
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर एक बार फिर चर्चा में है. अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर टैरिफ को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का ऐलान किया है. यह इस सेक्टर का सबसे बड़ा टैरिफ होगा और भारत से अमेरिका जाने वाले कुल निर्यात का करीब 50 से 60 प्रतिशत हिस्सा इससे प्रभावित होगा. अमेरिका ने टैरिफ बढ़ोतरी की वजह भारत के रूस से बढ़ते तेल व्यापार को बताया है.
भारत रूस का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल खरीदार नहीं :एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ किया कि भारत रूस का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल खरीदार नहीं है. चीन और यूरोपियन यूनियन रूस से ज्यादा एनर्जी खरीदते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत अमेरिका से भी लगातार तेल खरीद बढ़ा रहा है और हमारी पॉलिसी पूरी तरह से नेशनल इंटरेस्ट और मार्केट की जरूरतों के हिसाब से है.
टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना होगा असर?
लेकिन क्या इस टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा? एसएंडपी ग्लोबल और कई अन्य इंटरनेशनल एजेंसियों की ताजा रिपोर्ट बताती हैं कि भारत की मजबूत घरेलू मांग से अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी का अर्थव्यवस्था पर असर कम होगा.इसका असर हर सेक्टर पर एक जैसा नहीं होगा और भारत की बड़ी घरेलू मांग (Domestic Demand) इस झटके को काफी हद तक संभाल लेगी.
किन सेक्टरों पर ज्यादा असर?
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के नए टैरिफ से सबसे ज्यादा मुश्किल कैपिटल गुड्स, केमिकल्स, ऑटोमोबाइल और फूड एंड बेवरेज एक्सपोर्टर्स को झेलनी पड़ेगी. इन सेक्टरों की डिपेंडेंसी अमेरिकी बाजार पर ज्यादा है, इसलिए इनके लिए एडजस्ट करना कठिन होगा.
टेक्सटाइल और जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे लेबर-इंटेंसिव सेक्टर पर असर तो होगा लेकिन उतना बड़ा नहीं.
किन सेक्टरों को राहत
फार्मास्यूटिकल्स, स्मार्टफोन और स्टील जैसे सेक्टरों को टैरिफ से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. वजह यह है कि इन सेक्टरों को या तो टैरिफ में छूट मिली हुई है या फिर इनकी घरेलू मांग इतनी मजबूत है कि निर्यात पर निर्भरता कम हो जाती है.
टैरिफ बढ़ोतरी का भारत पर कोई बड़ा असर नहीं: एसएंडपी
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है कि टैरिफ बढ़ोतरी का असर भारत की पूरी अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा नहीं होगा. भारत का घरेलू बाजार काफी बड़ा है, जिससे बाहरी मांग पर डिपेंडेंसी कम हो जाती है.
अमेरिकी टैरिफ को झेलने के लिए सबसे बेहतर पोजिशन में भारत: मॉर्गन स्टेनली
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट भी यही कहती है कि एशिया में अगर कोई देश अमेरिकी टैरिफ के खतरे को झेलने के लिए सबसे बेहतर पोजिशन में है तो वह भारत है. वजह यह है कि भारत का गुड्स एक्सपोर्ट जीडीपी का बहुत छोटा हिस्सा है.
वहीं, फिच की रिपोर्ट के अनुसार भी, भारत की इकोनॉमी पर अमेरिकी टैरिफ का बड़ा झटका नहीं आएगा और वित्त वर्ष 2026 में देश की ग्रोथ करीब 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
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