सरकार ने आज कहा कि वह इराक के हिंसाग्रस्त तिकरित शहर में फंसी भारतीय नर्सों से संपर्क बनाए हुए है। साथ ही सरकार ने युद्ध प्रभावित इस देश में भारतीय नागरिकों की हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया।
सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार के अनुरोध पर इंटरनेशनल रेड क्रीसेंट के एक दल ने तिकरित में लगभग 46 नर्सों से संपर्क किया और उनके कुशलक्षेम की जानकारी वापस भारतीय प्रशासन को दी।
उन्होंने बताया कि उस देश के हिंसा प्रभावित इलाकों में फंसे हुए सभी भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय मिशन भी इराकी सरकार और संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन से संपर्क बनाए हुए है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार तिकरित से नर्सों को निकालने के बारे में सोच रही है तो उन्होंने कहा कि इस समय सड़कें किसी भी तरह की आवाजाही के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
सरकार ने रविवार को इराक में रहने वाले भारतीयों से कहा था कि वे सुरक्षा की ‘खतरनाक’ स्थिति को देखते हुए देश छोड़ने पर विचार करें। परामर्श में सरकार ने लोगों को इराक की यात्रा न करने की भी सलाह दी थी।
इराक में हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए सरकार ने सोमवार को कहा कि वह उस देश में 8 जून के बाद से आतंकियों द्वारा किए जा रहे हमलों और मोसुल एवं तिकरित समेत कई शहरों पर नियंत्रण कर लिए जाने के बाद बिगड़ते हालात को लेकर ‘बेहद चिंतित’ है। सरकार ने कहा कि इराक में मौजूद भारतीय नागरिकों की सुरक्षा एवं संरक्षा उसके लिए गंभीर चिंता का विषय है। इन हमलों को ‘इराक की सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के लिए प्रत्यक्ष खतरा’ बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ‘एक स्थायी, शांतिपूर्ण, एकीकृत और लोकतांत्रिक इराक के उदय’ के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ऐसा होना क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए जरूरी है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत सरकार ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करती है और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ इराक की सरकार और जनता की लड़ाई एवं मित्र देश इराक के, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों में उनके साथ खड़ी है। बगदाद में स्थित भारतीय दूतावास ने पहले ही वहां मौजूद भारतीय नागरिकों की मदद के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू कर दी है। ऐसा अंदाजा है कि इराक में इस समय 10 हजार से ज्यादा भारतीय रह रहे हैं।
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