चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (फाइल फोटो)
बीजिंग:
चीन ने भारत के इस रुख को खारिज कर दिया है कि फ्रांस को अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए बिना परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल किया गया था। बीजिंग ने कहा कि फ्रांस एनएसजी का संस्थापक सदस्य है और ऐसे में उसकी सदस्यता को स्वीकार किए जाने का सवाल कहां पैदा होता है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा से पहले चीन ने एनएसजी में भारत को शामिल किए जाने को लेकर 'गहन' बातचीत का आह्वान किया है। कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान ने भी इस 48-सदस्यीय समूह की सदस्यता के लिए अपना दावा पेश किया है और कहा गया है कि उसे बीजिंग का समर्थन हासिल है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन का यही रुख है कि एनएसजी में शामिल होने वाले सभी नए सदस्यों को परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना चाहिए। हुआ ने भारत के इस कथन को खारिज कर दिया कि फ्रांस को एनपीटी पर हस्ताक्षर करने से पहले इस समूह में शामिल किया गया था।
उन्होंने पिछले सप्ताह भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के बयान पर जवाब देते हुए कहा, 'जब फ्रांस एनएसजी में शामिल हुआ तो वह इसका संस्थापक था। इसलिए एनएसजी में स्वीकार करने का मुद्दा ही नहीं है।' हुआ ने कहा, 'एनएसजी एनपीटी पर आधारित अप्रसार व्यवस्था का प्रमुख अंग है। इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में दीर्घकालीन सहमति है और पिछले साल एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में इसे दोहराया गया था।' माना जा रहा है कि मंगलवार से शुरू हो रहे मुखर्जी के चीन दौरे पर एनएसजी की सदस्यता के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा से पहले चीन ने एनएसजी में भारत को शामिल किए जाने को लेकर 'गहन' बातचीत का आह्वान किया है। कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान ने भी इस 48-सदस्यीय समूह की सदस्यता के लिए अपना दावा पेश किया है और कहा गया है कि उसे बीजिंग का समर्थन हासिल है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन का यही रुख है कि एनएसजी में शामिल होने वाले सभी नए सदस्यों को परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना चाहिए। हुआ ने भारत के इस कथन को खारिज कर दिया कि फ्रांस को एनपीटी पर हस्ताक्षर करने से पहले इस समूह में शामिल किया गया था।
उन्होंने पिछले सप्ताह भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के बयान पर जवाब देते हुए कहा, 'जब फ्रांस एनएसजी में शामिल हुआ तो वह इसका संस्थापक था। इसलिए एनएसजी में स्वीकार करने का मुद्दा ही नहीं है।' हुआ ने कहा, 'एनएसजी एनपीटी पर आधारित अप्रसार व्यवस्था का प्रमुख अंग है। इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में दीर्घकालीन सहमति है और पिछले साल एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में इसे दोहराया गया था।' माना जा रहा है कि मंगलवार से शुरू हो रहे मुखर्जी के चीन दौरे पर एनएसजी की सदस्यता के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।
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