
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इजरायल और हमास ने गाजा शांति योजना के पहले चरण पर सहमति जताई है
- तेल की कीमतों में गिरावट आई क्योंकि गाजा में सीजफायर और बंधकों की रिहाई का समझौता हुआ है
- गाजा युद्ध के कारण निवेशकों ने तेल आपूर्ति में जोखिम के डर से तेल की कीमतों में वृद्धि देखी थी
दो साल से जंग से जूझते गाजा के लिए गुरुवार, 9 अक्टूबर को एक बड़ी खबर आई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इजरायल और हमास उनकी गाजा शांति योजना के पहले चरण पर सहमत हो गए हैं, दोनों ने इसपर साइन कर दिया है. इजराइल और हमास के बीच की इस सहमति के बाद गुरुवार को शुरुआती कारोबार में तेल की कीमतों में गिरावट आई.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय समयानुसार सुबह के 5.32 बजे ब्रेंट क्रूड वायदा 51 सेंट या 0.77% गिरकर 65.74 डॉलर प्रति बैरल पर था. वहीं यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 55 सेंट या 0.88% गिरकर 62 डॉलर पर आ गया.
आखिर जंग में तेल का दाम क्यों बढ़ जाता है?
गाजा में युद्ध ने तेल की कीमतों को बढ़ाया है क्योंकि निवेशकों ने यह अनुमान लगाया है कि यदि युद्ध एक व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष में बदल गया तो वैश्विक स्तर पर तेल की सप्लाई के लिए संभावित जोखिम होगा. मिडिल ईस्ट मे जंग के फैलने के इसी डर ने तेल के दाम को बढ़ा रखा है.
दूसरी तरफ निवेशक यूक्रेन शांति समझौते पर रुकी हुई प्रगति को रूस के खिलाफ लगातार प्रतिबंध के रूप में देख रहे हैं. इसी वजह से कच्चे तेल की कीमतें बुधवार को लगभग 1% बढ़कर एक सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं.
कुल साप्ताहिक अमेरिकी पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति यानी total weekly U.S. petroleum products supplied अमेरिका में तेल की खपत को मापने का एक पैमाना है. यह पिछले सप्ताह बढ़कर 21.990 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया, जो दिसंबर 2022 के बाद से सबसे अधिक है. बुधवार को ऊर्जा सूचना प्रशासन की एक रिपोर्ट से यह पता चला है.
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