इस आइसबर्ग को ए68 नाम दिए जाने की संभावना है
लंदन:
वैज्ञानिकों ने बुधवार को कहा कि करीब एक खरब टन का हिमशैल (आइसबर्ग) कई महीनों के पूर्वानुमान के बाद अंटार्कटिका से टूटकर अलग हो गया है. यह आइसबर्ग अब तक के दर्ज आंकड़ों में सबसे बड़ा है. अब यह दक्षिणी ध्रुव के आसपास जहाजों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.
लार्सन सी बर्फ की चट्टान से 5800 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा अलग हो जाने से इसका आकार 12 फीसदी से ज्यादा घट गया है और अंटार्कटिक प्रायद्वीप का परिदृश्य हमेशा के लिए बदल गया है.
अंटार्कटिका से हमेशा हिमशैल अलग होते रहते हैं, लेकिन यह क्योंकि खास तौर पर बड़ा है, ऐसे में महासागर में जाने के इसके रास्ते पर निगरानी की जरूरत है. यह नौवहन यातायात के लिये मुश्किलें पैदा कर सकता है.
सालों से पश्चिमी अंटार्कटिक हिम चट्टान में बढ़ती दरार को देख रहे शोधकर्ताओं ने कहा कि यह घटना 10 जुलाई से लेकर 12 जुलाई के बीच किसी समय हुई है. इस हिमशैल को ए68 नाम दिए जाने की संभावना है और यह एक खरब टन से ज्यादा वजनी है. इसका विस्तार सबसे बड़ी लहरों में से एक लेक इरी के विस्तार से दोगुना है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
लार्सन सी बर्फ की चट्टान से 5800 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा अलग हो जाने से इसका आकार 12 फीसदी से ज्यादा घट गया है और अंटार्कटिक प्रायद्वीप का परिदृश्य हमेशा के लिए बदल गया है.
अंटार्कटिका से हमेशा हिमशैल अलग होते रहते हैं, लेकिन यह क्योंकि खास तौर पर बड़ा है, ऐसे में महासागर में जाने के इसके रास्ते पर निगरानी की जरूरत है. यह नौवहन यातायात के लिये मुश्किलें पैदा कर सकता है.
सालों से पश्चिमी अंटार्कटिक हिम चट्टान में बढ़ती दरार को देख रहे शोधकर्ताओं ने कहा कि यह घटना 10 जुलाई से लेकर 12 जुलाई के बीच किसी समय हुई है. इस हिमशैल को ए68 नाम दिए जाने की संभावना है और यह एक खरब टन से ज्यादा वजनी है. इसका विस्तार सबसे बड़ी लहरों में से एक लेक इरी के विस्तार से दोगुना है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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