन में सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा.
- देश के विशेषज्ञों का मानना संशोधन से सुप्रीम कोर्ट की भूमिका सीमित होकर वह एक जिला अदालत के स्तर पर रह जाएगी.
- संशोधन में हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के ट्रांसफर और नियुक्ति में सरकार के नियंत्रण को बढ़ाने के प्रावधान शामिल.
पाकिस्तान की सीनेट में शनिवार को पेश किए गए 27वें संविधान संशोधन बिल के शुरुआती ड्राफ्ट को लेकर बवाल बढ़ता ही जा रहा है. देश के कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से असल में देश के सर्वोच्च न्यायिक मंच के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की जगह ही खत्म हो जाएगी. देश के कानून विशेषज्ञों की मानें तो उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि यह बदलाव, वास्तव में, देश के सर्वोच्च न्यायिक मंच के तौर पर सुप्रीम कोर्ट को उसके स्थान से ही हटा देगा. इसकी जगह प्रस्तावित संघीय संवैधानिक न्यायालय (FCC) को मिल जाएगी.
जिला अदालत बन जाएगा सुप्रीम कोर्ट!
अखबार डॉन ने नाम न बताने की शर्त पर एक सीनियर वकील के हवाले से लिखा, 'सामान्य दीवानी, फौजदारी और वैधानिक अपीलों पर निर्णय लेने के सीमित अधिकार क्षेत्र के साथ, सर्वोच्च न्यायालय एक 'सर्वोच्च जिला अदालत' ही रह जाएगा.' उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार अब कानून में संशोधन कर सकती है. उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार अब चुनाव अधिनियम 2017 और बाकी कानूनों में संशोधन करके अपीलों को सुप्रीम कोर्ट की जगह संघीय न्यायिक आयोग (FCC) में भेज सकती है. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 175 में संशोधन न्यायपालिका को पूरी तरह से खत्म कर देना है. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान के जरिये से अप्रासंगिक बनाकर संशोधन की मदद से हटा दिया गया है.
सरकार का होगा नियंत्रण
पूर्व अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल तारिक महमूद खोखर के अनुसार पहले तो संविधान में एक नए चैप्टर 1A को शामिल किया जा रहा है. यह हाईकोर्ट्स के न्यायाधीशों के ट्रांसफर की एक्सटेंड पावर्स के जरिये से सरकार के नियंत्रण को कड़ा करता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट को शक्तिहीन करके मजबूत संघीय न्यायिक आयोग (FCC) की स्थापना करता है. दूसरा, अनुच्छेद 243 में संशोधन, जो औपचारिक रूप से रक्षा बलों के प्रमुख का पद सेना प्रमुख को सौंपता है और संवैधानिक रूप से आजीवन फील्ड मार्शल पद की गारंटी देता है.
विपक्ष करेगा विरोध प्रदर्शन
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में विपक्ष ने शहबाज सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है. साथ ही कहा यह संशोधन 'संविधान की नींव' हिला देगा. विपक्ष ने इसके खिलाफ रविवार से देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है. संशोधन में अनुच्छेद 243 में परिवर्तन का प्रस्ताव है, जिसके तहत 'चेयरमैन ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी' (सीजेसीएससी) के पद को खत्म कर 'चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज' नामक नया पद शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है.
बाकी प्रस्तावों में संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन शामिल हैं. कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने शनिवार को ऊपरी सदन सीनेट में संशोधन पेश किया और सभापति यूसुफ रजा गिलानी ने इसे मतदान से पहले चर्चा के लिए सदन की समिति के पास भेज दिया. सरकार को उम्मीद है कि सोमवार को मतदान होने पर उसे कम से कम 64 सीनेटर का दो-तिहाई बहुमत मिल जाएगा.
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