कुछ देशों में 'विस्तारवाद' की प्रवृत्ति होने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर चीन ने आज सावधानी भरी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि वह किस संदर्भ में यह बात कह रहे हैं और चीन ने उनकी पिछली टिप्पणियों की याद दिलाई, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को सामरिक भागीदार बताया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता किन गांग ने यहां मीडिया ब्रीफिंग के दौरान मोदी की जापान यात्रा के दौरान की गई टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के बारे में प्रासंगिक सूचना का संज्ञान लिया है। आपने उनके द्वारा की गई टिप्पणी का उल्लेख किया है। मैं नहीं जानता कि वह किस संदर्भ में ऐसा कह रहे हैं।'
प्रवक्ता ने कहा, 'लेकिन मैं उनके (मोदी के) शब्दों को उद्धृत करके आपके इस सवाल का जवाब दे सकता हूं। उन्होंने कहा था कि चीन और भारत समान विकास के लिए सामरिक साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच अच्छे पड़ोसी के रिश्ते और सहयोग पूरी दुनिया तथा मानवता की खुशहाली के लिए बहुत अहमियत रखते हैं।'
इससे पहले मोदी ने आज कुछ देशों की 'विस्तारवादी' प्रवृत्ति की आलोचना की, जो दूसरों के सागर में 'अतिक्रमण' करते हैं। मोदी ने कहा, 'दुनिया दो धाराओं में बंटी है। एक, विस्तारवाद की धारा है और दूसरी विकासवाद की। हमें तय करना है कि विश्व को विस्तारवाद के चंगुल में फंसने देना है या विश्व को विकासवाद के मार्ग पर ले जाकर, नई उंचाइयों पर ले जाकर नई उंचाइयों के अवसर पैदा करना है। बुद्ध के रास्ते पर चलने वाले और विकासवाद को मानने वालों का विकास होता है। ..लेकिन आज हम चारों तरफ देख रहे हैं कि 18वीं सदी की जो स्थिति थी, विस्तारवाद नजर आ रहा है।'
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