पाकिस्तान का लाहौर अब दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. एक प्राइवेट टेक्नोलॉजी कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का सबसे घनी आबादी वाला लाहौर शहर सोमवार को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा. एक हफ्ते में ऐसा दूसरी बार हुआ है, जहां धुंध का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों से कहीं अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. बात यहीं तक होती तो ठीक रहता लेकिन लाहौर में जो स्मॉग गन लगाई हैं, उन्हें चलाने के लिए भी अब पानी भी नहीं बचा है.
लाहौर की तस्वीर डराने वाली
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर का अपना एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) नहीं है. हालांकि प्रांतीय सरकार का कहना है कि वह स्मॉग आपातकालीन योजना को सक्रिय रूप से लागू कर रही है, विशेष रूप से लाहौर में. आईक्यूएयर के नामक कंपनी के मुताबिक लाहौर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खतरनाक स्तर 312 तक पहुंच गया. शहर की आबो हवा में सबसे हानिकारक कण पीएम 2.5 की सांद्रता 190.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई. आईक्यूएयर ने एक बयान में कहा, 'यह स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वार्षिक वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश से 25 गुना ज्यादा है. लाहौर का ‘रियल-टाइम स्टेशन रैंकिंग' और भी डरावनी तस्वीर पेश कर रही है.
बच्चों, बुजुर्गों पर खतरा
शहर के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर ‘खतरनाक' के स्तर को पार कर गए हैं.' बयान में कहा गया है कि सोमवार रात 10 बजे लाहौर वायु प्रदूषण के मामले में प्रमुख शहरों की वैश्विक सूची में शीर्ष पर रहा, तथा उसने दिल्ली (एक्यूआई 220) और कोलकाता (एक्यूआई 170) जैसे अन्य स्थानों को पीछे छोड़ दिया. लाहौर की हवा में पीएम 2.5 की सांद्रता वैश्विक अनुमन्य सीमा पांच प्रति घन मीटर से कई गुना अधिक है. इसने सांस और दिल से जुड़ी बीमारियों के साथ-साथ अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ रहा है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए.
हो जाएगा पानी का संकट
लाहौर, जो पहले से ही तेजी से घटते ग्राउंडवॉटर संकट का सामना कर रहा है वहां पर प्रांतीय सरकार के वॉटर कैनन या एंटी-स्मॉग गन का प्रयोग संकट को दोगुना कर सकता है. पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रसे ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने स्मॉग और एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए इनके प्रयोग का आदेश दिया है. लेकिन अब इनके इस्तेमाल की वजह से पानी की कमी के नए खतरे का सामना कर सकता है.
लाहौर की अलग-अलग सड़कों पर वॉटर कैनन वाली गाड़ियां धूल और पार्टिकुलेट मैटर को कम करने के लिए हवा में वॉटर स्प्रे करती हुई देखी जा सकती हैं. शुरुआती दौर में, अलग-अलग इलाकों में ट्रायल के तौर पर पंद्रह गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. हर वॉटर कैनन में 12,000 लीटर पानी आ सकता है और यह एक घंटे में अपना स्प्रे करने का साइकिल पूरा कर लेती है. वाटर कैनन चलाने के लिए हर दिन 2.2 लाख लीटर पानी की जरूरत होगी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं