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This Article is From Apr 16, 2016

ISI ने अफगानिस्तान में CIA शिविर पर हमले के लिए हक्कानी नेटवर्क को धन दिया !

ISI ने अफगानिस्तान में CIA शिविर पर हमले के लिए हक्कानी नेटवर्क को धन दिया !
अफगानिस्तान के असदाबाद में सड़क पर गश्‍त करते अमेरिकी सैनिक का फाइल फोटो...
वा‍शिंगटन: पाकिस्तान की कुख्यात जासूसी एजेंसी आईएसआई ने दुर्दांत हक्कानी नेटवर्क को साल 2009 में एक सीआईए शिविर पर आत्मघाती हमले के लिए दो लाख डॉलर दिए थे। इस हमले में सात अमेरिकी एजेंट और कॉन्‍ट्रेक्‍टर तथा तीन अन्य मारे गए थे। सार्वजनिक किए गए विदेश विभाग के एक केबल में यह कहा गया है।

11 जनवरी 2010 और छह फरवरी 2010 से विदेश विभाग के केबल की एक श्रृंखला में यह विस्फोटक जानकारी है। इसे सूचना स्वतंत्रता अधिनियम के तहत जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार द्वारा हासिल किया गया है। इन दस्तावेजों के एक अहम हिस्से को संपादित कर दिया गया है।

छह फरवरी 2010 की तारीख वाले केबल में कहा गया है कि हक्कानी, सलार और एक बगैर पहचान के आईएसआई डी अधिकारी के बीच चर्चा के दौरान हक्कानी और सलार को चंपन पर हमले के लिए दो लाख डॉलर मुहैया किए गए। केबल में कहा गया है कि हक्कानी ने यह धन सलार को मुहैया किया, जिसने योजना का ब्योरा मौलवी (साख) को दिया, जिसने खोस्त प्रांत बल के अफगान सीमा कमांडर अर्घवान से संपर्क किया। सलार ने अर्घवान को एक आत्मघाती मिशन को सफल बनाने में सहायता के लिए एक लाख डॉलर का आश्वासन दिया।

जारी किए गए इन केबलों में से एक केबल के अनुसार, आईएसआई ने वर्ष 2009 में अफगानिस्तान के सीआईए शिविर पर आत्मघाती हमले के लिए खूंखार हक्कानी नेटवर्क को दो लाख डॉलर दिए थे। उस हमले में सात अमेरिकी एजेंट और ठेकेदार एवं तीन अन्य लोग मारे गए थे। सीआईए ने इस केबल पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

एक खुफिया अधिकारी ने बताया कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, जो केबल में दी गई जानकारी को साबित करते हों, हालांकि यह वास्तविक है। अमेरिका यह कहता रहा है कि अफगानिस्तान स्थित सीआईए बेस पर हमला अलकायदा ने किया था न कि हक्कानी नेटवर्क ने।

जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव की ओर से जारी केबल में कहा गया, 'चैपमैन में हमला करने के लिए एक अज्ञात तिथि पर हक्कानी सलार और एक अज्ञात आईएसआईडी अधिकारी या अधिकारियों के बीच चर्चाओं के दौरान हक्कानी और सलार को दो लाख डॉलर उपलब्ध करवाए गए थे।' विश्वविद्यालय ने ये केबल सूचना की स्वतंत्रता कानून के तहत विदेश मंत्रालय से प्राप्त किए थे। विदेश मंत्रालय ने केबल से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दिए।

एक खुफिया अधिकारी के अनुसार, जमीनी स्तर पर मौजूद किसी सूत्र से प्राप्त केबल में दर्ज जानकारी की पुष्टि नहीं की जा सकती और इस सूचना से मेल खाता अन्य कोई केबल नहीं है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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