वाशिंगटन:
भारत के एनएसजी सदस्यता प्रयास में चीन के रोड़ा अटकाने के बीच एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका इन दोनों देशों के बीच ‘‘स्वस्थ संबंध’’ देखना चाहेगा जो महत्वपूर्ण प्रभाव वाली अत्यंत मजबूत और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, ‘‘हम भारत और चीन के बीच स्वस्थ द्विपक्षीय संबंध देखना चाहेंगे। हम उनको काम करते देखना चाहेंगे चाहे वे कोई भी मतभेद रखते हों।’’ किर्बी भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर चीन के विरोध के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
भारत और चीन दोनों ‘‘बहुत मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्थाएं’’
उन्होंने कहा, ‘‘चीन के साथ हमारे मतभेद हैं और हम उनके जरिए काम करने की कोशिश के लिए वार्ता के वास्ते मजबूत माध्यम रखते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें हर चीज पर सहमत होना है, लेकिन हम स्वस्थ चर्चा के लिए माध्यम और मार्ग रखते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों ‘‘बहुत मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्थाएं’’ हैं। दोनों ही देशों में बड़ी आबादी रहती है और वे क्षेत्रीय स्तर पर ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं।
किर्बी ने कहा, ‘‘इसलिए हमारा मानना है कि भारत और चीन के बीच बेहतर, स्वस्थ संबंध, एक अच्छा द्विपक्षीय संबंध हर किसी के हित में है।’’ अमेरिका यह स्पष्ट कर चुका है कि वह एनएसजी के भीतर भारत के आवेदन पर गंभीरता से विचार होते देखना चाहता है।
चीन ने भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर विरोध का नेतृत्व किया
रात्रिभोज के बाद तीन घंटे तक चली परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में चीन ने ‘‘शत्रुतापूर्ण तरीके से’’ भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर विरोध का नेतृत्व किया। बैठक गतिरोध के साथ समाप्त हुई।
एनएसजी की गुरुवार को शुरू हुई दो दिवसीय पूर्ण बैठक से पहले चीन ने बार-बार कहा था कि भारत की सदस्यता का मुद्दा एजेंडे में नहीं है और कहा जाता है कि उसने भारत के प्रयास पर किसी भी चर्चा को रोकने के लिए प्रत्येक प्रयास किया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, ‘‘हम भारत और चीन के बीच स्वस्थ द्विपक्षीय संबंध देखना चाहेंगे। हम उनको काम करते देखना चाहेंगे चाहे वे कोई भी मतभेद रखते हों।’’ किर्बी भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर चीन के विरोध के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
भारत और चीन दोनों ‘‘बहुत मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्थाएं’’
उन्होंने कहा, ‘‘चीन के साथ हमारे मतभेद हैं और हम उनके जरिए काम करने की कोशिश के लिए वार्ता के वास्ते मजबूत माध्यम रखते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें हर चीज पर सहमत होना है, लेकिन हम स्वस्थ चर्चा के लिए माध्यम और मार्ग रखते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों ‘‘बहुत मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्थाएं’’ हैं। दोनों ही देशों में बड़ी आबादी रहती है और वे क्षेत्रीय स्तर पर ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं।
किर्बी ने कहा, ‘‘इसलिए हमारा मानना है कि भारत और चीन के बीच बेहतर, स्वस्थ संबंध, एक अच्छा द्विपक्षीय संबंध हर किसी के हित में है।’’ अमेरिका यह स्पष्ट कर चुका है कि वह एनएसजी के भीतर भारत के आवेदन पर गंभीरता से विचार होते देखना चाहता है।
चीन ने भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर विरोध का नेतृत्व किया
रात्रिभोज के बाद तीन घंटे तक चली परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में चीन ने ‘‘शत्रुतापूर्ण तरीके से’’ भारत के एनएसजी सदस्यता मुद्दे पर विरोध का नेतृत्व किया। बैठक गतिरोध के साथ समाप्त हुई।
एनएसजी की गुरुवार को शुरू हुई दो दिवसीय पूर्ण बैठक से पहले चीन ने बार-बार कहा था कि भारत की सदस्यता का मुद्दा एजेंडे में नहीं है और कहा जाता है कि उसने भारत के प्रयास पर किसी भी चर्चा को रोकने के लिए प्रत्येक प्रयास किया।
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