टेस्ला ने जर्मनी में अपने प्लांट में राइट-हैंड ड्राइव कारों का उत्पादन शुरू कर दिया है. इन कारों का भारत में निर्यात किया जाएगा. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.कंपनी की योजनाओं से अवगत तीन लोगों ने रॉयटर्स को बताया कि, चूंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार है, इसलिए इसमें संभावित प्रवेश के साथ कंपनी आगे बढ़ रही है.
कार निर्माता कंपनी टेस्ला की एक टीम के इसी महीने के अंत में भारत का दौरा करने की उम्मीद है. यह टीम भारत में स्थानीय कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए साइटें देखेगी. इसके लिए करीब दो बिलियन डॉलर के निवेश की जररूत होगी. तीन में से दो लोगों ने योजनाएं फिलहाल सार्वजनिक नहीं होने के कारण अपना नाम बताने से इनकार कर दिया.
भारत ने पिछले महीने कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों पर इम्पोर्ट टैक्स रेट कम कर दिया है. यह छूट इस शर्त के साथ है कि निर्माता देश में कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करें और तीन साल के भीतर उत्पादन शुरू करें. यह कदम टेस्ला के लिए एक जीत है, जिसने टैक्स कम करने के लिए महीनों तक पैरवी की थी, लेकिन उसे स्थानीय कार निर्माताओं के विरोध का सामना करना पड़ा.
एक जानकार ने कहा, "भारत को जो राइट-हैंड ड्राइव कारें भेजी जाएंगी, उन्होंने उनका निर्माण शुरू कर दिया है." कुछ कारें साल के अंत तक भारत भेजी जाएंगी.
यह फिलहाल साफ नहीं है कि टेस्ला भारत में अपनी कार का कौन सा मॉडल निर्यात करने वाला है. कंपनी वर्तमान में बर्लिन के पास अपने कारखाने में केवल मॉडल Y का उत्पादन करती है.
नई भारतीय नीति के तहत कंपनियां कम टैक्स रेट पर हर साल 8000 तक कारों का भारत में आयात कर सकती हैं. टेस्ला ने इस बारे में टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया है.
बर्लिन में राइट-हैंड ड्राइव (RHD) कारों का उत्पादन भारत में शिपमेंट की योजना का पहला संकेत है. टेस्ला का शंघाई प्लांट इसका प्रायमरी एक्सपोर्ट हब है. यह ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे राइट-हैंड-ड्राइव बाजारों के करीब स्थित है. अब तक यहीं ऐसे वाहनों का उत्पादन होला है.
टेस्ला ने ब्रिटेन में लॉन्च के लिए आरएचडी मॉडल वाई व्हीकल को चीन से इम्पोर्ट किया. उसने यह नहीं बताया कि क्या यह बर्लिन से आयात करने के लिए स्थानांतरित हो गया है.
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