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हार्वर्ड के बाद फिलिस्‍तीन समर्थक खलील की रिहाई का ऑर्डर, एक के बाद एक कोर्ट से ट्रंप को मिल रहे झटके

फिलिस्‍तीन कार्यकर्ता और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र महमूद खलील को 104 दिन हिरासत में बिताने के बाद शुक्रवार को लुइसियाना के फेडरल इमीग्रेशन सेंटर से रिहा कर दिया गया.

हार्वर्ड के बाद फिलिस्‍तीन समर्थक खलील की रिहाई का ऑर्डर, एक के बाद एक कोर्ट से ट्रंप को मिल रहे झटके
वॉशिंगटन:

हार्वर्ड के बाद शुक्रवार को ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को एक और मामले पर कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद फिलिस्‍तीन कार्यकर्ता और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र महमूद खलील को 104 दिन हिरासत में बिताने के बाद शुक्रवार को लुइसियाना के फेडरल इमीग्रेशन सेंटर से रिहा कर दिया गया. एक जज ने उनकी रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में रखने का कोई कारण नहीं था. खलील, जो कैंपस विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ ट्रंप की सख्त कार्रवाइयों का प्रतीक बन गए थे. 

आठ मार्च को हुए थे गिरफ्तार 

उन्‍हें आठ मार्च को मैनहट्टन में उनके अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया था. फैसले के बाद अब वह अपनी पत्‍नी, एक अमेरिकी नागरिक और उनके नवजात बेटे से मिलने के लिए न्यूयॉर्क जा सकते हैं. खलील ने कहा, 'न्याय की जीत हुई लेकिन यह बहुत देर से हुआ. इसमें तीन महीने नहीं लगने चाहिए थे.' कोर्ट का यह फैसला ट्रंप को एक के बाद एक मिलते झटकों में नई कड़ी है. 

कोर्ट से मिलती ट्रंप को निराशा 

एक नजर डालिए कि अब तक कोर्ट ने ट्रंप के कितने फैसलों को खारिज किया है और ये कैसे अमेरिकी राष्‍ट्रपति के लिए झटके साबित हुए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2025 से जब से ट्रंप ने दोबारा व्‍हाइट हाउस में एंट्री ली है तब से ही- 

  • कोर्ट ने 128 बार मामलों में ट्रंप प्रशासन की कार्रवाइयों को रोकने के लिए 200 से ज्‍यादा आदेश जारी किए हैं.
  • उनमें से 43 मामले आगे बढ़े, जबकि 140 से ज्‍यादा अभी भी लंबित हैं. 
  • अदालतों की तरफ से करीब 9 एग्जिक्‍यूटिव्‍स ऑर्ड्स (ईओ) को पूरी तरह से ब्‍लॉक कर दिया गया है. 
  • उनके 143 ईओ में से लगभग एक तिहाई को लगातार कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 

कौन-कौन से मामलों पर लगी रोक 

  • हार्वर्ड में विदेशी छात्रों का मामला-ब्‍लॉक 
  • जन्मसिद्ध नागरिकता खत्‍म करना-ब्‍लॉक 
  • शरणार्थी कार्यक्रम को सस्‍पेंड करना-अस्‍थायी ब्‍लॉक 
  • शहरों के लिए सरकारी मदद को रोकना- अस्थाई तौर पर ब्‍लॉक 
  • शिक्षा विभाग को खत्म करना-अस्थाई तौर पर ब्‍लॉक 
  • पीस इंस्‍टीट्यूट को बंद करना- अस्थाई तौर पर ब्‍लॉक 
  • सरकारी कर्मियों की छंटनी- अस्थाई तौर पर ब्‍लॉक 
  • लिंग-पुष्टि देखभाल के लिए सरकारी मदद को खत्‍म-अस्थायी तौर पर ब्‍लॉक 
  • अमेरिकी चुनावों में परिवर्तन-आंशिक तौर पर ब्‍लॉक 
  • विदेशी सहायता पर रोक- अस्‍थायी तौर पर ब्‍लॉक 

कैसा था पहला कार्यकाल 

जहां ऊपर बताए गए मामलों पर कोर्ट ने अस्‍थायी रोक लगाई तो वहीं कुछ ऐसे हैं जिन पर सुनवाई जारी है. अगर हम ट्रंप के पहले कार्यकाल को देखें तो उसमें भी कुछ ऐसा ही हाल था. न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (NYU) के स्कूल ऑफ लॉ में इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी इंटिग्रिटी की तरफ से साल 2021 में आई ट्रैकिंग रिपोर्ट के अनुसार साल जनवरी 2017 से 2021 तक ट्रंप प्रशासन को 80 से 90 फीसदी तक कानूनी चुनौतियों को गंवाना पड़ा था. जनवरी 2021 तक, प्रशासन को अदालतों की तरफ से की गई समीक्षा के बाद करीब 250 फैसलों में से 200 से ज्‍यादा मामलों में हार का सामना करना पड़ा था.

पहले कार्यकाल में ट्रंप के जिन फैसलों पर रोक लगी थी उनमें 

  • कोर्ट्स ने कई मुस्लिम देशों पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंध के कुछ हिस्सों पर रोक लगा दी थी. हालांकि बैन के बाद के हिस्‍से को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था.  
  • डीएसीए यानी डेफरड एक्‍शन फॉर चाइल्‍डहुड अराइवल को वापस लेने को कई कोर्ट्स ने गैरकानूनी करार दिया. 
  • कुछ देशों के लिए अस्थायी संरक्षित स्थिति (टीपीएस) को खत्‍म करने के प्रयासों को भी ब्‍लॉक कर दिया गया था. 
  • नियम बनाने की प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने के कारण दर्जनों EPA रोलबैक (क्‍लीन एयर, पानी  और इमीशन रूल्‍स) रद्द कर दिया गया. 
  • कोर्ट्स ने ओबामा कार्यकाल के जलवायु नियमों जैसे कि क्लीन पावर प्लान को कैंसिल करने पर रोक लगा दी थी. 
  • 2020 की जनगणना में नागरिकता सवाल जोड़ने के प्रयास पर सुप्रीम कोर्ट की रोक. 
  • मतदान प्रक्रियाओं को बदलने के प्रयासों के खिलाफ फैसला दिया. 
  • कुछ अधिकार क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए सिक्‍योरिटी वापस लेने के आदेश पर रोक. 

हार्वर्ड में विदेशी छात्रों का प्रवेश रोकने के ट्रंप के प्रयास को कोर्ट का झटका

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