तोक्यो:
जापान में शक्तिशाली भूकंप और सुनामी से तीन रिएक्टरों के नष्ट होने से जहां परमाणु संकट का जबर्दस्त खतरा पैदा हो गया है वहीं मरने वालों की संख्या 10 हजार से ऊपर पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। प्रधानमंत्री नाओतो कान ने इसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का सबसे बड़ा संकट करार दिया है। भयानक आपदा की चपेट में आए जापान में रविवार को उस समय भी खतरे की घंटी बज उठी जब दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में स्थित 1421 मीटर के आकार वाला शिनमोदाक ज्वालामुखी फट गया। इससे आसमान में राख और चट्टानी धूल का गुबार छा गया। तत्काल यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह जबर्दस्त भूकंप के प्रभाव के चलते फटा। जपानी प्रधानमंत्री नाओतो कान ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा कि भूकंप और सुनामी से हुई तबाही द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का सबसे बड़ा संकट है। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में आज उस समय गंभीर गड़बड़ी सामने आयी जब उसकी आपातकालीन कूलिंग प्रणाली ने काम करना बंद कर दिया जिससे फिर से विकिरण का खतरा उत्पन्न हो गया। इसके बाद जापानी सरकार ने चेतावनी जारी की। इससे एक दिन पहले भूकंप और सुनामी के बाद एक संयंत्र में विस्फोट हो गया था। फुकुशिमा ऊर्जा संयंत्र के आपरेटर ने कहा कि संयंत्र की कूलिंग प्रणाली में गड़बड़ी आने के बाद रिएक्टर नम्बर तीन में दबाव लगातार बढ़ रहा है। इससे पहले राजधानी तोक्यो से 240 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित फुकुशिमा स्थित रिएक्टर नम्बर एक में विस्फोट और रिसाव हुआ था। बहरहाल, इस विस्फोट से पहले ही आसपास से हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका था। इस विस्फोट में रिएक्टर के चारों ओर स्थित दीवार और छत उड़ गई थी। संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी एजेंसी आईएईए का अनुमान है कि संयंत्र के आसपास स्थित क्षेत्रों से करीब एक लाख 70 हजार लोगों को हटाया गया है। परमाणु संयंत्र को संचालित करने वाली तोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने जापान की परमाणु सुरक्षा एजेंसी को बताया कि फुकुशिमा नम्बर एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र में विकिरण कानूनी स्तर को पार कर गया है। क्योदो संवाद समिति के अनुसार संयंत्र में प्रति घंटे 882 माइक्रो सिवर्ट रेडिएशन मापी गई जबकि मान्य रेडिएशन स्तर 500 है। परमाणु सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि तोक्यो इलेक्ट्रिक कंपनी ने यह भी कहा कि फुकुशिमा संयंत्र के नम्बर तीन रिएक्टर की कूलिंग प्रणाली में गड़बड़ी आ गई है। संयंत्र के आसपास कम से कम 22 लोग विकिरण की चपेट में आये हैं। फुकुशिमा नम्बर एक और नम्बर दो संयंत्र का यह छठा रिएक्टर है जिसकी कूलिंग प्रणाली में गड़बड़ी आयी है। यह गड़बड़ी गत शुक्रवार को जापान में जबर्दस्त भूकंप से सुनामी के कारण आई। संवाद समिति क्योदो के अनुसार छोटे से नगर मिनामीसनारिकू की आधी जनसंख्या करीब 10 हजार लोगों का कोई अता पता नहीं है। फुकुशिमा और मियाजाकी में 600 से अधिक शव पाये गए हैं। मियागी में करीब 4400 लोगों ने स्कूलों, अस्पतालों और धर्मशालाओं में शरण ली हुई है। रिकुजेनतकाता शहर में रविवार की सुबह मलबे के नीचे से कई शव निकाले गए। भूकंप के बाद आयी सुनामी के कारण शहर के करीब पांच हजार मकान डूब गए हैं। पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार ऐसे हजारों लोग हैं जिनसे स्थानीय प्रशासन सम्पर्क नहीं कर पाया है। कान ने कहा, यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का सबसे भयावह संकट है। मैंने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक सहायता पहुंचाने और लोगों की जिंदगी बचाने के प्रयास तेज करने का आदेश दिया है। इस आपदा से उबरने के लिए हम हरसंभव कदम उठायेंगे। पुलिस के मुताबिक मरने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक हो सकती है। मरने वाले और प्रभावितों की संख्या के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिली है। लाखों लोग अस्थायी शिविरों में शरण लिये हुए हैं। उधर, दक्षिण पश्चिमी जापान में लगभग दो सप्ताह तक खामोश रहने के बाद रविवार को एक ज्वालामुखी फिर से भड़क उठा और आसमान में चार किलोमीटर उपर तक राख तथा चट्टानी धूल छा गई। तत्काल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या यह ज्वालामुखी शुक्रवार को आए 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के प्रभाव के चलते फटा। किरिशिमा क्षेत्र में स्थित एक हजार 421 मीटर के आकार वाला शिनमोदाक ज्वालामुखी 52 साल के बाद जनवरी में पहली बार फूटा था। एक मार्च से इस स्थल पर कोई बड़ी गतिविधि नहीं देखी गई थी।