बांग्लादेश में आरक्षण (Bangladesh Political Crisis) के खिलाफ 2 महीने से जारी प्रदर्शन सोमवार को सरकार विरोधी हिंसा में तब्दील हो गया. बीते दिन जमकर हुई हिंसा के बीच पड़ोसी मुल्क से तख्तापलट की खबरें आईं. शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया. उनके ढाका से निकलने के बाद बांग्लादेश की आर्मी ने ऐलान किया कि अब वो सरकार चलाएगी. हसीना ढाका से अगरतला के रास्ते भारत पहुंच चुकी हैं. ऐसी खबरें थीं कि हसीना भारत से लंदन जा सकती हैं. हालांकि, अभी तक क्लियरेंस नहीं मिल पाने की वजह से शेख हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ भारत में ही हैं. सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने हसीना से अपना आगे का प्लान बताने के लिए कहा है. भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि हसीना लंबे समय तक यहां नहीं रह सकतीं हैं.
ऐसे में सवाल उठता है कि शेख हसीना आखिर ब्रिटेन क्यों जाना चाहती हैं? ब्रिटेन की ओर से उन्हें शरणार्थी ( Asylum) और अस्थायी रिफ्यूजी (अस्थायी आश्रय) में कौन सा दर्जा मिल सकता है? इमिग्रेशन या शरणार्थी बनने के लिए ब्रिटेन में कौन-कौन से नियम हैं? NDTV ने UK के गृह मंत्रालय से इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश की.
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने कहा, "हमारे पास जरूरतमंद लोगों को सुरक्षा मुहैया करने का अच्छा रिकॉर्ड है. लेकिन हमारे इमिग्रेशन नियमों में किसी के लिए शरण या अस्थायी शरण को लेकर यूके की यात्रा करने का कोई प्रावधान नहीं है. जिन लोगों को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत है, उन्हें पहले उसी देश में शरण की गुहार लगानी चाहिए, जहां वो अपना देश छोड़कर पहुंचे हैं."
कौन हैं डॉ. यूनुस? जो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बनने के लिए हुए राजी
असाइलम और रिफ्यूजी में क्या फर्क है?
रिफ्यूजी यानी अस्थायी शरणार्थी उसे कहते हैं, जो अपने मूल देश से भागकर दूसरे देश में आया हो. ऐसा अपने देश में जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनीतिक राय के कारण सताए जाने के डर से किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र 1951 कन्वेंशन और 1967 प्रोटोकॉल के मुताबिक, शरणार्थी के डर को साबित करने के लिए ठोस वजह होनी चाहिए. उन्हें साबित करना पड़ता है कि उनके देश में उनकी जान को खतरा है.
ब्रिटेन में शरणार्थी बनने के क्या हैं नियम?
यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में शरण लेने के लिए यूके के गृह मंत्रालय (Home Office) को अर्जी देनी होती है. गृह मंत्रालय ही शरण देने या इसकी अर्जी खारिज करने का आखिरी फैसला लेता है. नियमों के मुताबिक, शरण चाहने वाले की अर्जी मिलने के बाद सबसे पहले उसकी इमिग्रेशन ऑफिसर के साथ मीटिंग होती है. इसे टेक्निकल टर्म में स्क्रीनिंग कहते हैं. स्क्रीनिंग के दौरान शरण चाहने वाले से कई तरह के सवाल किए जाते हैं, जिससे पता चल सके कि आखिर वो अपना देश छोड़कर क्यों आए हैं. क्या वाकई उनके देश में उनकी जान को खतरा है? अगर शरण दिया गया, तो इससे उनके देश को तो कोई खतरा नहीं होगा? इन तमाम सवालों के जवाब जानने-समझने के बाद रिपोर्ट तैयार होती है. फिर आखिर में गृह मंत्रालय तय करता है कि शरण दिया जाना चाहिए या अर्जी खारिज हो जानी चाहिए.
बांग्लादेश संंकट में क्या पाकिस्तान का हाथ? राहुल गांधी के सवाल पर एस जयशंकर ने दिया ये जवाब
शरण मिलने के बाद कितने सालों तक यूके में रह सकते हैं?
अगर कोई व्यक्ति यूके में शरणार्थी का दर्जा पाने में सफल होता है, तो उसे आधिकारिक शरणार्थी का दर्जा दिया जाता है. इस केस में वो वहां कम से कम 5 सालों तक रह सकता है. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उसे सुरक्षा दी जाती है. यूके में ये भी नियम है कि अगर कोई शरणार्थी अपने देश नहीं लौटना चाहता, तो उसे ऐसा करने के लिए मजबूर भी नहीं किया जाएगा. यूके सरकार शरणार्थी को हेल्थ केयर और एजुकेशन लेने का अधिकार भी देती है.
बंगबंधु की मूर्ति तक न छोड़ी, काश! शेख मुजीबुर्रहमान की कुर्बानी की यह कहानी पढ़ लेते उपद्रवी
विदेश मंत्री ने दी बांग्लादेश पर जानकारी
भारत सरकार ने बांग्लादेश के मामले पर मंगलवार सुबह 10 बजे सर्वदलीय बैठक की. इसके बाद संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शेख हसीना के भारत आने की जानकारी दी. जयशंकर ने कहा, "सोमवार को हसीना ने बेहद कम समय के अंदर भारत आने की अपील की थी. वे सोमवार शाम को दिल्ली पहुंचीं थीं. शेख हसीना सदमे में हैं. सरकार बात करने से पहले उन्हें कुछ समय दे रही है. वे भविष्य को लेकर खुद फैसला लेंगी."
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाया गया है, जो बेहद चिंता की बात है. हम वहां रह रहे भारतीय समुदायों के संपर्क में हैं."
दिल्ली की कोठी नंबर 56 की कहानी, जहां मिसेज मजूमदार बनकर रही थीं शेख हसीना
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं