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This Article is From Dec 08, 2016

एक ही तारीख को दो बड़े देशों के प्रधानमंत्रियों ने दिए इस्तीफे, यह रहीं वजहें...

एक ही तारीख को दो बड़े देशों के प्रधानमंत्रियों ने दिए इस्तीफे, यह रहीं वजहें...
जॉन की और मैटियो रेंजी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली: न्यूजीलैंड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जॉन की ने इस्तीफा दे दिया है. आठ साल तक न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री रहे जॉन ने चार दिसम्बर को अपने इस्तीफे की जानकारी ट्विटर के जरिए दी. हलाकि पांच दिसम्बर को औपचारिक रूप से उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की. पत्रकारों से बात करते हुए भावुक जॉन की ने बताया कि आठ साल तक न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री के रूप में उनका अनुभव काफी शानदार रहा, उनके कार्यकाल में न्यूज़ीलैंड कठिनाई का सामना करते हुए ऊपर उठा. उनके कार्यकाल में न्यूज़ीलैंड वैश्विक मंदी के कठिन दौर से बाहर निकला. जॉन का कहना था कभी-कभी सही निर्णय के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं.

जॉन की ने क्यों दिया इस्तीफा  
न्यूज़ीलैंड में जब भूकंप आया था तब उनकी सरकार ने काफी अच्छा काम किया था. जॉन ने बताया कि आठ साल तक उन्होंने अपने देश के लिए वह सब कुछ किया जो जरूरी था. जॉन ने इसीलिए इस्तीफा दे दिया क्योंकि वे अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे थे. जॉन का कहना था कि उनकी पत्नी ने कई रातें अकेले बिताईं और कई महत्वपूर्ण अवसरों पर वह अपने पत्नी का साथ नहीं दे पाए. जॉन ने बताया कि उनके बच्चे कब  किशोर से युवा वयस्क हो गए उन्हें पता नहीं चल पाया.

कौन बन सकता है अगला प्रधानमंत्री
डिप्टी  प्रधानमंत्री बिल इंग्लिश के न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री बनने का चांस ज्यादा है. वित्त मंत्री के रूप में इंग्लिश ने काफी अच्छा काम किया है. हलांकि 2002 राष्ट्रीय चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी बुरी तरह हारी थी. जॉन भी खुद चाहते हैं कि बिल इंग्लिश अगले प्रधानमंत्री बनें. एक प्रेस वार्ता में जॉन की यह भी कह चुके हैं कि अगर बिल इंग्लिश अपना नाम आगे बढ़ाएंगे तो वह उनके नाम का समर्थन करेंगे.

इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने भी दिया इस्तीफा
दिसम्बर 5 तारीख को इटली के प्रधानमंत्री मैटियो रेंजी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इटली में हुए जनमत संग्रह में हार के बात प्रधानमंत्री ने इस्तीफा का ऐलान किया. इटली के संविधान में बदलाव को लेकर प्रधानमंत्री ने मांग की थी वह इस जनमत संग्रह द्वारा खारिज हो गया है. इस इस्तीफे के साथ-साथ इटली के राष्ट्रपति किसी नए नेता को प्रधानमंत्री चुनेंगे या इटली में जल्दी चुनाव हो सकता है. इटली के प्रधानमंत्री ने संविधान संशोधन को लेकर जो जनमत संग्रह कराया था उसके खिलाफ करीब 60 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट दिया.

क्यों किया गया था जनमत संग्रह
इटली के प्रधानमंत्री इटली के सीनेट के आकार और शक्ति को कम करना चाहते हैं. 1948 में बानी इटली के संविधान के हिसाब से संसद के दो चैम्बर हैं, हाउस ऑफ डेपुटीज़ और हाउस ऑफ सीनेट. इन दोनों चैम्बरों के सदस्य लोगों के द्वारा सीधे चुनकर आते हैं. दोनों चैम्बरों की लगभग बराबर शक्ति है. कोई भी बिल पास होने के लिए दोनों चैम्बरों की सहमति होना जरूरी है जिसकी वजह से कुछ बिल पास होने में लंबा समय लग जाता है. इन कमियों को दूर करने के लिए इटली के प्रधानमंत्री ने सीनेट के सुधार के लिए जो प्रस्ताव रखा था उसमें यह था कि सीनेटर की संख्या को 315 से घटाकर 100 कर दिया जाए और इन 100 सीनेटरों का चुनाव सीधा न हो. लेकिन विपक्ष इसके खिलाफ था. विपक्ष का कहना था कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है और संविधान में ऐसा संशोधन नहीं होना चाहिए.

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