अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election) को लेकर तैयारी जारी है. उम्मीदवार लगभग तय माने जा रहे हैं. राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए प्राइमरीज के बाद अगर कोई बहुत बड़ा उलट फेर ना हो तो राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप आमने-सामने होंगे. दोनों ही अमेरिकी इतिहास में सबसे उम्रदराज़ राष्ट्रपति होंगे. लेकिन ट्रंप के पिछले कार्यकाल में उनके द्वारा लिए गए फैसले और 6 जनवरी 2021 को उनके समर्थकों का अमेरिकी संसद पर किए गए हमले के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि अगर ट्रंप की वापसी हुई तो विश्व की राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. ट्रंप के ऊपर अमेरिका में उस मामले को लेकर 91 से अधिक मामले दर्ज हैं.
ट्रंप की जीत का दुनिया पर क्या होगा प्रभाव?
मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात को देखते हुए सबसे पहले नज़र डालते हैं कि ट्रंप अगर राष्ट्रपति बने तो दुनिया पर इसका असर क्या होगा? ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि अमेरिका को NATO का हिस्सा नहीं होना चाहिए. इसमें यूरोप के लिए बेकार ही अमेरिकी डॉलर खर्च होते हैं. संभावना है कि वो नाटो से निकल जाएंगे जो कि उसके लिए आर्थिक तौर पर तो बड़ा झटका होगा ही, कई छोटे यूरोपीय देशों की सुरक्षा गारंटी के लिए भी बड़ा झटका होगा.
ट्रंप की जीत यूक्रेन के लिए एक झटका हो सकता है
रूस-यूक्रेन युद्ध की अगर बात करें तो ट्रंप ने कहा है कि वो दोनों को बातचीत के टेबल पर लाकर युद्ध बंद करवा सकते हैं. इसके लिए वो युक्रेन को पैसे और हथियार की मदद बंद करने की धमकी देंगे और रुस को कि यूक्रेन को वो और मदद देंगे. भले ही जानकारों को इस उपाय में कोई दम लग लगता हो लेकिन यूक्रेन की मदद बंद होने का ख़तरा तो है ही और इस से उसकी लड़ाई कमजोर पड़ेगी.
चीन को लेकर ट्रंप का कैसा होगा कदम?
अपने शासन काल में ट्रंप चीन पर बहुत ही बरसे थे और यहाँ तक कि कोरोना वायरस को चाइनीज़ वायरस कहा था. लेकिन चीन के खिलाफ असल कार्रवाई जो बाइडेन ने की है. जहां चीन के खिलाफ ट्रंप ने व्यापार को ज़्यादा बैलेंस करने के लिए कार्रवाई की, बाइडेन की सख़्त कार्रवाई राजनीतिक भी है. इसलिए जानकार मानते हैं कि चीन चाहेगा कि ट्रंप वापस सत्ता में आएं ताकि व्यापार के ज़रिए मामला संभाला जाए.
इजरायल के साथ रिश्ते पर नहीं पड़ेंगे प्रभाव
जहां तक इज़रायल हमास युद्ध का सवाल है ट्रंप मज़बूती से इज़रायल के साथ खड़े हैं और हमास को समस्या बताते हुए इज़रायल से कहा है - Finish The Problem. ऐसे में गाजा के हालात को देखते हुए शांति और फ़िलिस्तीनी अधिकारों की मांग को बड़ा झटका लग सकता है. अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने ईरान, सीरिया और वेनेज़ुएला को युद्ध तक की धमकी दे डाली थी और सबसे ज़्यादा नुक़सान हुआ था ईरान के साथ न्यूक्लियर समझौते को तोड़ने का. अब तक वापस ईरान इसमें नहीं आया है और IAEA की कोई निगरानी नहीं मानता है. ट्रंप ने यूरोप और बाक़ी देशों से इंपोर्ट पर दस फ़ीसदी टैरिफ़ का समर्थन किया है और multilateral trade agreements को तरजीह नहीं दी है.
भारत पर ट्रंप के आने का क्या होगा असर?
बात भारत की करते हैं अपने पहले टर्म में ट्रंप ने भारत को टैरिफ किंग कहा था और फिर कहा है कि सत्ता में वापस आए तो भारत से इंपोर्ट पर वैसे ही टैरिफ़ लगाएंगे जैसे भारत वहां से इंपोर्ट पर लगाता है. हारली डेविडसन मोटरसाइकिल उनका इस मामले में पसंदीदा उदाहरण रहा है. उन्होंने कुछ वक्त पहले ये भी कहा कि भारत की हवा गंदी है. और पहले के ऐक्शन को देखें तो वो पेरिस क्लाइमेट डील से भी अमेरिका को बाहर कर सकते हैं जो जलवायु परिवर्तन से निबटने की कोशिशों के लिए बड़ा झटका होगा.
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