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This Article is From Mar 21, 2011

हवाई हमले में गद्दाफी का परिसर नष्ट, बेटे की मौत

त्रिपोली: लीबिया की राजधानी त्रिपोली में पश्चिमी देशों के सैन्य बलों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए मिसाइल हमले में लीबियाई शासक कर्नल मुअम्मार गद्दाफी का एक परिसर नष्ट हो गया। शनिवार को हुए एक हमले में गद्दाफी के एक बेटे की मौत हो गई। गठबंधन सेना के अधिकारियों का कहना है कि यह इमारत गद्दाफी के कमान केंद्रों में से एक थी। वेबसाइट 'डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट बीबीसी डॉट को डॉट यूके' के अनुसार पत्रकारों को इस तीन या चार मंजिला इमारत का मलबा दिखाया गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लीबिया को उड़ान निषिद्ध क्षेत्र घोषित किए जाने से सम्बंधी प्रस्ताव के पारित होने के बाद से अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने उस पर हमले शुरू कर दिए हैं। विपक्षी वेबसाइट्स और अरब मीडिया द्वारा सोमवार को दी गई जानकारी के अनुसार गद्दाफी के ठिकाने पर हुए एक हमले में गद्दाफी के एक बेटे खामिस गद्दाफी की मौत हो गई। खामिस हमले में बुरी तरह घायल हो गए थे और उन्होंने त्रिपोली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार खामिस गद्दाफी सम्भवत: शनिवार को उस समय घायल हो गए थे, जब लीबियाई वायु सेना के एक पायलट ने जानबूझकर अपने लड़ाकू विमान को त्रिपोली स्थित बाब अल-अजीजिया परिसर में गिरा दिया था। अरबियन बिजनेस न्यूज वेबसाइट की रपट के अनुसार, हमले के दौरान खामिस बुरी तरह झुलस गए थे। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि लीबियाई सशस्त्र बलों और हवाई सुरक्षा ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए हमलों का निशाना कर्नल गद्दाफी नहीं थे। रविवार रात त्रिपोली में विमान भेदी तोपों से गोलाबारी की गई और कई धमाके सुने गए। बाब अल-अजीजिया में कर्नल गद्दाफी के सैन्य ठिकाने और परिसर से धुएं के बादल उठते देखे गए। इससे पहले अमेरिकी रक्षा विभाग में नौ सेना के वाइस एडमिरल विलियम गोर्टनी ने बताया कि शनिवार से शुरू हुई इस सैन्य कार्रवाई से लीबिया की हवाई ताकत को काफी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि विद्रोहियों की ओर बढ़ रही जमीनी फौजों को निशाना बनाया गया। अमेरिकी अधिकारियों ने लीबिया सरकार द्वारा किए गए संघर्ष विराम के दावे पर संदेह व्यक्त किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टॉम डोनीलोन ने कहा, "संघर्ष विराम या तो लागू ही नहीं किया गया या फिर उसका तत्काल उल्लंघन कर दिया गया।" उधर अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने कहा है कि अमेरिका लीबिया पर इस कार्रवाई का हिस्सा बना रहेगा, लेकिन वह ज्यादा प्रमुख भूमिका नहीं निभाएगा। इस बीच खबर है कि गद्दाफी समर्थक सैनिकों ने बेनघाजी में दाखिल होने की कोशिश की है और मिसुराता में कार्रवाई की है। उधर, लीबिया में बाहरी फौजों का जमावड़ा जारी है। कतर इसके लिए चार विमान भेजने वाला है। इसके साथ ही लीबिया पर कार्रवाई करने वाला कतर पहला अरब देश बन जाएगा। उधर, फ्रांस का विमान वाहक पोत चार्ल्स द गाल भी भूमध्यसागर के तोलॉन बंदरगाह के लिए रवाना हो चुका है। डेनमार्क और नार्वे भी अपने विमान भेज रहे हैं। स्पेन ने तीन लड़ाकू विमान और एक विमान में ईंधन भरने वाला विमान लीबिया रवाना किया है। इटली के लड़ाकू विमान भी तैनाती के लिए तैयार हैं। कनाडा ने सिसली में छह विमान लगा दिए हैं। अब तक अमेरिकी और ब्रिटिश युद्ध पोतों से 100 से ज्यादा मिसाइलें लीबिया पर दागी जा चुकी हैं। इस बीच, भारत ने सोमवार को पश्चिमी देशों से आग्रह किया कि लीबिया में की जा रही बमबारी रोक दी जाए, साथ ही उसने सुझाव दिया कि गद्दाफी के शासन के खिलाफ हिंसक विद्रोह को समाप्त कर बातचीत का रास्ता अपनाया जाए। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने स्पष्ट किया कि भारत गद्दाफी का मित्र नहीं है और लीबिया के लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। ज्ञात हो कि भारत सुरक्षा परिषद के उन पांच सदस्यों में शामिल था, जिन्होंने पिछले सप्ताह लीबिया पर उड़ान निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने का समर्थन करने वाले प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। अन्य चार सदस्यों में रूस, चीन, जर्मनी और ब्राजील शामिल हैं। कृष्णा ने यहां संवाददाताओं से कहा, "संघर्ष रोका जाना समय की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि भारत, लीबिया में जारी हिंसा और बिगड़ रहे मानवीय हालात पर गम्भीर चिंता व्यक्त करता है। कृष्णा ने कहा, "हम लीबिया में हो रहे हवाई हमले पर खेद प्रकट करते हैं।" उन्होंने कहा कि मुख्यरूप से फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा किए जा रहे हवाई हमलों से बेगुनाह नागरिकों, विदेशी नागरिकों, दूतावासों और उनके कर्मचारियों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। कृष्णा ने कहा, "भारत सभी पक्षों से आह्वान करता है कि वे मतभेदों को दूर करने के लिए हिंसा, धमकी व बल का प्रयोग न करें। भारत का मानना है कि सभी पक्षों को संयुक्त राष्ट्र और अन्य क्षेत्रीय संगठनों के जरिए एक शांतिपूर्ण संवाद में हिस्सा लेना चाहिए और किसी समझौते का रास्ता निकालना चाहिए।" दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने सोमवार को एक बार फिर लीबिया सरकार से अपील की कि वह नागरिकों के खिलाफ जारी हिंसक कार्रवाई को तत्काल रोक दे। इसके साथ ही मून ने दुनिया भर के देशों से कहा कि वे लीबिया के खिलाफ एक सुर में बोलें। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार बान की-मून अरब लीग के प्रमुख अमर मोहम्मद मूसा के साथ काहिरा में एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। मून ने यमन से भी अपील की कि वह नागरिकों के खिलाफ हिंसा बंद करे और आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक संवाद शुरू करे। मून ने बहरीन में भी सभी पक्षों से आग्रह किया कि सभी को संयम बरतना चाहिए और मानवाधिकारों का आदर करना चाहिए। मून संवाददाता सम्मेलन के बाद जैसे ही अरब लीग के मुख्यालय से निकल कर तहरीर चौक की ओर बढ़े लीबिया सरकार के समर्थकों ने उन पर हमला बोल दिया। हमलावर लीबिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी गई मंजूरी का विरोध कर रहे थे। समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार सैकड़ों की संख्या में लीबिया समर्थकों ने मून पर पथराव किया और उनके खिलाफ नारे लगाए। इस हमले में हालांकि मून को कोई चोट नहीं लगी है। वह रविवार को काहिरा पहुंचे थे।

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