अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की फाइल फोटो
द हेग:
मार्शल द्वीपसमूह मार्च में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत को भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी मामला चलाने के लिए मनाने की कोशिश करेगा। इस द्वीप समूह का आरोप है कि ये देश परमाणु हथियारों की होड़ समाप्त करने में विफल रहे हैं।
देशों के बीच के कानूनी झगड़ों का निपटान करने के लिए वर्ष 1945 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बीते शुक्रवार को घोषणा की कि तीन मामलों की अलग-अलग सुनवाई सात मार्च से 16 मार्च के बीच की जाएगी।
भारत और पाकिस्तान के खिलाफ लाए गए मामलों में न्यायालय यह देखेगा कि द हेग स्थित न्यायाधिकरण इन मामलों की सुनवाई के लिए समर्थ है भी या नहीं। वहीं ब्रिटेन से जुड़ी सुनवाई में लंदन द्वारा उठाई गई 'प्रारंभिक आपत्तियों' पर गौर किया जाएगा। बाद में यह फैसला किया जाएगा कि मामला चलाया जा भी सकता है कि नहीं।
वर्ष 2014 में मार्शल द्वीपसमूह ने नौ देशों पर आरोप लगाया था कि वे एक तय तिथि पर परमाणु हथियारों की होड़ बंद कर देने और परमाणु निशस्त्रीकरण के अपने वादे पूरे नहीं कर रहे। इन नौ देशों में चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, इस्राइल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस और अमेरिका शामिल हैं।
मार्शल द्वीपसमूह प्रशांत महासागर का एक क्षेत्र है, जहां 55 हजार लोग रहते हैं। इस द्वीपसमूह की सरकार ने कहा कि द्वीपसमूह ने दुनिया की बड़ी परमाणु शक्तियों को अदालत में लेकर जाने का फैसला किया है, 'क्योंकि उन्हें परमाणु हथियारों के बुरे परिणामों के बारे में खास तौर पर जानकारी है।'
देशों के बीच के कानूनी झगड़ों का निपटान करने के लिए वर्ष 1945 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने बीते शुक्रवार को घोषणा की कि तीन मामलों की अलग-अलग सुनवाई सात मार्च से 16 मार्च के बीच की जाएगी।
भारत और पाकिस्तान के खिलाफ लाए गए मामलों में न्यायालय यह देखेगा कि द हेग स्थित न्यायाधिकरण इन मामलों की सुनवाई के लिए समर्थ है भी या नहीं। वहीं ब्रिटेन से जुड़ी सुनवाई में लंदन द्वारा उठाई गई 'प्रारंभिक आपत्तियों' पर गौर किया जाएगा। बाद में यह फैसला किया जाएगा कि मामला चलाया जा भी सकता है कि नहीं।
वर्ष 2014 में मार्शल द्वीपसमूह ने नौ देशों पर आरोप लगाया था कि वे एक तय तिथि पर परमाणु हथियारों की होड़ बंद कर देने और परमाणु निशस्त्रीकरण के अपने वादे पूरे नहीं कर रहे। इन नौ देशों में चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, भारत, इस्राइल, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस और अमेरिका शामिल हैं।
मार्शल द्वीपसमूह प्रशांत महासागर का एक क्षेत्र है, जहां 55 हजार लोग रहते हैं। इस द्वीपसमूह की सरकार ने कहा कि द्वीपसमूह ने दुनिया की बड़ी परमाणु शक्तियों को अदालत में लेकर जाने का फैसला किया है, 'क्योंकि उन्हें परमाणु हथियारों के बुरे परिणामों के बारे में खास तौर पर जानकारी है।'
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