स्टैवन्गर:
नार्वे की एक अदालत ने दो अनिवासी भारतीय बच्चों का संरक्षण उनके चाचा को सौंप दिया। इसके साथ ही महीनों से चला आ रहा यह बहुचर्चित विवाद समाप्त हो गया और इस दौरान भारत ने नार्वे पर राजनयिक दबाव भी डाला।
बच्चों की भारत में देखभाल के संबंध में हुआ समझौता सौंपे जाने के बाद अदालत ने अभिज्ञान (तीन) और ऐश्वर्य (एक) का संरक्षण उनके चाचा अरुणभास भट्टाचार्य को सौंप दिया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बच्चे अपने चाचा और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मंगलवार सुबह को भारत पहुंच जाएंगे।
सूत्रों ने यह संकेत भी दिया कि ऐसे समूह भी हैं जो बच्चों को भारत वापस जाने से रोकने का आदेश जारी करने के लिए अपील कर सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि अदालत ने भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर पूर्ण संतोष जताया और बच्चों का संरक्षण उनके चाचा को सौंपने पर सहमत हो गई। अदालत ने कहा कि सांस्कृतिक अंतर को देखते हुए बच्चों के लिए बेहतर होगा कि वे भारत में पलें और बढ़ें।
बच्चों की भारत में देखभाल के संबंध में हुआ समझौता सौंपे जाने के बाद अदालत ने अभिज्ञान (तीन) और ऐश्वर्य (एक) का संरक्षण उनके चाचा अरुणभास भट्टाचार्य को सौंप दिया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बच्चे अपने चाचा और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मंगलवार सुबह को भारत पहुंच जाएंगे।
सूत्रों ने यह संकेत भी दिया कि ऐसे समूह भी हैं जो बच्चों को भारत वापस जाने से रोकने का आदेश जारी करने के लिए अपील कर सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि अदालत ने भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर पूर्ण संतोष जताया और बच्चों का संरक्षण उनके चाचा को सौंपने पर सहमत हो गई। अदालत ने कहा कि सांस्कृतिक अंतर को देखते हुए बच्चों के लिए बेहतर होगा कि वे भारत में पलें और बढ़ें।