Iran Israel War: ईरान ने इजरायल पर दूसरी बार हमला करके क्या बड़ी गलती है. इजरायल का ईरान पर हमला करना तो तय है. लेकिन इस हमले से पहले पूरे मामले में अमेरिका लगातार नज़र बनाए हुए. इस हमले से पहले अमेरिका ने पूरा प्लान समझने का प्रयास किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से काफी लंबी बात की है. इस लंबी बात का क्या अर्थ है. अमेरिका ईरान में कौन सी योजना पर काम कर रहा है. अमेरिका ईरान से क्या चाहता है और इसमें अब इजरायल कैसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल होगा. क्या अमेरिका का भी अपना हिडन अजेंडा है. यह सारे सवाल अब लोगों के मन में घूम रहे हैं.
जवाबी कार्रवाई को तैयार इजरायल
बता दें कि 1 अक्तूबर को ईरान ने इजरायल पर हमला किया था. इस हमले के बाद से ईरान पर इजरायल की जवाबी कार्रवाई का इंतजार हो रहा है. बताया जा रहा है कि इजराइल ने ईरान पर हमले का प्लान बना लिया है. यह प्लान तैयार है कि ईरान पर कब, कहां और कैसे हमले किया जाएगा. आईडीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने एक बयान जारी कर साफ दिया है कि हमला सटीक होगा.
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ईरान को तबाह करने का प्लान
ईरान की ओर से पिछले कई दशकों से इस्लामिक जिहादी लड़ाकों को समर्थन दिया जा रहा है. इसके लिए फिलिस्तीन के हमास संगठन और लेबनान के हिजबुल्लाह के लड़ाकों को हर प्रकार से ईरान की ओर से मदद दी जा रही थी. यहां तक की खबरें आती रही हैं कि जिन आम लोगों ने ईरान में खमनेई के शासन का विरोध किया है उन्हें सरेआम फांसी भी दी गई. इस प्रकार के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर देखने को मिलती रहती हैं. कई बार तो यह तस्वीरें काफी विचलित करने वाली होती हैं.
ईरान का इजरायल पर हमला (फाइल फोटो)
खमनेई को सत्ता से हटाना मकसद
आखिर खमनेई का शासन कब आया और ईरान में इनके शासन का विरोध क्यों होता रहा है. खमनेई को कट्टर इस्लामिक विचारों का माना जाता है जो इस्लामिक कानून शरिया के हिसाब से देश चला रहे हैं. ईरान में पहले खुले विचारों के लोग भी रहते थे और शाह के शासन में पश्चिमी विचारों को भी सम्मान मिलता था. लेकिन खमनेई के शासन में इस्लामी कानून का कड़ाई से पालन होने लगा है.
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संक्षेप में इतिहास
यहां यह भी साफ करना जरूरी है कि ईरान और इज़राइल के बीच पहले दोस्ती भी रही है. दोनों देशों में अच्छे व्यापारिक और रणनीतिक संबंध थे. लेकिन 1979 में दोनों देशों में दुश्मनी की कहानी शुरू हो जाती है. 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद से रिश्ते पूरे तरह से बदल गए. अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में तब एक इस्लामी शासन स्थापित किया था. इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान ने इज़राइल के साथ अपने संबंध तोड़ लिए और दोनों देशों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई. क्रांति के बाद से सत्ता में खमनेई ने इजरायल को अपना सबसे बड़ा दुश्मन बताया. खमनेई ने इजरायल को शैतान घोषित किया और अपना मकसद इजरायल की बरबादी बताया. इस क्रांति ने तब के ईरान के शासक शाह मोहम्मद रजा पहलवी के नेतृत्व वाली पश्चिम समर्थित राजशाही को समाप्त कर दिया. शाह परिवार को पहले मिश्र और फिर अमेरिका में शरण लेनी पड़ी. जहां पर आज भी उनके परिवार के लोग रहते हैं.
अमेरिका क्यों है दिलचस्पी
अमेरिका की ईरान में दिलचस्पी यहीं से शुरू होती है. बताया जा रहा है कि अमेरिका एक बार फिर चाहता है कि ईरान में शाह के परिवार का शासन स्थापित किया जाए. ईरान के निर्वासित राजकुमार मोहम्मद रेजा पहलवी को ईरान की सत्ता सौंपी जाएगी. 1979 तक ईरान में पहलवी वंश का ही शासन चलता था. आजकल शहंशाह के बेटे मोहम्मद रेजा पहलवी इस राजवंश के वारिश हैं. ने अमेरिका के वर्जीनिया के ग्रेट फॉल्स में रह रहे हैं. बताया जा रहा है कि रेजा ईरान का शासन वापस चाहते हैं. इस मुद्दे पर अमेरिकी सरकार का पहलवी को समर्थन है. ऐसे में पहलवी की ओर से बयान में कहा गया है कि वह ईरान में लोकतांत्रिक सरकार चलाने पर सहमत हैं.
ईरान की ओर से दागी गई मिसाइलों को नाकाम करता आइरन डोम (फाइल फोटो)
सरकार बदलने तक क्या होगा हमला
इसके लिए अमेरिका ने इजराइल के लिए खतरा बन चुकी ईरानी सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है. इसी आइडिया पर अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर काम कर रहा है.
ईरान को सता रहा डर, मित्र देश बनाने की कोशिश शुरू
इस प्रकार के अमेरिका के इरादे से ईरान चौकन्ना है. ईरान ने अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए प्रयास आरंभ कर दिए हैं. ऐसे में अमेरिका से नाराज शक्तियों को एक करने के लिए ईरान ने कदम उठाए हैं. ईरान की ओर से चीन और रूस की ओर देखा जा रहा है. साथ ही इस्लामिक मुल्कों को भी एक करने के लिए ईरान ने प्रयास आरंभ कर दिए हैं. खमनेई ने इजरायल के हमले के बाद अपनी पहली जनसभा में सभी मुसलमानों को एक होने का आह्वान भी इसी इरादे से किया है ताकि इस्लामिक सत्ता को बचाया जा सके .
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