ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग (Iran Israel Conflict) के बीच आज तेहरान में हुई जुमे की नमाज बहुत ही खास है. नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई (Ayatollah Khamenei Speech) ने पहली बार जुमे की नमाज की अगुवाई की. उन्होंने तेहरान की इमाम खुमैनी ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद में नमाज पढ़वाई. खामनेई का भाषण इजरायल के हमले में मारे गए हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के लिए एक प्रार्थना सभा आयोजित होने के बाद शुरू हुआ.
खामेनेई ने ईरान के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इज़रायल की साम्राज्यवादी नीति फूट डालो और राज करो के तर्क पर आधारित है. उन्होंने मुस्लिम देशों से एकजुटता का आह्वान करते हुए चेतावनी दी कि अगर दुश्मन किसी भी इस्लामी राष्ट्र पर हमला करने में सफल गया तो दूसरे लोग भी उसका अनुसरण करेंगे.
खामनेई ने दुनियाभर के मुस्लिमों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि अल्लाह के बताए रास्ते से हम हटें नहीं. दुश्मन अपनी शैतानी सियासत बढ़ाना चाहते हैं. अगर मुस्लिम साथ मिलकर रहेंगे, तो उनका भला होगा. हम दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम कर देंगे.
नसरल्लाह के मारे जाने के बाद खामनेई ने पहली बार देश को संबोधित किया. खामनेई इस दौरान क्या कुछ बोले, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें रहीं. नसरल्लाह की मौत के बाद से किसी सीक्रेट जगह पर छिपे खामनेई आज पहली बार सार्वजनिक तौर पर बाहर निकले.
खामनेई को सुनने तेहरान में जुटी भारी भीड़
तेहरान में जुमे की नमाज और खामनेई के भाषण को सुनने के लिए बड़ी तादात में भीड़ जुटी. लाखों की भीड़ में बड़ी संख्या में महिलाएं भी नमाज में शामिल हुईं. इस दौरान खामनेई ने ये बताया कि ईरान की आगे की रणनीति क्या होगी.
हसन नसरल्लाह का आज अंतिम संस्कार
इजरायल और ईरान के बीच तनाव जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, युद्ध का खतरा भी गहराने लगा है.दोनों के एक दूसरे पर हमले जारी हैं. इस बीच आज का दिन दो मायनों में खास है. एक तो आज जुमे की नमाज और दूसरा हमले में मारे गए हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को आज सुपर्द-ए-खाक किया जाना है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों नमाज के लिए जुटे, जिसे लेकर इजरायली सेना अलर्ट पर है.
5 साल बाद जुमे की नमाज की तकरीर कर रहे खामनेई
ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई ने साल 2020 यानी कि पांच साल बाद पहली बार जुमे की नमाज की तकरीर की. इजरायल जिस तरह से बगले की कसम खाए बैठा है, ईरान को इस बीच ये डर भी है कि वह कहीं कोई हमला न कर दे. खामनेई के आज हुए भाषण से 1985 में तेहरान में हुई जुमे की उस नमाज की याद जहन में एक बार फिर ताजा कर दिया, जब तकरीर के दौरान भयानक धमाका हुआ था, लेकिन वह फिर भी नहीं रुके थे.
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