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मुनीर के गले की हड्डी बना पाकिस्तानी सेना को गाजा भेजने का वादा? समझिए कैसे फंसे

Asim Munir Gaza Plan: असीम मुनीर पिछले एक साल से लगातार सफलता की सीढ़ियां पाकिस्तान में चढ़ते जा रहे हैं, मगर अब वो ऐसी जगह फंस गए हैं, जिससे निकलना उनके लिए बहुत मुश्किल है.

मुनीर के गले की हड्डी बना पाकिस्तानी सेना को गाजा भेजने का वादा? समझिए कैसे फंसे
  • अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान को गाजा में सैन्य तैनाती का प्रस्ताव देने की बात कही है
  • पाकिस्तान की जनता, मीडिया, सेना और राजनीतिक दल फील्ड मार्शल असीम मुनीर के खिलाफ एकजुट होकर नाराजगी जता रहे हैं
  • कई मुस्लिम और अरब देशों ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में सेना भेजने से इनकार कर दिया है
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Asim Munir Gaza Plan: अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो के एक बयान से पूरे पाकिस्तान में सत्ता हिल रही है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर इंसान फील्ड मार्शल असीम मुनीर के खिलाफ लोग सड़कों तक पर उतर गए. पाकिस्तानी सेना भी इस मुद्दे पर बंटी हुई दिखाई दे रही है. वहीं राजनीतिक दलों और खासकर मुनीर को इतना ताकतवर बनाने वाली सरकार भी इससे असहमत दिख रही है. ऐसे में मुनीर अब फंसते दिख रहे हैं.

शुक्रवार को मार्को रुबियो ने बयान दिया, 'हम पाकिस्तान के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने इसका हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया है या कम से कम इसका हिस्सा बनने पर विचार करने को कहा है.' मार्को रुबियो ट्रंप के प्लान के तहत पाकिस्तानी सेना को गाजा भेजने की बात कर रहे थे.

मुनीर से सब नाराज

ये वो बयान है जिसने पाकिस्तान की जनता, मीडिया, सेना, सरकार और अन्य राजनीतिक दलों को एक लाइन में खड़ा कर दिया और सब मुनीर की तरफ देखने लगे. पाकिस्तान में ऐसी खबरें फैलने लगीं कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर निकट भविष्य में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं और गाजा में सैन्य तैनाती पर बातचीत होगी. शनिवार को जब मीडिया में चर्चा ज्यादा बढ़ी तो पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान को सैन्यकर्मी भेजने के लिए नहीं कहा गया है और न ही देश ने अभी तक कोई निर्णय लिया है. इससे पहले, विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा था कि जब तक आईएसएफ के कार्यक्षेत्र स्पष्ट नहीं हो जाते, पाकिस्तान कोई निर्णय नहीं ले सकता, और साथ ही यह भी कहा था कि हमास को निरस्त्र करना हमारा काम नहीं है.

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पाकिस्तानियों के अनुसार, ट्रंप की योजना मुस्लिम देशों को हमास और अन्य प्रतिरोधक समूहों के साथ टकराव के रास्ते पर धकेलने का है. पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा है, अमेरिका वह करने की कोशिश कर रहा है, जो इजरायल करने में विफल रहा. हमारा मानना ​​है कि किसी भी मुस्लिम देश को फिलिस्तीनी समूहों से नहीं लड़ना चाहिए. शायद गाजा योजना के इसी अप्रिय पहलू के कारण कई देशों ने सेना भेजने से इनकार कर दिया है. खबरों के मुताबिक, अजरबैजान, जॉर्डन, मिस्र और अन्य अरब देशों ने कहा है कि मौजूदा हालात में वे अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में सेना भेजने में असमर्थ होंगे. पाकिस्तान को फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों का सामना करने के लिए सेना भेजकर इस आम सहमति और अपने घोषित सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.'

मुनीर को दी जा रही चेतावनी

अखबार ने सरकार को वादे से पलटने का तरीका भी बताया है. उसने लिखा है कि पाकिस्तान ने अतीत में ऐसे कठिन निर्णय लिए हैं. उदाहरण के लिए, सऊदी अरब के भारी दबाव के बावजूद, संसद की सामूहिक समझदारी से पाकिस्तान ने तटस्थता को प्राथमिकता दी और यमन के हुतियों के खिलाफ युद्ध में सेना भेजने से इनकार कर दिया. बाद में देखा जाए तो यह सही निर्णय साबित हुआ. संपादकीय में लिखा है कि इजरायल पर भरोसा नहीं किया जा सकता, और उसने पहले ही संकेत दे दिया है कि वह कब्जे वाले गाजा के महत्वपूर्ण हिस्सों में बने रहने का इरादा रखता है. इसलिए, मुस्लिम और अरब देशों को कब्जे को जारी रखने की अमेरिकी-इजरायली योजना में भागीदार नहीं बनना चाहिए. हमास हथियार डालने को तैयार है, लेकिन केवल तभी जब फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का स्पष्ट मार्ग दिखाई दे.

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मुनीर के सामने क्या मुश्किल

ऐसे में जाहिर है मुनीर के लिए पाकिस्तानी सेना को गाजा भेजने का फैसला लेना अब मुश्किल होता जा रहा है. मगर उनके सामने दिक्कत ये है कि पाकिस्तान में सत्ता पर खुद को मजबूत करने के लिए उन्होंने अमेरिका से ज्यादा ही नजदीकी बढ़ा ली है. चीन उन पर नाराज है. अगर वो पाकिस्तानी सेना को गाजा नहीं भेजते हैं तो ट्रंप भी नाराज हो जाएंगे. सेना के कई जनरल पहले ही उनसे खार खाए बैठे हैं. कारण उनके रहते अब वो कभी पाकिस्तान के सबसे ताकतवर इंसान नहीं बन पाएंगे. ऐसे में मुनीर के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. दूसरी तरफ अगर वो गाजा में सेना भेज देते हैं तो पाकिस्तानी सेना में भी विद्रोह की संभावना है. जनता का तो आक्रोश है ही, साथ ही मुनीर का मुस्लिम कट्टरपंथी होने का लिबास भी जनता के सामने से उतर जाएगा. जिसका नतीजा आज नहीं तो कल मुनीर को ही चुकाना होगा.  

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