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Explainer: आखिर कितनी तरह की होती है गर्मी, पड़ने वाली, लगने वाली और एक ये वाली भी...

What is Wet Bulb Temperature: बीती 25 मई को भोपाल का टेम्परेचर 42 डिग्री सेल्सियस और कोलकाता का 36 डिग्री सेल्सियस रहा. लेकिन भोपाल वासियों के मुकाबले ज्यादा गर्मी महसूस हुई कोलकाता वासियों को. इसकी वजह क्या रही आइये जानते हैं.  

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Explainer: आखिर कितनी तरह की होती है गर्मी, पड़ने वाली, लगने वाली और एक ये वाली भी...
'वेट बल्ब टेम्परेचर' गर्मी को मापना का नया पैमाना, ये गर्मी है अलग

Wet Bulb Temperature: गर्मी के इस मौसम में कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि एक ही दिन में किसी शहर का तापमान नॉर्मल से ज्यादा होने के बावजूद उतनी ज्यादा गर्मी महसूस नहीं होती है. जितनी गर्मी सामान्य तापमान से कम होने के बाद भी (Wet bulb temperature) लोगों को महसूस होती है. जैसे कि 25 मई 2024 को भोपाल का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस और कोलकाता का तापमान 36 डिग्री सेल्सियस था. लेकिन भोपालवासियों के अपेक्षा गर्मी ज्यादा महसूस की कोलकाता में रहने वाले लोगों ने. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. तो आइये जानते हैं इसकी वजह के बारे में. ऐसा क्यों, यही सवाल आप सबके मन में भी आया होगा.

Wet Bulb Temperatureआखिर जहां तापमान कम है वहां के लोगों को गर्मी ज्यादा कैसे महसूस हो सकती है. तो इसका जवाब है वेट बल्ब टेम्परेचर. जी हां, अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये वेट बल्ब टेम्परेचर क्या बला है. तो चलिए बिना देर करते जानते हैं वेट बल्ब टेम्परेचर के बारे में.

वेट बल्ब टेम्परेचर क्या है (What is Wet Bulb Temperature)

जानलेवा गर्मी और इंसान की सुरक्षा :

25 मई 2024 को भोपाल का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस और कोलकाता का तापमान 36 डिग्री सेल्सियस था. हालांकि, कोलकाता की अधिक नमी के कारण वहां की गर्मी ज्यादा खतरनाक थी. केवल तापमान नहीं, बल्कि तापमान और नमी का मेल यानी वेट बल्ब टेम्परेचर (WBT) ही सही मायने में गर्मी का असर बताता है.

शरीर का कूलिंग सिस्टम :

हमारे शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. शरीर इस तापमान को पसीने के जरिए मेंटेन करता है. पसीना वाष्पित होकर शरीर को ठंडा रखता है लेकिन ह्यूमिड हीट यानी नमी भरी गर्मी में यह प्रक्रिया बाधित होती है.

यह भी पढ़ें : हीटवेव क्या है, इसके लक्षण, कितना खतरनाक है और हीटवेव से बचने के लिए क्या करें

ह्यूमिड हीट का खतरा :

नमी के कारण पसीना त्वचा से नहीं सूख पाता. इससे शरीर को ठंडा रखने के लिए और अधिक पसीना निकालना पड़ता है, जिससे आवश्यक मिनरल्स और सोडियम भी बाहर निकल जाते हैं.  इसका असर किडनी और हार्ट पर पड़ता है, जिससे स्थिति खतरनाक हो सकती है.

वेट बल्ब टेम्परेचर क्या है?

वेट बल्ब टेम्परेचर हवा में नमी और तापमान दोनों को मापता है. इसे मापने के लिए गीले कपड़े से ढके थर्मामीटर का उपयोग होता है. यह तापमान हवा की नमी को दर्शाता है. वेट बल्ब टेम्परेचर 31 डिग्री सेल्सियस होने पर खतरा बढ़ जाता है और 35 डिग्री सेल्सियस होने पर 6 घंटे से ज्यादा जीवित रहना मुश्किल हो सकता है.

भारत में वेट बल्ब टेम्परेचर

भारत के तटीय क्षेत्रों जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक में वेट बल्ब टेम्परेचर अधिक होता है. इन इलाकों में सालाना 35 से 200 दिन ह्यूमिड हीटवेव चलती है.

यह भी पढ़ें : उत्तर भारत में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़े, दिल्ली में Severe Heat wave अलर्ट, आसमान से बरस रही आग, जानें क्या करें, क्या नहीं

IMD और वेट बल्ब टेम्परेचर

IMD (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) वेट बल्ब टेम्परेचर के आंकड़े नहीं जारी करता. IMD केवल मैक्सिमम और मिनिमम तापमान के आधार पर हीटवेव घोषित करता है. वेट बल्ब टेम्परेचर की जानकारी आम लोगों को कन्फ्यूजन से बचाने के लिए जारी नहीं की जाती.

दुनियाभर में स्थिति

साइंटिफिक एडवांस जर्नल की एक स्टडी के अनुसार, 1979 से ह्यूमिड हीटवेव की घटनाएं दोगुनी हो गई थीं और 2060 तक इसके और दोगुना होने की संभावना है. भारत, चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ्रीका के कुछ क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. पाकिस्तान के जेकौबाबाद में चार बार वेट बल्ब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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