चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स या NBS) के अनुसार, चीन की वार्षिक GDP वृद्धि (सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी) तीन फीसदी तक गिर गई है, जो वर्ष 2022 के लिए तय किए गए 5.5 फीसदी के सरकारी लक्ष्य से काफी कम है. 'फाइनेंशियल पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की आर्थिक मंदी के चलते दुनियाभर में असर पड़ सकता है. दावोस 2023, यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए चीन के उपप्रधानमंत्री लियू हे ने चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चिंताओं और चुनौतियों को बेहद विस्तार से ज़ाहिर किया था.
उन्होंने कहा था, "पिछले पांच साल में हमने हर तरह की अप्रत्याशित घटनाओं का सामना किया है, और दुनियाभर के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव भी देखा है... इसलिए, इस वर्ष की वार्षिक बैठक का थीम 'खंडित विश्व में सहयोग' कतई प्रासंगिक है..."
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'फाइनेंशियल पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार, "COVID-19 महामारी ने चीन के विकास में छेद कर दिया... IMF द्वारा प्रकाशित पूर्वानुमानों की तुलना में अक्टूबर, 2022 में चीन की GDP वृद्धि कुछ ही कम थी... IMF के पूर्वानुमान के मुताबिक चीन की GDP विकास दर लगभग 4.4 फीसदी थी... लेकिन 1974 में GDP में दर्ज की गई 2.3 फीसदी की वृद्धि के बाद से यह चीनी अर्थव्यवस्था की सबसे धीमी वृद्धि है..."
पर्यवेक्षक काफी वक्त से चीन के मिडिल-इनकम ट्रैप में फंसने की बातें कहते आ रहे हैं, और अब इस बात के सबूत भी सामने आए कि चीन को '80 के दशक के अंत और '90 के समूचे दशक में दर्ज की गई 10 फीसदी या उससे भी ज़्यादा दर के आसपास बढ़ोतरी को बनाए रखने में दिक्कतें आ रही हैं.
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, लेखक और सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर फ्यूचर स्ट्रैटेजी के प्रमुख किम ब्युंग-योन ने कहा है कि "चीनी अर्थव्यवस्था मिडिल-इनकम-कन्ट्री के ट्रैप में फंसती जा रही है..." किम के मुताबिक, चीन के मामले में दीर्घावधि विकास दर निर्धारित करने वाली उत्पादकता में तेज़ी से गिरावट आई है.
'फाइनेंशियल पोस्ट' की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014 के बाद गिरावट के रुख वाला रुझान गहराता चला गया. चीन में पिछले 15 वर्ष के दौरान तेज़ी से हुई बढ़ोतरी में बुनियादी ढांचे से लेकर कारखानों, आवासों और सड़कों के निर्माण का ज़्यादा योगदान रहा है, संरचनात्मक सुधार और नवाचार का कम.
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