
अमेरिका में रहना होगा तो ट्रंप-ट्रंप कहना होगा. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से जो कुछ भी खबरें आ रही हैं, उनसे तो यही लगता है. इस बार निशाने पर अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA आई है, जिसे न चाहते हुए भी ट्रंप के आदेश को मानना पड़ा है. NASA ने जेट प्रोपल्शन लैब की विविधता, समानता और समावेशन या DEI प्रमुख नीला राजेंद्र, जो भारतीय मूल की हैं, को बर्खास्त कर दिया है. स्पेस एजेंसी ने डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश को मानते हुए ऐसा किया है. ट्रंप ने आदेश निकाला था कि ऐसी डाइवर्सिटी पहल (हर तबके को प्रतिनिधित्व देने की पहल) के तहत नौकरी पर रखे सभी व्यक्तियों को हटाना होगा, और देश भर में ऐसे सभी कार्यक्रमों को समाप्त करना होगा.
पिछले सप्ताह NASA की जेट प्रोपल्शन लैब (JPL) द्वारा शेयर किए गए एक ई-मेल अपडेट में कर्मचारियों को नीला राजेंद्र के बाहर निकलने की सूचना दी गई थी. ब्रिटिश अखबार डेली मेल के अनुसार, NASA के JPL के डायरेक्टर लॉरी लेशिन द्वारा भेजे गए ई-मेल में लिखा है, "नीला राजेंद्र अब जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में काम नहीं कर रही हैं. हम हमारे संगठन पर उनके द्वारा किए गए स्थायी प्रभाव के लिए अविश्वसनीय रूप से आभारी हैं. हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं."
गौरतलब है कि नीला राजेंद्र उन मुट्ठी भर कर्मचारियों में से थीं जिनकी नौकरी पिछले साल नहीं निकाली गई थी जब नासा की जेट प्रोपल्शन लैब को गंभीर फंड संकट का सामना करना पड़ा था. उस समय NASA में लगभग 900 अन्य DEI कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त कर दी गईं.
यहां तक कि जब इस साल मार्च में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश के बाद NASA ने अपने विविधता विभाग का शटर गिरा दिया, तब भी नीला राजेंद्र इससे बचने में कामयाब रहीं क्योंकि उनका पदनाम बदल दिया गया था, हालांकि उनकी जिम्मेदारियां वही रहीं. उनके लिए एक बिल्कुल नया विभाग बनाया गया.
हालांकि NASA का यह दांव काम नहीं आया. अप्रैल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई के बाद, उन्हें NASA में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया. यानी पद से हटा दिया.
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