
- चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत के दौरे के बाद पाकिस्तान जा रहे हैं जो तीन वर्षों में दूसरा दौरा होगा.
- चीनी विदेश मंत्री का पाक दौरा चीन-पाकिस्तान के ऑल वेदर स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को और मजबूत करने के लिए है.
- चीन ने भारत के ताइवान संबंधों पर दावे को गलत तरीके से पेश किया, जबकि भारत ने अपनी तटस्थ नीति जारी रखी है.
ड्रैगन की तरफ दोस्ती का हाथ भी बढ़ाएं तो अपनी नजर उसके दूसरे हाथ पर रखें कि वो कहीं खंजर लेकर तो नहीं बैठा. चीन एक बार फिर चालबाजी दिखा रहा है. अमेरिका से अनबन के बीच एक तरफ वो भारत की तरफ दोस्ती का हाथ भी बढ़ा रहा है तो दूसरी तरफ वो अपना शातिर दिमाग भी लगा रहा है. चीन के विदेश मंत्री का भारत दौरा बुधवार, 20 अगस्त को खत्म हो रहा है और इसके ठीक बाद वो सीधा इस्लामाबाद जा रहे हैं. चीन साफ मैसेज दे रहा है कि वो पाकिस्तान को शह देना जारी रखेगा. इतना ही नहीं जिस तरह भारत में विदेश मंत्री की बैठक के दौरान चीन ने ताइवान वाले मुद्दे पर चालबाजी करने की कोशिश की है, वो भी दिखाता है कि भारत को सचेत रहने की जरूरत है. चलिए आपको चीनी विदेश मंत्री के इस्लामाबाद दौरे और ताइवान मुद्दे पर चीन की चालबाजी- दोनों के बारे में बताते हैं.
तीन साल में इस्लामाबाद का दूसरा दौरा
चीनी विदेश मंत्री वांग यी पाकिस्तान के साथ ऑल वेदर संबंधों की समीक्षा के लिए वार्षिक रणनीतिक वार्ता में भाग लेने के लिए बुधवार को इस्लामाबाद की यात्रा करेंगे. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने मंगलवार को कहा कि वांग 20-22 अगस्त तक पाकिस्तान का दौरा करेंगे और पाकिस्तानी उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के साथ चीन-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता के छठे दौर में भाग लेंगे.
वहीं इस्लामाबाद में, चीन के विदेश कार्यालय ने कहा कि वांग 21 अगस्त को छठे पाकिस्तान-चीन विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता की सह-अध्यक्षता करने के लिए विदेश मंत्री डार के निमंत्रण पर पाकिस्तान का दौरा कर रहे हैं. एक बयान में कहा गया, "यह यात्रा पाकिस्तान और चीन के बीच उनकी 'ऑल-वेदर स्ट्रैटेजिक कोऑपरेटिव पार्टनरशिप' को और गहरा करने, संबंधित मूल हितों के मुद्दों पर समर्थन की पुष्टि करने, आर्थिक और व्यापार सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय शांति, विकास और स्थिरता के लिए उनकी संयुक्त प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए नियमित उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान का हिस्सा है."
भारत के मैसेज देने के सवाल पर चीन ने क्या कहा?
भारत की यात्रा के ठीक बाद विदेश मंत्री वांग की पाकिस्तान यात्रा करने के सवाल पर प्रवक्ता माओ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों चीन के महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं. उनसे यह भी सवाल किया गया कि क्या वह सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की चिंताओं पर पाकिस्तान के साथ चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा, "हम दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं और उम्मीद करते हैं कि इन दोनों देशों के बीच मतभेदों को उचित तरीके से संभाला जा सकता है."
ताइवान मुद्दे पर चालबाजी
चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को गलत तरीके से पेश करते हुए कहा कि उन्होंने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात के दौरान कहा कि नयी दिल्ली, ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है. जयशंकर की वांग से बातचीत उनके दो दिवसीय दौरे पर भारत आने के तुरंत बाद सोमवार शाम को हुई थी. इसके बाद भारत को चीन का झूठ सामने लाना पड़ा. विदेश मंत्रालय ने कहा कि, ‘‘चीनी पक्ष ने ताइवान का मुद्दा उठाया. भारतीय पक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे पर उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.''
बता दें कि अतीत में भारत ने ‘एक चीन' नीति का समर्थन किया था, लेकिन 2011 के बाद से यह किसी द्विपक्षीय दस्तावेज में शामिल नहीं है. चीन अक्सर भारत से ‘एक-चीन' नीति का पालन करने का आह्वान करता रहा है. भारत और ताइवान के बीच भले औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं. भारत ने 1995 में ताइपे में भारत-ताइपे संघ (ITA) की स्थापना की थी, ताकि दोनों पक्षों के बीच संपर्क को बढ़ावा दिया जा सके और व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाया जा सके.
ITA को सभी वाणिज्यिक और पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने का भी अधिकार दिया गया है. उसी वर्ष, ताइवान ने भी दिल्ली में ताइपे आर्थिक एवं सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की थी. पिछले कुछ वर्षों में भारत और ताइवान के बीच व्यापारिक संबंधों में प्रगति हुई है. भारत विशेष रूप से सेमीकंडक्टर सहित उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ताइवान के साथ सहयोग चाहता है.
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