मोनेसा मुबारेज उन हजारों अफगान महिलाओं में एक है जो अपने बुनियादी हकों को छोड़ना नहीं चाहती. ये हक उन्हें 20 साल के पश्चिमी-समर्थित शासन के दौरान आसानी से मिले थे. कट्टरपंथी इस्लामी तालिबान के सत्ता पर काबिज होने से पहले 31 वर्षीय मोनेसा मुबारेज अफगानिस्तान के वित्त मंत्रालय में पॉलिसी मानीटरिंग विभाग में निदेशक के रूप में कार्य कर रही थी. बेशक, अफगानिस्तान के बड़े शहरों की रहने वाली वो एक ऐसी महिला थी जिसने अपने लिए आजादी हासिल की. इस तरह की स्वतंत्रता के बारे में 1990 के दशक के अंत में तालिबान के पिछले शासन के तहत पूर्व पीढ़ी ने सपने में भी नहीं सोचा था.
रायटर्स समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब मुबारेज बेरोजगार है. ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान के इस्लामी कानून के तहत महिलाओं को काम करने की इजाजत नहीं है. उन्होंने महिलाओं को रूढ़िवादी तरीके से पोशाक पहनने और घर की दीवारों के बीच कैद रहने का फरमान जारी किया हुआ है. यहां तक कि पूरे देश में लड़कियों के लिए सेकेंडरी स्कूल भी बंद कर दिए.
नई सरकार की कैबिनेट में कोई महिला नहीं है. और यहां तक कि महिला मामलों के मंत्रालय को भी बंद कर दिया गया था. राजधानी काबुल में महिला एक्टिविस्ट के रूप में मुबारेज को जाना जाता है. वे कहती हैं,” एक युद्ध समाप्त हो गया, लेकिन अफगान महिलाओं के लिए अपने हक के लिए लड़ाई शुरू हो गई है ... हम आखिरी सांस तक हर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे."
पश्चिमी समर्थित सरकार के गिराए जाने के बाद के हफ्तों में सड़कों पर गश्त कर रहे तालिबान सदस्यों द्वारा मार-पीट और हिरासत में लिए जाने के जोखिम के बावजूद, उसने कई विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया. बहरहाल, अब वे प्रदर्शन समाप्त हो गए हैं. मुबारेज ने आखिरी बार इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में 10 मई को हिस्सा लिया था.
लेकिन वह और अन्य लोग घरों में छुप कर मिलते हैं. महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा करती हैं और लोगों से आग्रह करती हैं कि वो इस मुहीम से जुड़ें. पिछली बार जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर शासन किया था तो इस तरह की सभाओं के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था.
जुलाई में अपने घर पर इस तरह की एक बैठक के दौरान, मुबारेज और महिलाओं के एक समूह ने फर्श पर एक घेरे में बैठकर अपने अनुभवों के बारे में बात की. इस बैठक में महिलाओं ने "भोजन", "काम" और "आजादी" जैसे शब्दों का इस्तेमाल की मानों वो बाहर में कोई रैली संबोधित कर रही हैं.
"हम अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ते हैं, हम अपने अधिकारों और अच्छे हालात के लिए लड़ते हैं. हम किसी देश, संगठन या जासूसी एजेंसी के लिए काम नहीं करते हैं. यह हमारा देश है, यह हमारी मातृभूमि है, और हमें यहां रहने का पूरा अधिकार है." एक महिला ने रायटर्स समातार एजेंसी से कहा.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि एलिसन डेविडियन ने कहा कि मुबारेज जैसी कहानियां पूरे देश में आपको मिल सकती है. "दुनिया भर में कई महिलाओं के लिए अपने घर के सामने के दरवाजे से बाहर घूमना जीवन का एक सामान्य हिस्सा है. लेकिन कई अफगान महिलाओं के लिए, यह एक असाधारण बात है. यह उन नियम-कानून को तोड़ने जैसा है जिसे तालिबानों ने बनाया है." उसने कहा.
महिलाओं को लेकर सार्वजनिक इलाकों में उनके व्यवहार को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं हैं लेकिन फिर भी काबुल जैसे अपेक्षाकृत उदार शहरी इलाकों में महिलाओं को बिना पुरुष संरक्षक के सफर करते देखा जा सकता है. लेकिन दक्षिण और पूर्वी अफगानिस्तान में यह देखने को नहीं मिलता है. तालिबान कानून के मुताबिक, जब महिलाएं 78 किमी (48 मील) से अधिक की यात्रा करती हैं, तो सभी महिलाओं को एक पुरुष संरक्षक की आवश्यकता होती है.
लड़कियों और महिलाओं के प्रति तालिबान शासकों के व्यवहार को लेकर ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान के नए शासकों को मान्यता देने से इंकार कर दिया है. अरबों डॉलर की सहायता में कटौती की और अफगानिस्तान में आर्थिक संकट को और भी बढ़ा दिया है.
कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि महिलाओं के संबंध में नीतियां शीर्ष नेताओं द्वारा निर्धारित की जाती हैं और आगे टिप्पणी करने से इनकार कर देते हैं. तालिबान नेतृत्व ने कहा है कि शरिया की व्याख्या के तहत सभी अफगानों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी.
तालिबान ने कहा कि वे विदेशी कब्जे का विरोध कर रहे हैं, और सत्ता में लौटने के बाद से पूर्व दुश्मनों के खिलाफ प्रतिशोध की नीति नहीं अपनाने की कसम खाई है. जिन मामलों में प्रतिशोध की सूचना मिली थी उसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि वे जांच करेंगे.
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