काठमांडू:
नेपाल के प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई इस महीने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र आमसभा की बैठक में शिरकत करने के बाद भारत दौरे पर जाएंगे। नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली विदेश यात्रा को लेकर उठने वाले पुराने विवाद को उन्होंने समाप्त कर दिया है। पिछले महीने नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र रहे भट्टराई (57) ने बुधवार को नेपाल में भारत के राजदूत जयंत प्रसाद का स्वागत किया और प्रसाद से अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा के बारे में चर्चा की। प्रधानमंत्री और भारतीय राजदूत के बीच करीब डेढ़ घंटी तक चली बैठक में भट्टराई की पत्नी वरिष्ठ माओवादी नेता और पूर्व मंत्री हिसिला यामी भी शामिल हुईं। यामी ने पत्रकारों को बताया कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निमंत्रण पर भट्टराई न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र की 66वीं आमसभा की बैठक में हिस्सा लेने के बाद भारत दौरे पर जाएंगे। ज्ञात हो कि भट्टराई ने देश में कमजोर पड़ी शांति प्रक्रिया को 45 दिनों में पूरा करने का वादा किया है। वह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 17 या 19 सितम्बर को एक छोटे-से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे और 24 सितम्बर को काठमांडू लौटेंगे। यह लगातार तीसरा वाकया है, जब नेपाल के प्रधानमंत्रियों ने भारत या चीन का दौरा करने के बदले कूटनीतिक और क्षेत्रीय बैठकों की ओर रुख किया है। भट्टराई से पहले कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल ने अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में तुर्की को चुना था। उन्होंने मई में तुर्की में हुई अल्प विकसित देशों की चौथी शिखर बैठक में हिस्सा लिया था। खनाल के पूर्ववर्ती व उन्हीं की पार्टी के माधव कुमार नेपाल ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए काहिरा को चुना था। वहां उन्होंने गुट निरपेक्ष आंदोलन की 15वीं शिखर बैठक में 2010 में हिस्सा लिया था। नेपाली प्रधानमंत्रियों की पहली विदेश यात्रा को लेकर सावधानी बरतने का सिलसिला उस समय से शुरू हुआ है, जब नेपाल के पहले माओवादी प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने आरोप लगाया था कि ओलम्पिक खेलों के समापन समारोह में हिस्सा लेने के लिए 2008 में उनके चीन दौरे से भारत नाराज हो गया। उसके अगले वर्ष अपनी सरकार के पतन के लिए उन्होंने नई दिल्ली को जिम्मेदार ठहराया था। पारम्परिक रूप से नेपाली प्रधानमंत्री पद सम्भालने के बाद पहले भारत की ही यात्रा करते रहे हैं।