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This Article is From Mar 22, 2012

भारतीय बच्चों को उनके चाचा को नहीं सौंपेगा नार्वे

ओस्लो: अपने बच्चों का संरक्षण पाने की कोशिशों में जुटे भारतीय दंपति को गुरुवार को बड़ा झटका लगा जब नार्वे के अधिकारियों ने कहा कि परिवार में चल रहे मतभेदों को देखते हुए वह बच्चों को उनके चाचा को सौंपने के समझौते पर अमल नहीं करेंगे।

बाल कल्याण सेवा (सीडब्लयूएस) के प्रमुख गेन्नार तोरेसेन ने एक बयान में कहा, ‘फिलहाल इन अनिश्चितताओं के बीच सीडब्ल्यूएस यह नहीं कह सकता है कि बच्चों को भारत ले जाना उनके सर्वोत्तम हित में होगा।’ बयान में बच्चों के माता-पिता अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य के बीच मतभेद की खबरों की बात भी कही गई है। ‘भावनात्मक अलगाव’ के आधार पर दंपति के दोनों बच्चों, तीन वर्षीय बेटा अभिज्ञान और एक वर्षीय बेटी ऐश्वर्या, को पिछले वर्ष मई से नार्वे के पालन केन्द्र में रखा गया है।

तोरेसेन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में बच्चों के माता-पिता और चाचा ने वास्तविक समझौते पर कई बार अपना विचार बदला है। जहां तक समझौते की बात है उनके इस रूख ने सीडब्ल्यूएस को उनकी मंशा पर शक करने का आधार प्रदान किया है। बच्चों के चाचा को उनके संरक्षण का भार सौंपा जाना था। बच्चों के चाचा अरूणभाष भट्टाचार्य इस मामले के सिलसिले में नार्वे में हैं।

तोरेसेन ने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने और उसे लागू करने को लेकर सीडब्ल्यूएस की मंशा बिल्कुल साफ है लेकिन पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम ने इसे (समझौते को) असंभव बना दिया है। बयान में कहा गया है कि इस मामले में हुई नयी प्रगतियों को देखते हुए स्तावैंजर जिला अदालत में कल होने वाली सुनवायी अब नहीं होगी।

तोरेसेन ने कहा कि अधिकारियों को परिवार में चल रहे मतभेदों से अवगत करा दिया गया है कि यह मामले के फैसले को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूएस को अब इस बात पर यकीन नहीं है कि पार्टियां एक सही समझौता करना चाहती हैं। पिछले कुछ दिनों में समझौते में शामिल पार्टियों ने इस मामले में अपनी स्थिति को लेकर सीडब्ल्यूएस और मीडिया दोनों को विवादित और अलग सूचनाएं मुहैया करायी हैं।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि बच्चों के माता-पिता और चाचा अभी भी समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं लेकिन सीडब्ल्यूएस को इस बात पर पूर्ण विश्वास नहीं है कि समझौता जिस विचार से बनाया गया था उसपर पूरी तरह अमल होगा क्योंकि पार्टियों और उनके परिवारों के बीच आवश्यक समझ और मतैक्य नहीं है।’ तोरेसेन ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि भारत में बच्चे एक दुर्भाग्यपूर्ण युद्ध में फंस सकते हैं।

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