पिछले साल बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद सत्ता संभालने वाले बांग्लादेश के अंतरिम नेता, शनिवार को अपनी सरकार पर दबाव बनाने वाली शक्तिशाली पार्टियों से मिलेंगे. इससे पहले उन्होंने कथित तौर पर पद छोड़ने की धमकी दी थी. 84 वर्षीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस, जो चुनाव होने तक कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं, ने सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों से उन्हें अपना पूरा समर्थन देने का आह्वान किया है. उनके प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने पुष्टि की कि यूनुस बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं से मिलेंगे, जिन्हें दिसंबर तक होने वाले चुनावों में सबसे आगे देखा जा रहा है, और अगस्त 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद पहली बार प्रधानमंत्री शेख हसीना को भागना पड़ा. यूनुस मुस्लिम बहुल देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से भी मिलेंगे.
यूनुस चाहते हैं कार्यकाल बढ़ाना

यूनुस दबाव की रणनीति का उपयोग करके सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं, उनके समर्थक राष्ट्रव्यापी चुनावों के खिलाफ रैली कर रहे हैं. राजधानी ढाका में पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें "पहले सुधार, बाद में चुनाव" और "पांच साल तक यूनुस को सत्ता में बनाए रखने" की मांग की गई है. नोबेल पुरस्कार विजेता को पिछले साल शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद बनी अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था. यह अस्थायी व्यवस्था चुनावों तक चलने वाली थी, लेकिन आलोचकों का दावा है कि अब वह चुनावों का सामना किए बिना सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं. यूनुस ने बार-बार चुनावों की घोषणा करने से परहेज किया है और कथित तौर पर प्रस्तावित रोहिंग्या कॉरिडोर पर राजनीतिक और सैन्य प्रतिरोध के बीच इस्तीफे की धमकी दी है, जिसके बारे में उनके आलोचकों का दावा है कि इसे संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन प्राप्त है. इससे देश के राजनीतिक परिदृश्य में उथल-पुथल मच गई है. उनके समर्थकों ने आज ढाका में 'मार्च फॉर यूनुस' नामक एक रैली की योजना बनाई है.
नाहिद इस्लाम का साथ पर सेना खिलाफ

यह घटनाक्रम यूनुस की नाहिद इस्लाम से मुलाकात के बाद हुआ है, जो अब नेशनल सिटिज़न्स पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख हैं और अंतरिम सरकार का हिस्सा रहे हैं तथा पिछले साल विरोध प्रदर्शनों का चेहरा रहे हैं. यूनुस के आलोचकों का तर्क है कि वह अब इस्लामी कट्टरपंथियों की मदद से अपने प्रवास को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जो छात्रों के आंदोलन का इस्तेमाल एक प्रॉक्सी के रूप में कर रहे हैं. स्थानीय मीडिया ने यूनुस की इस्तीफे की धमकी का कारण बांग्लादेश में रोहिंग्या कॉरिडोर बनाने की उनकी योजना का कड़ा विरोध बताया है. आलोचकों का दावा है कि कॉरिडोर के विचार को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है और संयुक्त राष्ट्र इसका नेतृत्व कर रहा है, लेकिन बांग्लादेश की सेना का कहना है कि देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता से जुड़े मुद्दों पर केवल जनता के जनादेश वाली निर्वाचित सरकार ही निर्णय ले सकती है. सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने सेना के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान इस विचार का मजाक उड़ाया और इसे "खूनी कॉरिडोर" करार दिया.
खालिदा जिया भी नहीं अब साथ

सूत्रों का कहना है कि रोहिंग्या कॉरिडोर पर मतभेदों के कारण बांग्लादेश के विदेश सचिव को इस सप्ताह के शुरू में इस्तीफा देना पड़ा था. इससे पता चलता है कि यूनुस अब खुद को घिरा हुआ पा रहे हैं और उन पर आरोप लग रहे हैं कि वे विदेशी खिलाड़ियों के इशारे पर काम कर रहे हैं. यूनुस-सेना असंतुलन सेना द्वारा चुनावों के लिए किए जा रहे जोरदार दबाव से उभरता है. सेना प्रमुख ने कहा कि दिसंबर तक मतदान हो जाना चाहिए, जिससे 84 वर्षीय अर्थशास्त्री के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा. हसीना की धुर विरोधी खालिदा जिया की अगुआई वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी तटस्थ रुख अपनाए हुए है. हालांकि वह नहीं चाहती कि यूनुस इस्तीफा दें, लेकिन उसने दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग की है. उसका तर्क है कि अंतरिम सरकार का काम चुनाव होने तक अस्थायी रूप से शासन करना है.
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