
- तालिबान ने अफगानिस्तान के पांच प्रांतों में गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया है.
- तालिबान ने महिलाओं द्वारा लिखी गई किताबें और मानवाधिकार संबंधी पाठ्यक्रम हटाने का आदेश दिया है.
- इस साल मई में तालिबान ने शतरंज पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसे जुए को बढ़ावा देने वाला माना गया है.
अफगानिस्तान में पिछले दिनों इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया है. इसकी वजह से इंटरनेट और मोबाइल टेलीफोन सर्विसेज पूरे देश में बंद रहीं. हालांकि तालिबान प्रशासन की तरफ से इस पर कोई भी सफाई नहीं दी गई है मगर इस कदम ने चिंता जताई गई है. हाल के कुछ दिनों में तालिबान की तरफ से ऑनलाइन पोर्नोग्राफी को लेकर चिंता जताई गई है. वहीं यह बात भी सच है कि साल 2021 में जब से तालिबान सत्ता में वापस आया है तब से ही महिलाओं और अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. मानवाधिकार समूहों और विदेशी सरकारों ने भी इसकी आलोचना की है. इस साल तालिबान ने महिलाओं की आजादी को खत्म करने वाले कई ऐसे कदम उठाए हैं जो वाकई चिंताजनक हैं. एक नजर डालिए ऐसे ही कुछ प्रतिबंधों पर.
इंटरनेट पर लगाया बैन
17 सितंबर को तालिबान ने 'गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए उत्तरी अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. यह प्रतिबंध पांच प्रांतों - कुंदुज, बदख्शां, बगलान, तखर और बल्ख और इस क्षेत्र के मुख्य आबादी वाले हिस्सों को कवर करता है. तालिबान का कहना है कि प्रतिबंध में मोबाइल फोन डेटा शामिल नहीं है.
महिलाओं की लिखी किताबें हटीं
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसी महीने तालिबान ने देश की यूनिवर्सिटीज से महिलाओं की लिखी गई किताबों को भी हटाना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार किताबों पर बैन के साथ तालिबान ने यूनिवर्सिटीज को लोकतंत्र, मानवाधिकार और महिला अध्ययन पर 18 पाठ्यक्रम हटाने का भी निर्देश दिया है. तालिबान ने इस फैसले को शरिया कानून के तहत ही बताया है. तालिबान ने मानवाधिकार, महिला अध्ययन और यौन उत्पीड़न से संबंधित विषयों के शिक्षण को भी बैन कर दिया है. ये बैन लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा (कक्षा 7-12) और महिलाओं की विश्वविद्यालय शिक्षा पर लंबे समय से लगे प्रतिबंध के अतिरिक्त हैं.
शतरंज पर प्रतिबंध
इस साल मई में, तालिबान ने शतरंज पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस आशंका का हवाला देते हुए कि इससे जुए की लत को बढ़ावा मिल रहा है. तालिबान जुए को एक सामाजिक बुराई मानता है. अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने कहा कि उसे इस फैसले पर खेद है. यह प्रतिबंध खेल के विकास को नुकसान पहुंचाएगा और अफगान खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसरों से वंचित करेगा.
महिला एड वर्कर्स भी बैन
तालिबान ने साल 2022 में अफगान महिला एनजीओ कर्मियों को घर से बाहर काम करना बंद करने का आदेश दिया था. हाल ही में आए भूकंप के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने तालिबान अधिकारियों से अफगान महिला एडवर्कर्स पर लगे प्रतिबंध हटाने, उन्हें पुरुष अभिभावकों के बिना यात्रा करने की अनुमति देने और देश के पूर्वी हिस्से में दो शक्तिशाली भूकंपों में 2,200 लोगों की मौत के बाद देखभाल पाने के लिए संघर्ष कर रही महिलाओं की मदद करने का अनुरोध किया था. तालिबान ने फिलहाल इस पर अभी तक कोई भी फैसला नहीं किया है.
सर्विसेज पर बैन
अफगानिस्तान के कुछ इलाकों में महिलाएं पुरुष डॉक्टरों से इलाज नहीं करवा सकती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं अगर उनके साथ कोई मेल गार्जियन या अभिभावक नहीं है तो उन्हें अस्पताल या क्लीनिक से बाहर भेज दिया जाता है.
पब्लिक स्पीच
एक आदेश में महिलाओं की ओर से पब्लिक स्पीच को 'नैतिक उल्लंघन' करार दिया गया है.
2024 में आए ये प्रतिबंध
इसके अलावा दिसंबर 2024 में आए कुछ आदेशों के तहत महिलाओं को नर्सिंग और दाई का काम सीखने पर प्रतिबंध लगा दिया. इससे महिलाओं के लिए हेल्थ सर्विसेज प्रोवाइड कराने का रास्ता भी बंद हो गया. दिसंबर 2024 में ही तालिबान नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा के एक आदेश में कहा गया था कि नई और मौजूदा इमारतों की खिड़कियां ऐसी जगहों पर नहीं होनी चाहिए जहां महिलाएं हो सकती हैं जैसे कि आंगन या रसोई. साल 2024 में ही लागू किए गए नए मीडिया सेंसरशिप नियमों ने महिलाओं को रेडियो पर बोलने से रोक दिया.
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