उत्तराखंड नगर निकाय चुनावों को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं. प्रदेश में 23 जनवरी को 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 46 नगर पंचायतों के लिए मतदान होगा और 25 जनवरी को मतगणना होगी. इस बार उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में मतदान बैलेट पेपर से होगा, इसलिए रिजल्ट आने में समय लग सकता है. उत्तराखंड में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. इसके अलावा निर्दलीय भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
उत्तराखंड में 11 नगर निगम में देहरादून नगर निगम महत्वपूर्ण मानी जा रही है. वजह साफ है कि देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है. यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. उत्तराखंड में राज्य बनने के बाद से तीन बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस ने नगर निगम में मेयर सीट जीती है. राज्य बनने के बाद सबसे पहले नगर निगम के चुनावों में कांग्रेस ने यह सीट जीती थी, लेकिन उसके बाद लगातार भाजपा के पास देहरादून नगर निगम की सीट रही है.
10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में
देहरादून नगर निगम चुनाव के लिए मौजूदा हालात में 10 प्रत्याशी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. भाजपा से सौरभ थपलियाल तो कांग्रेस से वीरेंद्र पोखरियाल चुनावी मैदान में हैं तो वहीं इसके अलावा आठ और प्रत्याशी चुनावी मैदान में है.
देहरादून नगर निगम में 100 वार्ड हैं, जिसमें करीब 7 लाख 65 हजार मतदाता 23 जनवरी को अपना मत डालेंगे. इनमें से 2 लाख निम्न वर्ग से आते हैं और इसके अलावा देहरादून नगर निगम में पहाड़ी वोटर की भी अच्छी खासी संख्या है, जो हार जीत को तय करती है. देहरादून नगर निगम में आने वाली विधानसभा में सारी सीटों पर भाजपा का कब्जा है. देहरादून नगर निगम में आने वाली विधानसभा में धर्मपुर, राजपुर रोड, कैंट, डोईवाला, सहसपुर और मसूरी विधानसभा का कुछ हिस्सा आता है.
यह मुद्दे हैं देहरादून में प्रमुख
देहरादून नगर निगम के मेयर पद की सीट को जीतने के लिए दोनों प्रत्याशी लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. इसके अलावा कांग्रेस और भाजपा के बड़े नेता भी प्रचार में जुटे हुए हैं. देहरादून उत्तराखंड की राजधानी होने के साथ यह नगर निगम सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, इसके अलावा देहरादून में मलिन बस्तियों में 40 से 45 हजार लोग रहते हैं.
मलिन बस्तियों का मुद्दा महत्वपूर्ण है तो देहरादून में साफ सफाई, पेयजल व्यवस्था, ट्रैफिक व्यवस्था, सड़कों की व्यवस्था भी प्रमुख है. सबसे बड़ी बात यह है कि मानसून सीजन में देहरादून में सड़कें तालाब बन जाती हैं, देहरादून में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने का मुद्दा भी इस चुनाव में उठ रहा है. यह वह मुद्दे हैं, जिनको लेकर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी जनता के सामने अपनी बात रख रही है.
दो पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों में मुकाबला
देहरादून नगर निगम में भाजपा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल के राजनीतिक करियर की बात करें तो थपलियाल डीएवी डिग्री कॉलेज के छात्र संघ के महासचिव और अध्यक्ष रह चुके हैं. थपलियाल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर से महासचिव और अध्यक्ष चुनाव जीत चुके हैं इसके अलावा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी सौरभ थपलियाल रह चुके हैं
वहीं कांग्रेस के देहरादून नगर निगम के प्रत्याशी वीरेंद्र पोखरियाल भी डीएवी कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा वीरेंद्र पोखरियाल सहकारिता के लगातार कई सालों तक अध्यक्ष रह चुके हैं वीरेंद्र पोखरियाल राज्य आंदोलनकारी भी रहे हैं.
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