विदेश सचिव एस जयशंकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नेपाल में भारतीय सीमा से लगे हिस्से तथा दूसरे कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों के बीच नए संविधान की घोषणा के बाद काठमांडो में भारतीय राजदूत रंजीत राय ने सरकार को नेपाल के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राय को ‘विचार-विमर्श’ के लिए बुलाया गया था। राय ने नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों को लेकर वहां के प्रधानमंत्री से बात कर भारत की चिंता से अवगत कराया।
भारत की नेपाल से अपील
भारत ने नेपाल से कहा कि मतभेद वाले मुद्दों को ‘हिंसा और धमकी से मुक्त माहौल में बातचीत के जरिए हल करना चाहिए और ऐसे ढंग से संस्थागत बनाना चाहिए जिससे व्यापक तौर पर स्वामित्व और स्वीकार्यकता हो।’ जब यह सवाल किया गया कि संविधान की घोषणा को स्थगित किए जाने की बार-बार सलाह के बाद भारत की नाखुशी को जाहिर करने के लिए राय को बुलाया गया है तो सूत्रों ने कहा कि भारतीय राजदूत कल नेपाल लौट रहे हैं।
महत्वपूर्ण है कि विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हम कल संविधान की घोषणा के बाद भारत की सीमा से लगे नेपाल के क्षेत्रों में हिंसा की घटनाओं से बहुत चिंतित हैं।’’
तनाव खत्म करने के लिए कदम उठाए नेपाल
उसने कहा, ‘‘हमने नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व को बार बार आगाह किया है कि वह इन इलाकों में तनाव को खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाए। अगर यह समय से किया जाता तो इन गंभीर घटनाक्रमों को टाला जा सकता था। हमने यह उम्मीद की थी कि टकराव की मौजूदा स्थिति से जुड़ी बातों का निदान करने के लिए नेपाल के नेतृत्व द्वारा प्रभावी ढंग से कदम उठाया जाएगा।’’
भारतीय मालभाड़ा कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को पेश आ रही दिक्कतों का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने लगातार इसकी दलील दी है कि नेपाल के सभी तबकों राजनीतिक चुनौतियों को लेकर सहमति बनानी चाहिए। नेपाल के सामने खड़े मुद्दे राजनीतिक स्वभाव के हैं और इनका बलप्रयोग से हल नहीं किया जा सकता।’’
हिंदू भावनाओं का रखा खयाल : नेपाल
भारत में नेपाली राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि संविधान में हिंदू भावनाओं का खयाल रखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल नस्ली तौर पर विविध है, ऐसे में हर किसी को खुश रख पाना संभव नहीं है।..सिर्फ तराई में ही नहीं, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ आपत्ति और कुछ अप्रसन्नता है।’’ नेपाली राजदूत ने कहा, ‘‘गाय हमारी राष्ट्रीय पशु अब भी है। इसलिए, सभी हिंदू भावनाओं को शामिल किया जाएगा, इसको (संविधान) इन अधिनियम में शामिल किया जाएगा। इस तरह के प्रबंध किए गए हैं। लोगों इसकी जांच करनी चाहिए।’’ भारत ने पिछले सप्ताह अपने विदेश सचिव एस जयशंकर को भेजा था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राय को ‘विचार-विमर्श’ के लिए बुलाया गया था। राय ने नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों को लेकर वहां के प्रधानमंत्री से बात कर भारत की चिंता से अवगत कराया।
भारत की नेपाल से अपील
भारत ने नेपाल से कहा कि मतभेद वाले मुद्दों को ‘हिंसा और धमकी से मुक्त माहौल में बातचीत के जरिए हल करना चाहिए और ऐसे ढंग से संस्थागत बनाना चाहिए जिससे व्यापक तौर पर स्वामित्व और स्वीकार्यकता हो।’ जब यह सवाल किया गया कि संविधान की घोषणा को स्थगित किए जाने की बार-बार सलाह के बाद भारत की नाखुशी को जाहिर करने के लिए राय को बुलाया गया है तो सूत्रों ने कहा कि भारतीय राजदूत कल नेपाल लौट रहे हैं।
महत्वपूर्ण है कि विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हम कल संविधान की घोषणा के बाद भारत की सीमा से लगे नेपाल के क्षेत्रों में हिंसा की घटनाओं से बहुत चिंतित हैं।’’
तनाव खत्म करने के लिए कदम उठाए नेपाल
उसने कहा, ‘‘हमने नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व को बार बार आगाह किया है कि वह इन इलाकों में तनाव को खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाए। अगर यह समय से किया जाता तो इन गंभीर घटनाक्रमों को टाला जा सकता था। हमने यह उम्मीद की थी कि टकराव की मौजूदा स्थिति से जुड़ी बातों का निदान करने के लिए नेपाल के नेतृत्व द्वारा प्रभावी ढंग से कदम उठाया जाएगा।’’
भारतीय मालभाड़ा कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को पेश आ रही दिक्कतों का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने लगातार इसकी दलील दी है कि नेपाल के सभी तबकों राजनीतिक चुनौतियों को लेकर सहमति बनानी चाहिए। नेपाल के सामने खड़े मुद्दे राजनीतिक स्वभाव के हैं और इनका बलप्रयोग से हल नहीं किया जा सकता।’’
हिंदू भावनाओं का रखा खयाल : नेपाल
भारत में नेपाली राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि संविधान में हिंदू भावनाओं का खयाल रखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल नस्ली तौर पर विविध है, ऐसे में हर किसी को खुश रख पाना संभव नहीं है।..सिर्फ तराई में ही नहीं, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ आपत्ति और कुछ अप्रसन्नता है।’’ नेपाली राजदूत ने कहा, ‘‘गाय हमारी राष्ट्रीय पशु अब भी है। इसलिए, सभी हिंदू भावनाओं को शामिल किया जाएगा, इसको (संविधान) इन अधिनियम में शामिल किया जाएगा। इस तरह के प्रबंध किए गए हैं। लोगों इसकी जांच करनी चाहिए।’’ भारत ने पिछले सप्ताह अपने विदेश सचिव एस जयशंकर को भेजा था।
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