
- भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ब्रिक्स समूह के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
- ब्राजील ब्रिक्स का अध्यक्ष है और इस बैठक का उद्देश्य अमेरिकी टैरिफ विवादों पर साझा दृष्टिकोण बनाना है.
- ट्रंप के टैरिफ से भारत और ब्राजील सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, दोनों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार, 8 सितंबर को ‘ब्रिक्स' समूह के एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. यह शिखर सम्मेलन ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा आयोजित कर रहे हैं. इसका उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के ‘टैरिफ' विवाद से निपटने के लिए एक साझा दृष्टिकोण तैयार करना और वाशिंगटन की व्यापार नीतियों के कारण पैदा हुए व्यवधानों पर चर्चा करना है.
भारत और ब्राजील- दोनों पर ट्रंप ने फोड़ा 50% का टैरिफ
यह बैठक उस परिस्थिति में हो रही है जब ट्रंप के टैरिफ बम ने दुनिया के व्यापार में उथल-पुथल ला दी है. ट्रंप के टैरिफ की मार जो दो देश सबसे ज्यादा झेल रहे हैं वो दोनों ही ब्रिक्स की बड़ी शक्तियां है- भारत और ब्राजील. दोनों पर ही ट्रंप ने अलग-अलग कारणों से 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. भारत के मामले में ट्रंप का टैरिफ जर्माना रूस से कच्चे तेल खरीदने से जुड़ा हुआ है. जबकि ब्राजील को पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश पर मुकदमे चलाने के लिए ट्रंप ने निशाना बनाया है.
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले चीन में शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन हुआ था. जब यहां प्रधान मंत्री मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक साथ आकर हाथ मिलाया तो वह तस्वीर वाशिंगटन तक अपना शोर मचाती गई, मैसेज वहां तक पहुंचा. कहा गया कि मैसेज सीधे ट्रंप को था. ट्रंप ने ब्रिक्स में भारत की भागीदारी के साथ-साथ इन बैठकों पर तीखी टिप्पणियां की हैं.
क्या बैंलेस बना रहा भारत?
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि विदेश मंत्री जयशंकर कर रहे हैं. कुछ एक्सपर्ट इसे भारत की विदेश नीति की स्थिति को संतुलित करने के लिए एक सोच समझकर उठाया गए कदम के रूप में देख रहे हैं. भारत अगले ही साल ब्रिक्स के अध्यक्ष पद को संभालने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने ब्रिक्स के लेकर यह संदेह बार बार जाहिर की है कि यह मोर्चा डॉलर को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है. वैसे भारत ने ऐसी किसी भी मंशा से इनकार किया है.
मोदी के स्थान पर जयशंकर को भेजकर, नई दिल्ली यह संकेत दे रही है कि वह ब्रिक्स को महत्व तो देती है, लेकिन वह वाशिंगटन के साथ तनाव को एक हद से आगे नहीं बढ़ाना चाहती है. यह संतुलन रूस, चीन और ब्राजील के साथ सहयोग को बनाए रखते हुए अमेरिका के साथ व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए भारत के व्यापक राजनयिक दृष्टिकोण को दर्शाता है.
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