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This Article is From Oct 19, 2011

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों की घटती संख्या चिंताजनक : टेड

टेड बाईलियू ने कहा कि वह भारतीय छात्रों के लिए ज्यादा सुरक्षित वातावरण तैयार करने के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं।
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मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के दाखिले में कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए विक्टोरिया के प्रधानमंत्री टेड बाईलियू ने कहा कि वह भारतीय छात्रों के लिए ज्यादा सुरक्षित वातावरण तैयार करने के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। टेड ने कहा, हम वाकई चिंतित हैं क्योंकि :शिक्षा: उद्योग विक्टोरिया की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत मायने रखता है। कुछ वक्त पहले विदेशी छात्रों के खिलाफ हिंसा एक बड़ा मुद्दा था इसलिए हम विदेशी छात्रों के लिए विशेष सुरक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने प्रेट्र को बताया, राष्ट्रमंडल द्वारा हस्तक्षेप करने और वीजा निर्देशों को बदलने की बात को लेकर हम चिंतित हैं। उन बदलावों से समस्या बढ़ी है और ऑस्ट्रेलियाई डॉलर भी प्रभावित हुआ है। राज्य का अंतरराष्ट्रीय शिक्षा उद्योग ज्यादातर भारतीय छात्रों के दाखिले पर निर्भर है। छात्रों के साथ हिंसा की घटनाओं, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की बढ़ती कीमतों और वीजा के कड़े नियमों के कारण उनकी संख्या में भारी गिरावट आयी है। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों की संख्या में करीब 50 प्रतिशत की कमी आयी है जिससे वहां के अंतरराष्ट्रीय शिक्षा उद्योग को धक्का लगा है। ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2008-09 में 65,503 भारतीयों को छात्र वीजा दिया था लेकिन 2009-10 में संख्या मात्र 29,721 रह गयी। टेड ने कहा कि वीजा नियमों में बदलाव के कारण यहां आने से वंचित हो रहे छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। टेड ने कहा, इस मुद्दे पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है और मुझे लगता है कि इसपर ध्यान दिया जाना चाहिए। दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, विक्टोरिया में दो लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं और यह दोनों के रिश्तों को बढ़ाने का उचित आधार है। उन्होंने कहा कि वह यहां पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की सुरक्षा को लेकर सजग हैं। टेड ने कहा, हम अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करेंगे और रेलवे स्टेशनों के पास अतिरिक्त सुरक्षा अधिकारी तैनात होंगे। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि छोटे संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र रात में काम करते हैं जिसके कारण वह देर से घर वापस आते हैं। ऐसे छात्रों की सुरक्षा के लिए हम सांस्कृतिक रूप से सुरक्षित वातावरण तैयार करना चाहते हैं।

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