
- पाकिस्तान के पंजाब में भारी बारिश से रावी नदी का जलस्तर बढ़कर करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पानी में डूब गया है.
- करतारपुर कॉरिडोर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, जिससे सिख तीर्थयात्रियों की आवाजाही प्रभावित हुई है.
- रावी नदी का जलस्तर साल 1955 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है, जिससे व्यापक बाढ़ की स्थिति है.
मॉनसून की बारिश सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी जमकर कहर ढा रही है. बारिश की जो तस्वीरें आ रही हैं, वो काफी डराने वाली हैं. सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक ऐतिहासिक करतारपुर साहिब कॉरिडोर भी रावी नदी के बाढ़ के पानी में आंशिक तौर पर डूब गया है. पाकिस्तान का पंजाब प्रांत एक दशक से भी ज्यादा समय बाद आई सबसे भयानक बाढ़ से जूझ रहा है. पंजाब के नारोवाल जिले से आई तस्वीरों में गुरुद्वारा दरबार साहिब परिसर पानी में डूबा हुआ नजर आ रहा है. सफेद संगमरमर से बने परिसर में तीन से चार फीट तक पानी भर गया है.
गर्भगृह में पहुंचा पानी
बाढ़ का पानी गुरुद्वारे के गर्भगृह में भी घुस गया है. हालांकि अधिकारियों ने पुष्टि की है कि गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्वरूप और सेवादारों को सुरक्षित रूप से पहली मंजिल पर पहुंचा दिया गया है. स्थिति बिगड़ने पर उन्हें निकालने के लिए बचाव दल तैयार हैं. बाढ़ के कारण करतारपुर कॉरिडोर को बंद करना पड़ा है. यह गुरुद्वारा पाकिस्तान को भारत के पंजाब में स्थित गुरदासपुर जिले से जोड़ता है और सिख तीर्थयात्रियों को वीजा फ्री एंट्री की मंजूरी देता है. गुरदासपुर के अधिकारियों ने कहा कि कॉरिडोर के कुछ हिस्से पानी में डूबे हुए हैं और परिचालन रोक दिया गया है.

पंजाब में बाढ़ से तबाही
पाकिस्तान के लाहौर, कसूर, सियालकोट, फैसलाबाद, नारोवाल और ओकारा में बचाव कार्यों में सहायता के लिए सेना को बुलाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि रावी नदी का जल स्तर में साल 1955 के बाद और शाहदरा में 1988 के बाद से सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. रिकॉर्ड तोड़ बारिश और भारत की तरफ से बांधों से पानी छोड़े जाने के चलते पाकिस्तान में भी बाढ़ का संकट गहरा गया है. यहां के जस्सर में, रावी नदी में 2,00,000 क्यूसेक से ज्यादा पानी बह रहा है, और रात भर में लाहौर के शाहदरा में इसका बहाव चरम पर था.

भारत ने किया था अलर्ट
अधिकारियों ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है, जिसमें निचले इलाकों में भीषण बाढ़ आने की चेतावनी दी गई है. इससे परिवार विस्थापित हो सकते हैं, और पशुधन और फसलें पहले ही नष्ट हो चुकी हैं. पाकिस्तान के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि भारत द्वारा सीमा पार की नदियों में उफनते बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गांवों से दो लाचउ से ज्यादा लोगों को निकाला गया है. इससे पूरे क्षेत्र में 'बहुत तेज से लेकर असाधारण रूप से तेज' बाढ़ की आशंका पैदा हो गई है. दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, नई दिल्ली ने इस्लामाबाद को बाढ़ जैसी स्थिति के बारे में पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी.
सियालकोट में बिगड़ी स्थिति
पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि सतलुज, रावी और चिनाब नदियों के किनारे निचले इलाकों से लोगों को निकालने का काम जारी है और पाकिस्तानी सेना बचाव कार्यों में मदद कर रही है. विस्थापित लोगों के लिए राहत शिविर स्थापित किए गए हैं. सियालकोट में मूसलाधार बारिश ने 49 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इससे शहर का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया है और निवासी फंस गए हैं.
पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) के अनुसार, 24 घंटों के भीतर 363.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 1976 के बाद से सबसे भारी बारिश है. भारत की तरफ से रावी, चिनाब और सतलुज नदियों में पानी छोड़े जाने से स्थिति और बिगड़ गई है. इससे इनके किनारे बसे कई इलाकों में बाढ़ आ गई है. पूरे के पूरे गांव, खेत और खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं. निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
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