- जापान के सैकड़ों नागरिक सरकार की जलवायु परिवर्तन पर निष्क्रियता को असंवैधानिक मानते हुए मुकदमा दायर कर रहे हैं
- यह पहला मामला है जिसमें जापान सरकार से जलवायु संकट पर अपर्याप्त कदमों के लिए मुआवजे की मांग की गई है
- वादियों का कहना है कि सरकार की कार्रवाई न होने से उनकी सेहत, आजीविका और आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है
जापान के सैकड़ों लोग एक बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं. उनका मानना है कि बदलती हवा-पानी में सुधार के लिए उनकी सरकार ने कुछ नहीं किया, वो हाथ पर हाथ धरी बैठी है. जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी ही सरकार की निष्क्रियता को "असंवैधानिक" बताते हुए यह सैकड़ों लोग सरकार से हर्जाना मांग रहे हैं और इसके लिए वो आज यानी गुरुवार, 18 दिसंबर को केंद्र सरकार पर मुकदमा दायर करेंगे. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार यह जापान का पहला ऐसा मुकदमा होगा.
यह मुकदमा ऐतिहासिक है और जलवायु संकट के खिलाफ जापान सरकार की "बेहद अपर्याप्त" लड़ाई की आलोचना करता है. इस मुकदमें को कुल 450 वादियों ने दायर किया है और उन्होंने कहा है कि सरकार ने ऐसा करके उनके स्वास्थ्य और आजीविका को खतरे में डाल दिया है. इन वादियों में से एक किइची अकियामा हैं जो मकान बनाने वाले मजदूर हैं. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि जलवायु बदल रही है और अब लगातार प्रचंड गर्मी (हीट वेव) रहती है. इस न सहे जाने लायक गर्मी की वजह से उनकी मजदूरों की टीम बेहद धीमी गति से काम करने के लिए मजबूर है, जिससे उनके बिजनेस को "भारी नुकसान" हुआ है.
जापान में रुला रही रिकॉर्ड तोड़ गर्मी
1898 में रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से इस साल जापान अपने इतिहास की सबसे गर्म गर्मी से गुजरा. मुकदमा दायर करने वालों का तर्क है कि ऐसी हीटवेव्स से उन्हें आर्थिक नुकसान होता है, फसलें बर्बाद हो जाती हैं और कई लोगों के जीवन को भी हीटस्ट्रोक ने खतरे में डाल दिया है.
57 साल के किइची अकियामा ने कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां लोग गर्मी में काम करते-करते खेत में गिर गए, या घर लौटने के बाद मर गए. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार क्योटो यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर मासाको इचिहारा ने कहा कि अतीत में भी जापानी अदालतों में जलवायु परिवर्तन से जुड़े 5 मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के खिलाफ भी मुकदमा शामिल है. लेकिन यह पहली बार है जब सरकार से जलवायु परिवर्तन पर काम नहीं करने के खिलाफ मुआवजे की मांग की गई है.
शिकायत में कहा गया है, "प्रतिवादी (सरकार) के जलवायु परिवर्तन के उपाय पूरी तरह से अपर्याप्त हैं. इसके कारण वादी (जनता) के शांतिपूर्ण जीवन और स्थिर जलवायु का आनंद लेने के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है."
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