
इजरायल और ईरान के बीच जंग (Israel-Iran War) का एक और दौर शुरू हो गया है. पहले ईरान पर इजरायल ने अभूतपूर्व हमला किया, जिसमें ईरान के टॉप मिलिट्री लीडर्स और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं. ऐसा हमला करने के लिए सालों तक सावधानीपूर्वक खुफिया जानकारी जमा करने और ईरान के अंदर घुसपैठ करने की आवश्यकता होती है. यह कहना है एक्सपर्ट्स का.
इजरायल ने कहा है कि उसने अकेले शुक्रवार को ईरान के अंदर सैकड़ों लक्ष्यों को निशाना बनाया, और तब से उसने अपने हमले जारी रखे हैं. उसने रविवार को ईरान के अंदर एक रक्षा सुविधा और ईंधन डिपो पर हमला किया.
सालों से चल रही थी इजरायल की तैयारी
इजरायली एनालिस्ट माइकल होरोविट्ज ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, "इजरायल पिछले 15 सालों से परमाणु कार्यक्रम को फॉलो कर रहा है, उसपर नजर बनाए हुए है." उन्होंने आगे कहा कि "जो हमले हम देख रहे हैं वे सालों की खुफिया जानकारी जमा करने और इस्लामी गणतंत्र में घुसपैठ का परिणाम हैं." गौरतलब है कि इजराइल ने पहले भी ईरानी सैन्य स्थलों पर हमले किए हैं, लेकिन वो बहुत हद तक सिमित थें. इसमें पिछले साल अक्टूबर में किया गया हमला भी शामिल है.
होरोविट्ज ने कहा, "ऐसा लगता है कि इस सप्ताह के ऑपरेशन की तैयारी कई महीनों से की जा रही थी, पिछले साल ऑपरेशन के बाद इसमें तेजी आई, जिससे ईरानी वायु सुरक्षा काफी कमजोर हो गई."
इजरायल के साथ अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश ईरान पर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश का आरोप लगाते हैं. भले तेहरान इससे इनकार करता है, लेकिन धीरे-धीरे उसने विश्व शक्तियों के साथ 2015 के परमाणु समझौते के तहत की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को तोड़ दिया है, वो उसे नहीं मान रहा है. इसकी वजह यह भी अमेरिका ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान इस समझौते से खुद को बाहर निकाल लिया था.
इजरायल ने टारगेट देख रखा था
लंबे समय से माना जाता रहा है कि इजरायल ने अपनी जासूसी एजेंसी- मोसाद के जरिए ईरान को अंदर तक भेदा है लेकिन शुक्रवार को शुरू हुए हमलों का दायरा अब तक का सबसे व्यापक है. इजरायल के इस सैन्य अभियान ने दिखाया है कि इजरायल ईरान की सेना के सबसे बड़े अधिकारियों और उसके परमाणु वैज्ञानिकों का सटीक पता लगाने और उन्हें मार गिराने में सक्षम है.
एक यूरोपीय सुरक्षा सूत्र ने कहा कि इजरायल के हमलों ने "सटीकता और निपुणता की प्रभावशाली स्तर" दिखाया है.
इजरायल का कहना है कि उसने 20 सैन्य और सुरक्षा टारगेट को मार गिराया है, जिनमें सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ और ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख के साथ-साथ नौ परमाणु वैज्ञानिक भी शामिल हैं. तेल अवीव स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन संस्थान के डैनी सिट्रिनोविक्ज़ ने कहा कि उंचें पदों पर बैठे अधिकारियों को मारने की क्षमता "ईरान पर इजराइल की न सिर्फ बुद्धिमत्ता, बल्कि परिचालन (ऑपरेशनल) श्रेष्ठता" को भी दर्शाती है.
ड्रोन तस्करी किये गये
न्यूज साइट एक्सियोस ने बताया कि ईरान के अंदर मौजूद मोसाद एजेंटों ने शुक्रवार के हमलों को तैयार करने में मदद की, उसने ईरान के वायु रक्षा लक्ष्यों के पास हथियार प्रणालियों को पहले से तैनात किया, जिसमें उन्हें वाहनों के अंदर छिपाना और हमला शुरू होने पर उन्हें लॉन्च करना शामिल था.
एक इजरायली खुफिया अधिकारी ने एक्सियोस को बताया कि मोसाद ने "ईरान के अंदर ड्रोन के साथ एक अटैक ड्रोन बेस बनाया था जो ऑपरेशन से बहुत पहले तस्करी करके लाए गए थे".
एक पूर्व इजरायली खुफिया अधिकारी ने द अटलांटिक को बताया कि "ईरान के शासन का विरोध करने वाले ईरानियों से जब चाहे भर्ती कर सकते हैं", और यह कि "इजरायल के लिए काम करने वाले ईरानी अपने ही देश के अंदर एक ड्रोन बेस बनाने के प्रयासों में शामिल थे".
फ्रांसीसी खुफिया विभाग में नंबर तीन रह चुके एलेन चौएट ने कहा कि उन्हें यकीन है कि इजरायल के पास ईरान के अंदर "किसी भी समय कार्रवाई करने में सक्षम आधा दर्जन सेल" हैं. गौरतलब है कि ईरान नियमित रूप से उन लोगों को फांसी दे देता है जिन पर वह इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने रविवार को कहा कि वाशिंगटन का सहयोगी इजराइल के सैन्य अभियान से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने रविवार को कहा कि तेहरान के पास हमलों के लिए "अमेरिकी बलों और क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों के समर्थन का ठोस सबूत" है. वहीं इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि उनका देश "अमेरिका के राष्ट्रपति के स्पष्ट समर्थन" के साथ काम कर रहा है.
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