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This Article is From May 28, 2024

बाढ़ और अब 52 डिग्री की प्रचंड गर्मी, पाकिस्तान के मोहनजोदड़ो में यह हो क्या रहा है?

पुरातात्विक स्थलों के लिए जाना जाने वाला यह शहर 2022 में जलवायु-प्रेरित मानसूनी बारिश और विनाशकारी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ था. वहीं अब लोग हीटवेव से परेशान हैं.

बाढ़ और अब 52 डिग्री की प्रचंड गर्मी, पाकिस्तान के मोहनजोदड़ो में यह हो क्या रहा है?
नई दिल्ली:

पाकिस्तान (Pakistan) में स्थित पुरातात्विक स्थलों वाला शहर मोहन जोदड़ो एक बार फिर चर्चाओं में है. पाकिस्तान के मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस शहर के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान पिछले लगभग एक हफ्ते से 50 डिग्री के आसपास बना हुआ है. गौरतलब है कि पाकिस्तान के कई जगहों पर तापमान में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. हालांकि दुनिया भर की नजर मोहन जोदड़ो (Mohenjo daro) पर है. 

मोहन जोदड़ो 4 से 5 हजार साल पुरानी महान सिंधु घाटी सभ्यता का एक उन्नत शहर रह चुका है. इस सभ्यता के विनाश के कारणों को लेकर अब तक कोई पुख्ता जानकारी इतिहासकारों को नहीं मिली है. सभ्यता के विनाश को लेकर चलने वाले कई थ्योरी में से एक जलवायु परिवर्तन को भी माना जाता रहा है. इतिहासकारों का एक बड़ा वर्ग यह दावा करता रहा है कि इस सभ्यता का पतन सिंधु नदी में आए बाढ़ के कारण हुआ था. 

मोहनजोदड़ो सिंधी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है 'मुर्दों का टीला. इसे 'मुअन जो दड़ो' भी कहा जाता है.  मोहनजोदाड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का एक नगर है जिसमें कई विशालकाय टीले मिले थे. 

अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तापमान तो क्लाइमेट रिफ्यूजी बन जाएंगे नागरिक!
दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण लाखों लोग अपने पुराने बस्तियों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं. हजारों साल से वो जिस जगह पर रहते थे वहां जीवन जीने के लिए आवश्यक मूलभूत जरूरतों की कमी महसूस होने लगती है. सूखा, बाढ़, तूफान,ज्वालामुखी विस्फोट जैसे आपदाओं के कारण लोग अपने घरों से विस्थापित हो जाते हैं. कई ऐसे जगह हैं दुनिया में जो पहले आबाद हुआ करता था लेकिन बाद के समय में लोग उस जगह से दूर चले गए. अपने पूर्वजों की जगह से विस्थापित होने वाले ऐसे नागरिकों को क्लाइमेट रिफ्यूजी के नाम से जाना जाता है. 

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कभी बाढ़ का कहर तो कभी हीटवेव, परेशान हैं लोग
 

पुरातात्विक स्थलों के लिए जाना जाने वाला यह शहर 2022 में जलवायु-प्रेरित मानसूनी बारिश और विनाशकारी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ था. इस बाढ़ की चपेट में आने के कारण कई पुराने ऐतिहासिक स्थल तबाह भी हो गए थे. अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में सिंध के लरकाना जिले में अगस्त के दूसरे सप्ताह में 1,400 मिमी से अधिक बारिश हुई थी. जिससे ऐतिहासिक संरचनाओं के बाहरी सुरक्षात्मक आवरण को नुकसान पहुंचा था. 

हीटस्ट्रोक पीड़ितों की संख्या में भारी बढ़ोतरी
पाकिस्तान में डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में हीटस्ट्रोक पीड़ितों की संख्‍या काफी बढ़ गई. वहीं, अधिकारियों ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से भीषण गर्मी के कारण तापमान सामान्य स्तर से अधिक हो जाने के बाद हालात काफी बिगड़ गए हैं. डॉक्टरों ने हाल के दिनों में पाकिस्तान भर के अस्पतालों में हीटस्ट्रोक के सैकड़ों पीड़ितों का इलाज किया, इससे स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. मोहनजोदड़ो और दादू में गुरुवार को तापमान 50 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया मौसम विभाग की मानें तो पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत में लू का प्रकोप कम से कम एक सप्ताह तक जारी रहने का अनुमान है. ऐसे में पाकिस्‍तान के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को अलर्ट मोड पर रखा गया है. 

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एक बार फिर बढ़ रहे हैं खतरे
सिंधु घाटी सभ्यता बहुत विशाल थी. यह ईरान से गुजरात तक फैली हुई थी और उत्तर में बैक्ट्रिया तक इसका विस्तार था. इसके खत्म होने को लेकर कई तरह की अवधारणा रही है. कई लोग आर्यन आक्रमण, सूखा और जल प्रलय को संभावित कारण बताते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी अब तक पुख्ते तौर पर साबित नहीं हुआ है.  भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के इतिहास में मोहन जोदड़ो शहर की बहुत बड़ी भूमिका रही है. कई धर्म के लोग इस सभ्यता पर अपना दावा करते रहे हैं. हालांकि हाल के दिनों में हो रहे जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के कारण एक बार फिर इस शहर पर खतरे बढ़ने लगे हैं. 

नदी किनारे स्थित है मोहनजोदड़ो फिर भी गर्मी का कहर?
मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के किनारे बसा शहर है. प्राचीन समय में इसके चारों ओर कृत्रिम अवरोधों को बनाकर इसे नदी के प्रकोप से बचाया गया था.  शहर को एक दर्जन ब्लॉकों में विभाजित किया गया था. इस शहर की बनावट बेहद शानदार थी.  पकी हुई ईंटों से बनी हुई यह उस दौर की एक मात्र सभ्यता दुनिया में देखी जाती है. यह सिंधु नदी के तट पर बसा हुआ है. आधुनिक विकास के दौर में शहरों के बनावट पर नदी का प्रभाव बेहद कम होता जा रहा है. नदी बेसिन चोक हो चुके हैं. यही कारण है कि दुनिया के कई देशों में नदियों का डूब क्षेत्र भी कम होता गया है. नदी के जलस्तर में भी गिरावट आयी है. मोहनजोदड़ो  के नागरिकों के सामने 2022 ंमें आयी बाढ़ के बाद इस साल हो रही भीषण गर्मी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. 

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