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टैरिफ पर बुरा ‘फंस गए रे ट्रंप’? अमेरिका के ही इस बड़े राज्य ने सरकार पर किया केस, जानिए वजह

कैलिफोर्निया के गवर्नर और अटॉर्नी जनरल ने बुधवार, 16 अप्रैल को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार टैरिफ लगाने और फिर हटाने की हरकत को लेकर उन्होंने संघीय सरकार पर मुकदमा किया है.

टैरिफ पर बुरा ‘फंस गए रे ट्रंप’? अमेरिका के ही इस बड़े राज्य ने सरकार पर किया केस, जानिए वजह
डोनाल्ड ट्रंप की सरकार पर कैलिफोर्निया ने केस दायर किया है

अमेरिका के एक राज्य ने अपनी ही संघीय सरकार यानी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार को कोर्ट में घसीट लिया है, उसपर केस दायर कर दिया है. कैलिफोर्निया के गवर्नर और अटॉर्नी जनरल ने बुधवार, 16 अप्रैल को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार टैरिफ लगाने और फिर हटाने की हरकत को लेकर उन्होंने संघीय सरकार पर मुकदमा किया है. उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के पास टैरिफ पॉलिसी को लागू करने का अधिकार नहीं है.

अमेरिका के अंदर यह कदम टैरिफ लागू करने के खिलाफ अब तक की सबसे मजबूत प्रतिक्रिया है. ट्रंप के टैरिफ पॉलिसी ने सिर्फ वैश्विक शेयर बाजारों को मंदी में नहीं डाला है, बल्कि पूरे अमेरिका में बिजनेस को भी अनिश्चितता के भंवर में लाकर खड़ा कर दिया है.

कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसॉम ने कहा, "यह इस देश के इतिहास में सबसे खराब आत्मघाती गोल (ओन गोल) है.. यह सबसे आत्मघाती चीजों में से एक है जिसे हमने आधुनिक अमेरिकी इतिहास में अनुभव किया है."

कैलिफोर्निया ट्रंप के टैरिफ की मार कैसे झेल रहा?

कैलिफोर्निया 4 करोड़ लोगों और एक ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था का घर है जो विदेश में बड़ी मात्रा में व्यापार करता है. यह राज्य अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 14 प्रतिशत हिस्सा रखता है. यह अगर आजाद देश होता तो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होता. लेकिन ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी की वजह से कैलिफोर्निया आर्थिक क्षति का खामियाजा भुगतने के लिए तैयार है.

गवर्नर गेविन न्यूसॉम के कार्यालय का कहना है कि अगर ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के कारण कैलिफोर्निया का अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिकुड़ता है तो उसे राजस्व में अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है.

ट्रंप ने लंबे समय से टैरिफ को एक आर्थिक उपकरण के रूप में महत्व दिया है. उनका दावा है कि टैरिफ लगाकर वह अमेरिका के व्यापारिक संबंधों को फिर से संतुलित करेंगे, अमेरिका को व्यापार घाटे से बाहर लाएंगे. उन्होंने 2 अप्रैल को अमेरिका के लिए लिबरेशन डे करार देते हुए तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया. इसके बाद उन्होंने चीन को छोड़कर (अब दोनों के बीच ट्रेड वॉर जारी है) तमाम देशों को 90 दिनों की राहत भी दे दी. तब से उनमें से कई टैरिफ पर रोक लगा दी गई है, लेकिन ट्रंप की अराजक घोषणा ने वैश्विक शेयर बाजारों को संकट में डाल दिया, जिससे खरबों डॉलर साफ हो गए.

गवर्नर गेविन न्यूसॉम ने कहा कि ट्रंप के आर्थिक कुप्रबंधन की कीमत हर रोज अमेरिकियों को चुकानी पड़ रही है. जबकि दूसरी तरफ ट्रंप अपने अरबपति डोनर्स और दोस्तों को मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका कुछ ही हफ्तों में "मुक्त पूंजीवाद से साठगांठ वाले पूंजीवाद की ओर चला गया है.. आखिर हम कैसे बैठे हैं और ऐसा होने दे रहे हैं?" 

माना जा रहा है कि गवर्नर न्यूसॉम खुद को 2028 में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में लाना चाहते हैं.

कैलिफोर्निया का एक्शन

ट्रंप ने टैरिफ पॉलिसी को लागू करने के लिए अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम का उपयोग किया. बुधवार को शुरू की गई कानूनी कार्रवाई में तर्क दिया गया है कि यह कानून ट्रंप को अमेरिका में आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता है. राज्य के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने मीडिया से कहा, "हम अदालत से राष्ट्रपति पर लगाम लगाने और संविधान को कायम रखने की मांग कर रहे हैं… राष्ट्रपति एक बार फिर ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे कि वह कानून से ऊपर हैं, लेकिन ऐसा नहीं है."

बोंटा ने कहा कि टैरिफ लगाने की शक्ति कांग्रेस के पास है, और मुकदमे में यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि ट्रंप के कामों को वापस ले लिया जाए. यह मामला एक दर्जन से अधिक मुकदमों में से लेटेस्ट है जो कैलिफोर्निया ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ दायर किया है.

वहीं व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने आरोपों को खारिज कर दिया. प्रवक्ता ने कहा, "कैलिफोर्निया के बड़े पैमाने पर अपराध, बेघरता और रहने के बढ़ते खर्च पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, गेविन न्यूसॉम हमारे देश के लगातार व्यापार घाटे की राष्ट्रीय आपात स्थिति को संबोधित करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के ऐतिहासिक प्रयासों को रोकने में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं."

(इनपुट- एएफपी)

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